रांची: रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) के अधीन आनेवाले क्षेत्रों में ड्राफ्ट मास्टर प्लान लागू किया जायेगा. इसी मास्टर प्लान के मुताबिक ही भविष्य में निर्माण कार्य होंगे और राजधानी का विस्तार किया जायेगा. मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद, नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह व रांची के डीसी सह आरआरडीए के उपाध्यक्ष विनय कुमार चौबे की मंगलवार को हुई संयुक्त बैठक में इसका फैसला लिया गया.
बैठक में तय किया गया कि आरआरडीए भी अब अपने अधिकार में आनेवाले क्षेत्रों में ‘एपेंडिक्स एम’ का इस्तेमाल कर नक्शा पास कर सकेगा. एपेंडिक्स एम का इस्तेमाल जमीन की प्रकृति बदलने के लिए किया जाता है. यानी जरूरत के मुताबिक भवनों के निर्माण के लिए कृषि योग्य, ग्रीन लैंड, ओपन स्पेस जैसी जमीन की प्रकृति को परिवर्तित किया जा सकेगा. वर्तमान में एपेंडिक्स एम का इस्तेमाल सिर्फ नगर निगम के क्षेत्र में ही होता है.
मुख्य सचिव के नेतृत्व में कमेटी का फैसला
एपेंडिक्स एम का इस्तेमाल कर आरआरडीए भी बदल सकेगा जमीन की प्रकृति, पास कर सकेगा नक्शा
वर्तमान में सिर्फ नगर निगम क्षेत्र में ही होता है इसका इस्तेमाल
क्या है एपेंडिक्स एम
बिल्डिंग बाइलॉज में नक्शा पास करनेवाली संस्था को जमीन की प्रकृति बदलने के लिए विशेष शक्ति दी गयी है. इसका नाम एपेंडिक्स एम रखा गया है. नक्शा पास करनेवाली संस्था एपेंडिक्स एम के जरिये उस भूमि पर भी निर्माण की अनुमति प्रदान कर सकती है, जिस पर इसकी अनुमति नहीं है. उदाहरण के लिए एपेंडिक्स एम का इस्तेमाल कर कृषि भूमि या ग्रीन लैंड पर निर्माण की योजना स्वीकृत की जा सकती है. हालांकि इसके लिए ठोस कारण का होना आवश्यक है.
अब क्या होगा
जल्द ही आरआरडीए में नक्शा पास करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. हालांकि, इसके पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षतावाली कमेटी की ओर से लिये गये फैसले का अनुमोदन नगर विकास मंत्री और मुख्यमंत्री से भी कराया जाना है. उनकी स्वीकृति मिलने के बाद आरआरडीए क्षेत्र में ड्राफ्ट मास्टर प्लान लागू कर दिया जायेगा.
पहले क्या थी प्रक्रिया
पूर्व में भी आरआरडीए की ओर से एपेंडिक्स एम का इस्तेमाल किया जाता था. जमीन की प्रकृति बदलने के लिए कमेटी भी बनी थी. कमेटी ने कई जगहों पर जमीन की प्रकृति में बदलाव भी किया था. पर पिछले दो वर्षो से इसका इस्तेमाल बंद था. डीसी ने सरकार से मार्ग दर्शन भी मांगा था. पर दो वर्षो से सरकार ने कोई निर्देश नहीं दिया. इस कारण आरआरडीए के क्षेत्र में जमीन की प्रकृति में बदलाव कर नक्शा पास नहीं किया जा रहा था.