रांचीः छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम को बचाना है तो आदिवासियों और मूलवासियों को एकजुट होना होगा. रविवार को एसडीसी में ‘बिरसा मुंडा की शहादत की परंपरा और सीएनटी/ एससपीटी एक्ट पर राजनैतिक दलों का बदलता नजरिया’ विषयक सेमिनार में आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के डॉ आरपी साहू ने ये बातें कहीं.
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के महासचिव छत्रपति शाही मुंडा ने कहा कि सीएनटी एक्ट में धारा 71 ए जोड़ा गया है. इसमें 30 वर्ष के अंदर केस करने का अधिकार है़ पर, इसमें इंडियन लिमिटेशन एक्ट 1963 लागू किया गया, जिसे खारिज करने की जरूरत है़ झारखंडी पंचायती राज अधिनियम भी पेसा कानून के अनुरूप नहीं बना है़ इस सेमिनार का आयोजन झारखंड माइंस एरिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जमैक) द्वारा एसडीसी सभागार में किया गया था.