रांची: सरकार ने रांची, खूंटी, पाकुड़, गिरिडीह, जमशेदपुर, पलामू और गोड्डा के 150 से अधिक बालू घाटों को विभिन्न कंपनियों को देने का फैसला लिया है. इन घाटों की पूर्व में नीलामी की गयी थी.
इन घाटों की नीलामी रद्द नहीं की जायेगी. इनमें अधिकतर बालू घाट महावीर इंफ्रा इंजीनियरिंग प्रालि, द मिल्स स्टोर कंपनी प्रालि और मेरेडियन रियल्टर्स प्रालि को मिले हैं. शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया. बताया जाता है कि भारत सरकार के एटर्नी जनरल से राय लेने के बाद ही राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है. कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि जिन जिलों में बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई थी, वहां ग्राम पंचायतों को इस पर अधिकार दिया जायेगा.
क्या है मामला : सरकार ने पूर्व में बालू घाटों की नीलामी शुरू करवायी थी. इसके तहत रांची, खूंटी, पाकुड़, गिरिडीह, जमशेदपुर, पलामू और गोड्डा के 150 से अधिक बालू घाटों की नीलामी की गयी थी.
बाद में विरोध के कारण सरकार ने अन्य जिलों के बालू घाटों की नीलामी रोक दी थी. बालू घाटों को ग्राम पंचायतों को देने की घोषणा की थी. पर जिन जिलों के बालू घाटों की नीलामी कर दी गयी थी, उस पर फैसला लेने से पहले भारत सरकार के एटर्नी जनरल से राय मांगी थी. सूत्रों के अनुसार, एटर्नी जनरल ने सलाह दी है कि जिन कंपनियों को नीलामी के माध्यम से बालू घाट दे दिये गये हैं, उन्हें वापस नहीं लिया जाये. एटर्नी जनरल की राय को आधार बना कर सरकार ने रांची, खूंटी, पाकुड़, गिरिडीह, जमशेदपुर, पलामू और गोड्डा के 150 से अधिक बालू घाटों को विभिन्न कंपनियों को देने का फैसला लिया है. हालांकि शनिवार को हुई कैबिनेट की ब्रीफिंग के दौरान कैबिनेट सचिव जेबी तुबीद ने मीडिया को इसकी जानकारी नहीं दी.