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नक्सलियों ने आवासीय स्कूलों से मांगे 10-10 बच्चे

21 को पुलिस अभियान खत्म, 22 से नक्सली फिर सक्रिय गुमला : पुलिस का अभियान बंद होते ही नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी. नक्सलियों ने अब बिशुनपुर, डुमरी व चैनपुर प्रखंड के पहाड़ी इलाकों में संचालित आवासीय स्कूलों से 10-10 बच्चे मांगे हैं. बच्चे नहीं देने पर शिक्षकों को गंभीर परिणाम […]

21 को पुलिस अभियान खत्म, 22 से नक्सली फिर सक्रिय

गुमला : पुलिस का अभियान बंद होते ही नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी. नक्सलियों ने अब बिशुनपुर, डुमरी व चैनपुर प्रखंड के पहाड़ी इलाकों में संचालित आवासीय स्कूलों से 10-10 बच्चे मांगे हैं. बच्चे नहीं देने पर शिक्षकों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गयी है. इससे क्षेत्र के शिक्षक व बच्चे डरे हुए हैं. कई बच्चे हॉस्टल छोड़ कर अपने घर चले गये हैं.

जानकारी के अनुसार, सोमवार को 100-150 की संख्या में माओवादियों का दस्ता बिशुनपुर के जोभीपाट गांव में संचालित आदिम जनजाति आवासीय स्कूल पहुंचा. उस समय स्कूल के प्रभारी प्राचार्य नहीं थे. रांची गये थे.

माओवादी लगभग एक घंटे तक वहां रहे. सभी शिक्षकों व बच्चों को स्कूल के बाहर बुलाया. उनसे हाथ मिलाया और पानी मांगा. माओवादियों ने शिक्षकों से कहा कि हमें 10-15 दिन के अंदर 10 बच्चे चाहिए. डर से शिक्षकों ने कुछ जवाब नहीं दिया. कहा कि अभी प्राचार्य नहीं हैं. माओवादियों ने कहा कि हम कुछ नहीं जानते, एक सप्ताह बाद हमारे आदमी आयेंगे. दस्ता में भेजनेवाले 10 बच्चों की सूची देनी है. इसके बाद बताया जायेगा कि बच्चों को कब देना है. इसके बाद सभी माओवादी वहां से निकल गये.

यहां बता दें कि नक्सलियों द्वारा बच्चों को मांगने की खबर प्रभात खबर में छपने के बाद गुमला पुलिस ने इलाके में अभियान शुरू किया था. लेकिन सोमवार को जैसे ही अभियान बंद हुआ. नक्सली सक्रिय हो गये और स्कूलों में पहुंचकर बच्चों की मांग कर रहे हैं. इधर डर से शिक्षक व बच्चे कुछ भी बताने से डर रहे हैं. अभिभावक भी डरे हुए हैं.

सभी स्कूल कल्याण विभाग से संचालित

आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय, जोभीपाट व सखुवापानी में एक से दस वर्ग तक पढ़ाई होती है. दोनों स्कूलों में 248-248 बच्चे हैं.आवासीय बालिका मवि चौरापाट व बालक मवि डोकापाट में एक से छह वर्ग तक पढ़ाई होती है. यहां 88-88 छात्राएं हैं. आवासीय उवि कंदापाट में छह से दस तक पढ़ाई होती है. यहां 200 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. ये सभी स्कूल कल्याण विभाग से संचालित हैं.

पुलिस ने अभियान बंद किया, नक्सली फिर सक्रिय हुए

गुमला और लोहरदगा जिलों से नक्सलियों द्वारा बच्चों को नक्सली संगठन के लिए ले जाने की खबर 16 जुलाई को प्रभात खबर में छपी थी. पुलिस ने 17 जुलाई से दोनों जिलों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था. अभियान में 25 कंपनी अर्धसैनिक बल लगाये गये थे. अभियान का नेतृत्व दोनों जिलों के एसपी खुद कर रहे थे. गुमला एसपी भीमसेन टुटी के नेतृत्व में बिशुनपुर इलाके में भी लगातार तीन दिनों से अभियान चल रहा था. पुलिस औराटोली, बनालात, कटिया, कुमारी समेत 20 से अधिक गांव जहां नक्सलियों के होने की संभावना थी, वहां तक गयी. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. पुलिस ने दोनों जिलों में पांच दिनों तक (21 जुलाई तक) अभियान चलाया.

19 जुलाई को सीएस सजल चक्रवर्ती और डीजीपी राजीव कुमार लोहरदगा के पेशरार स्थित जैप-एक के कैंप में पहुंचे. अभियान की समीक्षा की. अभियान जारी रखने की बात कही और लौट आये. 21 जुलाई को अभियान बंद हो गया. अभियान में लगे जवान बैरक और कैंप में लौट आये हैं. पांच दिनों तक चले अभियान में सिर्फ यही पता चला कि नक्सली दोनों जिलों के 40 बच्चों को संगठन के लिए ले गये हैं और नक्सलियों ने तीन ग्रामीणों की हत्या कर दी है. अभियान खत्म होने के साथ ही नक्सलियों ने स्कूलों से 10-10 बच्च देने का फरमान जारी कर दिया है.

बिशुनपुर, डुमरी व चैनपुर के आवासीय स्कूलों को धमकी

इन स्कूलों से मांगा गया है बच्चों को

नक्सलियों ने आदिम जनजाति व आदिवासी स्कूलों से बच्चों की मांग की है. इनमें बिशुनपुर प्रखंड के जोभीपाट, सखुवापानी, चौरापाट, डुमरी के कंदापाट व चैनपुरके डोकापाट स्कूल हैं.

‘‘आवासीय स्कूलों से बच्चों की मांगने की कोई खबर अभी तक पुलिस को नहीं मिली है. हालांकि पुलिस अपने स्तर से इसका पता करेगी. दीपक पांडेय, एसडीपीओ, गुमला

‘‘पांचों स्कूल दूरस्थ इलाकों में हैं. वहां संपर्क करना मुश्किल है. अब तक शिक्षकों ने नक्सलियों द्वारा बच्चों के मांगने की जानकारी नहीं दी है. पता करने के बाद ही जानकारी दे सकती हूं. मधुमिता कुमारी, डीडब्ल्यूओ, गुमला

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