मेदिनीनगर : पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कांग्रेस की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत को भेज दिया है. शनिवार को श्री किशोर ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी. कहा कि अब पहलेवाली कांग्रेस नहीं रही. आदर्श, नैतिकता और मूल्यों की राजनीति करनेवाले लोगों की पूछ नहीं रह गयी है.
झारखंड में कांग्रेस संगठन के प्रति नहीं, बल्कि सरकार के प्रति जवाबदेह है. निष्ठा से काम करनेवालों को अब पार्टी में घुटन महसूस हो रही है. अब आगे क्या करेंगे? इस सवाल पर श्री किशोर ने कहा : फिलहाल छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय के रूप में सक्रिय रूप से काम करूंगा.
क्षेत्र की आम जनता की जो राय होगी, उसके अनुरूप निर्णय लूंगा. क्योंकि 2010 में चुनाव हारने के बाद से मैं अपने क्षेत्र के लोगों की समस्या के प्रति सक्रिय रहा हूं. पर सरकार में बैठे लोगों को इसमें दिलचस्पी नहीं है.
कांग्रेस नेतृत्व पर उठाये सवाल : श्री किशोर ने कहा : 19 जनवरी 2013 को जयपुर में हुए पार्टी महाधिवेशन में आइसीसी के 32 में से 20 सदस्यों ने प्रस्ताव दिया था कि राज्य में जोड़-तोड़ की सरकार में कांग्रेस शामिल न हो तो बेहतर. लेकिन उस समय केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने यह तर्क दिया था कि लोकसभा चुनाव में लाभ के लिए गंठबंधन हो रहा है. फल यह हुआ कि लोकसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. श्री किशोर ने कहा : कांग्रेस में जो संगठन को मजबूत करने की बात करता है, उसे बागी मान लिया जाता है. राहुल गांधी के रांची दौरे के बाद मेरी टिप्पणी को पार्टी पर अटैक मान लिया गया. जो सही बात है, उसे नेतृत्व के लोग सुनना पसंद नहीं करते, तो ऐसे में निष्ठावान लोगों की काम करने की कोई गुंजाइश बच गयी है क्या?
ददई दुबे को भी किया गया था विवश
श्री किशोर ने कहा कि पार्टी के समर्पित नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे को दल छोड़ने के लिए विवश किया गया, क्योकिं संगठन को सरकार से मोह है. नियेल तिर्की, मनोज यादव सरीखे नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. फिर भी कांग्रेस को सरकार बनाये रखने का मोह बरकरार है. उन्होंने प्रदेश नेतृत्व से पूछा है : इधर-उधर की बात न कर, यह बता कारवां लूटा कैसे? मुझे राहजनों से गिला नहीं, तेरी राहबरी का सवाल था.