रांची: राज्य में शिक्षकों के लिए अनारक्षित पद पर भी स्थानीय (झारखंड के) अभ्यर्थियों की ही नियुक्ति होगी. शिक्षा विभाग इसके लिए जल्द ही सभी जिलों के उपायुक्तों व जिला शिक्षा अधीक्षकों को सरकुलर भेजेगा. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने इस संबंध में विभागीय सचिव व प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पीत पत्र लिखा है.
कहा है कि राज्य में स्थानीय अभ्यर्थियों की ही शिक्षक के पद पर नियुक्ति हो, चाहे सीट अनारक्षित ही क्यों न हो. बिहार समेत अन्य राज्यों में दूसरे राज्य के अभ्यर्थी की नियुक्ति शिक्षक पद पर नहीं होती. बिहार के दर्जनों ऐसे उदाहरण हैं, जब परीक्षा में सफल होने के बाद भी झारखंड के विद्यार्थी को नौकरी नहीं दी गयी. नौकरी के लिए स्थानीय होने का आवासीय प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है.
30 हजार पद खाली : शिक्षा मंत्री के आदेश के बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है. पूर्व के संकल्पों का भी अध्ययन किया जा रहा है. झारखंड में पहली बार प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालय तक में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गयी है. राज्य में सरकारी शिक्षकों के लगभग 30 हजार पद खाली हैं.
क्या करने की है तैयारी
अनारक्षित सीट पर स्थानीय अभ्यर्थी की ही नियुक्ति हो इसके लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को भी संबंधित जिले का आवासीय प्रमाण पत्र देना अनिवार्य किया जायेगा. ऐसे में वे अभ्यर्थी, जो झारखंड के किसी जिले का आवासीय प्रमाणपत्र देंगे, उन्हीं की नियुक्ति होगी. प्रमाणपत्र नहीं देनेवाले टेट पास अभ्यर्थी की नियुक्ति नहीं होगी.
वर्तमान में क्या है प्रावधान
राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति जिला आरक्षण रोस्टर के आधार पर किया जाता रहा है. आरक्षित सीट के लिए अभ्यर्थी से जाति व आवासीय प्रमाणपत्र मांगा जाता है. आरक्षण का लाभ लेने के लिए दोनों प्रमाण पात्र देना अनिवार्य है, जबकि अनारक्षित सीट के लिए किसी तरह का प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाता.
शुरू है नियुक्ति प्रक्रिया : राज्य में कक्षा एक से पांच तक के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है. रांची में मेरिट लिस्ट जारी कर दिया गया है. अन्य जिलों में मेरिट लिस्ट बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. वहीं कक्षा छह से आठ तक के लिए शिक्षक नियुक्ति अगस्त में शुरू की जानी है. विभाग इस पर विचार कर रहा है कि काउंसलिंग के समय अनारक्षित कोटि के अभ्यर्थियों से आवासीय प्रमाण पत्र मांगा जाये.
‘‘झारखंड के अभ्यर्थियों से बिहार समेत दूसरे राज्यों में नौकरी के समय आवासीय प्रमाणपत्र मांगा जाता है. इस कारण परीक्षा में सफल होने के बाद भी झारखंड के अभ्यर्थी को नौकरी नहीं मिलती. कुछ दिन पहले पलामू के रघुनंदन तिवारी नामक युवक को बिहार में परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली थी. शिक्षक नियुक्ति में केवल स्थानीय अभ्यर्थियों की बहाली को लेकर आवश्यक निर्देश दिये गये है. अब अ्रनारक्षित सीट पर भी स्थानीय लोगों ही नियुक्ति होगी. इस संबंध में राज्य के विधायकों ने भी हमें पत्र लिखा है. गीताश्री, उरांव, शिक्षा मंत्री