लगभग 10 माह बाद राज्यपाल डॉ सैयद अहमद ने सर्च कमेटी की अनुशंसा को ही आधार बनाते हुए विनोबा भावे, कोल्हान, सिदो-कान्हू मुरमू और नीलांबर-पीतांबर विवि में कुलपतियों की नियुक्ति कर दी. विनोबा भावे में नये प्रति कुलपति भी बना दिये. हालांकि देर रात तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गयी थी. राज्यपाल ने सरकार की ओर से भेजे गये नामों पर विचार नहीं किया. शिक्षा मंत्री नियुक्ति में सरकार का हस्तक्षेप चाहती थी. उन्होंने अपने स्तर पर कुछ नामों की सूची भी तैयार की थी. पर राज्यपाल ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार की सूची पर विचार नहीं किया.
रांची: राज्यपाल की ओर से चार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति करने के बाद राजभवन और सरकार में ठन गयी है. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कुलपतियों की नियुक्ति का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि नियुक्ति में स्थानीय लोगों की उपेक्षा हुई है. इसे किसी भी हाल में बरदाश्त नहीं किया जायेगा. वह शिक्षा मंत्री के रूप में इसे किसी हाल में नहीं मानेगी. सरकार कुलपतियों की नियुक्ति के खिलाफ कोर्ट जायेगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उन्होंने अपनी बातें राज्यपाल के समक्ष रख दी हैं. अब राज्यपाल किसे नियुक्त करते हैं, किसे नहीं, इस पर प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा. जब अधिकृत रूप से बातें आयेंगी, तभी बोलना उचित होगा.
इससे पहले दिन के 12.15 बजे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे. मुख्यमंत्री ने राज्य के शिक्षा विभाग की ओर से तैयार पांच नामों की सूची राज्यपाल को सौंपी.
बताया जाता है कि दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक चर्चा हुई. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को विवि अधिनियम में निहित प्रावधानों की जानकारी भी दी. उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर से दी गयी नामों की सूची पर सहमति नहीं जतायी. इसके बाद देर शाम राज्यपाल ने सर्च कमेटी की अनुशंसा पर मुहर लगाते हुए चारों विवि में नये कुलपतियों और एक विवि में प्रति कुलपति की नियुक्ति कर दी. हालांकि देर रात तक नियुक्ति संबंधी अधिसूचना नहीं जारी की गयी थी.
शिक्षा मंत्री ने बिहार का उदाहरण दिया
कुलपतियों की नियुक्ति से नाराज शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा : नियुक्ति के सभी पहलुओं पर विचार किया जायेगा. इसके खिलाफ आगे जो भी कार्रवाई हो जा सकती है, की जायेगी. सरकार से बिना सलाह लिये ही कुलपतियों की नियुक्ति की गयी है. सरकार की ओर से दिये गये एक भी नाम को नहीं माना गया है. बिहार में भी सरकार के बिना सलाह के राजभवन ने कुलपतियों की नियुक्ति की थी. बिहार सरकार ने इसका विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष को सही ठहराया.
प्रक्रिया शुरू होने के समय से विरोध
शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने बताया : कुलपतियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के समय से वह अपनी बात कह रही हैं. सर्च कमेटी का गठन ही गलत तरीके से किया गया. आदिवासी बहुल राज्य होने के बाद भी सर्च कमेटी में एक भी आदिवासी सदस्य को नहीं रखा गया. इस संबंध में पहले भी राज्यपाल से मिल कर अपनी बात कही थी. मेरी बातों पर विचार नहीं किया गया. शिक्षा मंत्री होने के बाद भी मेरी बातों की उपेक्षा की गयी. यह राज्य के लोगों के साथ अन्याय है. ऐसी नियुक्ति को किसी हाल में सरकार नहीं मानेगी.
कैसे की गयी नियुक्ति : राज्यपाल सह कुलाधिपति की ओर से बनायी गयी सर्च कमेटी में झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश डीएन पटेल, मुख्य सचिव आरएस शर्मा, शिक्षाविद एए खान व राज्यपाल के प्रधान सचिव आरएस पोद्दार थे. सर्च कमेटी ने वीसी व प्रोवीसी के लिए अगस्त व नवंबर 2013 में ही योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मंगाये थे. करीब 200 आवेदन भी आये. इनमें 66 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. 60 उम्मीदवार ही शामिल हुए. इसमें सभी उम्मीदवारों को विभिन्न क्षेत्र में प्वाइंट दिये गये. इसके कमेटी ने एक पद पर तीन व्यक्तियों की नाम की सूची बना कर राज्यपाल को सौंपी. राज्यपाल ने इसी आधार पर नियुक्ति की.
क्या कहता है नियम : विवि अधिनियम की धारा 10 (2) के तहत कुलपति की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल सह कुलाधिपति को है. राज्यपाल चाहें, तो नियुक्ति से पूर्व राज्य सरकार से सलाह कर सकते हैं.