रांची/कोलकाता: आलू मामले पर ममता बनर्जी की सख्ती में कमी आयी है. आलू व्यवसायियों के जिद के आगे उन्हें ढील देनी पड़ी. सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सचिवालय में महंगाई के लिए बनी टास्क फोर्स कमेटी की बैठक हुई.
बैठक में व्यवसायी समितियों के प्रतिनिधियों ने साफ किया कि 22 रुपये प्रति किलो से कम कीमत पर आलू बेचना उन लोगों के लिए संभव नहीं है. इस बात पर बंगला मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने इस मामले में खामोश रह कर ही व्यवसायियों के इस मांग का समर्थन किया. बैठक में राज्य सरकार ने यहां से अन्य राज्यों में आलू भेजने पर लगी रोक में छूट प्रदान की है. अब राज्य से रोजाना तीन राज्य ओड़िशा, असम व झारखंड में कुल 700 टन आलू भेजा जायेगा. इसमें 100 टन आलू झारखंड, 400 टन आलू ओड़िशा, 200 टन असम व भेजा जायेगा.
जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक दिन कोल्ड स्टोरेज से कुल 1000 टन आलू निकाला जायेगा, जिसमें से 300 टन आलू राज्य सरकार यहां के स्थानीय बाजार के लिए रखेगी और बाकी 700 टन इन तीन राज्यों में भेजा जायेगा.
बैठक के बाद फोरम फॉर ट्रेडर्स ऑफ वेस्ट बंगाल के महासचिव रवींद्र नाथ कोले ने बताया कि राज्य में अभी भी करीब 23 लाख टन आलू स्टॉक में है, जो बंगाल की मांग के लिए पर्याप्त है. इससे दिसंबर महीने तक यहां आलू की समस्या नहीं होगी. पंडरा स्थित थोक मंडी में आलू के भाव में एक से डेढ़ रुपये तक की गिरावट आयी है. व्यापारी ने कहा कि माल की आवक बेहतर रहने के कारण इसकी कीमत में गिरावट आयी है. वहीं प्याज थोक में 15 से 18 रुपये किलो की दर से बिका.