हजारीबाग : सांसद यशवंत सिन्हा ने कहा कि बाबूलाल मरांडी और सुदेश महतो औकात में आ गये. चुनाव परिणाम में दोनों दलों का सुपड़ा साफ हो गया. जनता ने स्थायी सरकार के लिए क्षेत्रीय दलों को बाधक माना. श्री सिन्हा ने शनिवार को भाजपा कार्यालय अटल भवन में पत्रकार सम्मेलन किया. उन्होंने कई राजनीतिक घटनाक्रम का खुलासा किया. भाजपा और विरोधी दल के साजिशकर्ताओं पर खुल कर बोले. जात-पांत की राजनीति में भाजपा कार्यकर्ता बहें, ऐसा होता नहीं है. मोदी लहर ने आजसू पार्टी के जात-पांत की राजनीति को खत्म कर दिया.
बाबूलाल मरांडी का घमंड चकनाचूर : यशवंत सिन्हा ने कहा कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बाबूलाल मरांडी का घमंड चकनाचूर हो गया. लोकसभा चुनाव के पहले
कें द्रीय नेताओं ने बाबूलाल मरांडी के साथ चुनाव लड़ने या उन्हें दल में शामिल करने पर चर्चा की थी. उस समय भी मैं केंद्रीय नेताओं के विचारों के पक्ष में नहीं था. लेकिन एक बात उस समय बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि देश में नरेंद्र मोदी की लहर है तो भाजपा झारखंड में मुझ पर निर्भर क्यों होना चाहती है. अब बाबूलाल मरांडी को अपनी बातों का जवाब मिल गया.
आजसू पार्टी ने हजारीबाग सीट को लेकर समझौता तोड़ा : यशवंत सिन्हा ने यह भी खुलासा किया कि भाजपा-आजसू समझौता हजारीबाग सीट पर आकर टूटी. साजिशकर्ताओं के साथ आजसू पार्टी ने हजारीबाग सीट को लेकर कोई बड़ा डील किया था. समझौता टूटे तो टूटे लेकिन हजारीबाग सीट नहीं छोड़ेंगे. रेलवे इंजन हजारीबाग पहुंचने के समय जो घटना हुई वह भी साजिश का हिस्सा ही था. रेलवे को इन लोगों ने चुनावी मुद्दा नहीं बनने दिया. जो श्रेय मुङो मिलना चाहिए था,उसको रोकने में सफल रहे.
हर चुनाव में होती है साजिश : यशवंत सिन्हा ने कहा कि जब-जब चुनाव आता है, मेरे खिलाफ बड़ी साजिश होती है. इसमें पैसे का बड़ा खेल शामिल रहता है. मुङो पता है कि कौन सी शक्ति,दल और कॉरपोरेट इस कार्य में संलिप्त होते हैं. पहले से यशवंत सिन्हा के खिलाफ साजिश हो रही थी. जब जयंत सिन्हा को टिकट मिल गया तो साजिश करनेवालों ने इसका खूब प्रयास किया कि यशवंत सिन्हा ही चुनाव लड़ें. एकाएक ये लोग मेरे बड़े हमदर्द बन गये. पीछे का मकसद यह था कि चुनावी सीन से यशवंत सिन्हा क्यों हट गये.
पार्टी विरोधियों का चेहरा बेनकाब : यशवंत सिन्हा ने कहा कि भाजपा के भीतर जात-पांत का कोई स्थान नहीं है. भाजपा के नेता और कार्यकर्ता जात-पांत में बह जायें यह ठीक नहीं है. यहां तक कि मतगणना हॉल में भी एक भाजपा नेता ने आजसू पार्टी का पास बना कर प्रवेश किया था. चुनाव के पूर्व पार्टी के नीति-सिद्धांत के विरोध में कार्य करनेवालों के बारे में भाजपा के उचित फोरम में बात रखूंगा.
झारखंड चुनाव में भी क्षेत्रीय दलों का सफाया तय : श्री सिन्हा ने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा. झाविमो,आजसू जैसे क्षेत्रीय दलों का सफाया हो जायेगा. गंठबंधन सरकार क ा युग समाप्त हो गया है. जनता अब स्थायी सरकार के लिए वोट दे रही है.
जयंत की जीत ऐतिहासिक : यशवंत सिन्हा ने कहा कि जयंत की जीत कई मायनों में ऐतिहासिक है. 1998 और 1999 के चुनाव परिणाम से बेहतर रहा. पांचों विधानसभा में भाजपा की जीत हुई. बड़कागांव विधानसभा जहां से आजसू पार्टी उम्मीदवार के बड़े- बड़े दावे थे, वहां से भाजपा सबसे अधिक 43 हजार वोट से जीत दर्ज की. आजसू पार्टी यहां तीसरे नंबर पर चली गयी. रामगढ़ विधानसभा में 2009 में जीत नहीं पाये थे. इस बार इस विधानसभा में भी बढ़त बनायें. मांडू विधानसभा में जीत का अंतर 41601 मतों का रहा. हजारीबाग सदर विधानसभा में एक लाख से अधिक मत मिले. जात-पांत की राजनीति कहीं नहीं चली.
अच्छे दिन की शुरुआत हुई : यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार के सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं. भ्रष्टाचार,महंगाई और सरकारी घाटा रोकना. कोयला उद्योग की जजर्र स्थिति को ठीक करना. विदेश नीति,उग्रवाद की समस्या,प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना,बड़ी रेलवे परियोजना, आधारभूत संरचना को विकसित करना जैसे चुनौतीपूर्ण कार्यो को नरेंद्र मोदी करेंगे. अच्छे दिनों की शुरुआत जीत के साथ हो गयी.
विपक्षी दलों में मर्यादा का अभाव : श्री सिन्हा ने कहा कि चुनाव में हार-जीत स्वाभाविक है. प्रजातांत्रिक प्रणाली में चुनाव हो रहा था. रोड छाप लोगों की लड़ाई नहीं थी. मतदान के बाद एक दल ने झंडा चौक पर मिठाई बांट कर जीतने का ढिंढोरा पीट रहे थे. एक दल के नेता ने जयंत की जीत पर स्वाभाविक प्रतिक्रिया नहीं दी. भाजपा जीत- हार दोनों स्थिति में मर्यादा का उल्लंघन नहीं करती है.हमने जीत का जुलूस निकाला. किसी के घर के सामने जाकर ढोल नहीं पीटा.
भाजपा का बूथ प्रबंधन बेहतर : यशवंत सिन्हा ने कहा कि भाजपा के सभी कार्यकर्ता बूथों पर मुस्तैदी से काम किया. 15 अप्रैल को नरेंद्र मोदी की सभा हजारीबाग में होने से जन मानस और कार्यकर्ताओं में भाजपा के प्रति विश्वास और बढ़ा. 2004 में चुनाव हारने के बाद 2009 और 2014 में बेहतर बूथ प्रबंधन से भाजपा की जीत हुई. नरेंद्र मोदी की लहर,कार्यकर्ताओं का जोश,जयंत सिन्हा की योग्यता,व्यक्तित्व कई कारक जीत में सहायक बने.