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यूएनएफपीए का आंकड़ा: राज्य में बाल विवाह की दर 50%, बाल विवाह में झारखंड का देश में तीसरा स्थान

रांची: झारखंड में बाल विवाह एक बड़ी सामाजिक समस्या है. यहां पर गांवों अौर कस्बों में बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं. बाल विवाह के खिलाफ कानून होने के बावजूद अभिभावक कम उम्र में ही बच्चों का विवाह करा देते हैं. शायद ही किसी मामले में शिकायत दर्ज हो पाती है या दोषियों के […]

रांची: झारखंड में बाल विवाह एक बड़ी सामाजिक समस्या है. यहां पर गांवों अौर कस्बों में बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं. बाल विवाह के खिलाफ कानून होने के बावजूद अभिभावक कम उम्र में ही बच्चों का विवाह करा देते हैं. शायद ही किसी मामले में शिकायत दर्ज हो पाती है या दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है. यूनाइटेड नेशंस पोपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार अौर राजस्थान के बाद झारखंड देश के उन तीन राज्यों में शामिल हैं, जहां सबसे ज्यादा बाल विवाह होते हैं. यहां बाल विवाह की दर लगभग पचास प्रतिशत है. देश भर में यह अौसत 47 प्रतिशत है.

देवघर में बाल विवाह 72.4 प्रतिशत

अभी भी बाल विवाह को लेकर बहुत ज्यादा आंकड़े उपलब्ध नहीं है. हालांकि एनुअल हेल्थ सर्वे 2010-11 के अनुसार राज्य में देवघर में सबसे ज्यादा बाल विवाह होते हैं. देवघर में बाल विवाह 72.4 प्रतिशत है. गिरिडीह में 71.2 प्रतिशत अौर हजारीबाग में 65.7 प्रतिशत बाल विवाह के मामले सामने आते हैं. नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे 2005-06 के अनुसार झारखंड के 63.2 प्रतिशत मामले में लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हुई थी. 2007-08 में 18 वर्ष से पहले विवाह करने के मामले 55.7 प्रतिशत था. बाल विवाह की वजह से किशोरियां कम उम्र में ही मातृत्व का बोझ उठाने पर विवश हैं. इससे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्या भी पैदा हो रही है. झारखंड में मां अौर शिशु मृत्यु दर भी काफी ज्यादा है.

भविष्य की योजना

बाल अधिकार संरक्षण आयोग पंचायतों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने से संबंधित योजना पर काम कर रहा है. इसके लिए चाइल्ड फ्रेंडली पंचायत की अवधारणा पर काम किया जा रहा है. इसके तहत हर पंचायत में लोगों को जागरूक किया जायेगा. चाइल्ड फ्रेंडली थाना भी बनाये जा रहे हैं.

क्यों हो रहा है बाल विवाह : पिछले दिनों रांची में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आयी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रूपा कपूर ने कहा कि बाल विवाह के कई कारण है. कहीं यह सामाजिक समस्या है, तो कहीं पर आर्थिक कारणों की वजह से. कहीं परंपरा के नाम पर तो कहीं ट्रैफिकिंग की वजह से यह हो रहा है. बाल विवाह तभी समाप्त हो सकता है, जब हम इसके खिलाफ लगातार अभियान चला सकें.

ये है कानून

बाल विवाह को रोकने के लिए द प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरेज एक्ट 2006 (पीसीएमए) कानून है. इस कानून के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र कम से कम 18 वर्ष अौर लड़के की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए. इससे कम उम्र में विवाह अपराध है.

कहां दर्ज करा सकते हैं केस

बाल विवाह की जानकारी मिलने पर चाइल्ड मैरेज प्रोहिबिशन ऑफिसर (सीएमपीअो), डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, पुलिस और फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज कराया जा सकता है.

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