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10 करोड़ की अघोषित संपत्ति का पता चला

रांची: आयकर विभाग की छापेमारी में श्री अलंकार ज्वेलर्स के रांची और कोलकाता स्थित ठिकानों से 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं. इस ग्रुप के व्यापारियों द्वारा महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन आमदनी कम से कम दिखायी जाती थी. छापेमारी के दौरान मिले आठ बैंक खातों के संचालन […]

रांची: आयकर विभाग की छापेमारी में श्री अलंकार ज्वेलर्स के रांची और कोलकाता स्थित ठिकानों से 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं. इस ग्रुप के व्यापारियों द्वारा महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन आमदनी कम से कम दिखायी जाती थी. छापेमारी के दौरान मिले आठ बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी गयी है. जेवरात के कच्चे कारोबार से संबंधित दस्तावेज के साथ ही व्यापारिक गतिविधियों के हिसाब- किताब से जुड़ा एक पेन ड्राइव जब्त किया गया है.

रांची में चार ठिकानों पर तलाशी : रांची में आयकर अनुसंधान अपर निदेशक संदीप राज के नेतृत्व में विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को दोपहर बाद श्री अलंकार ज्वेलर्स की चर्च कांप्लेक्स और रोस्पा टावर स्थित दुकान पर छापा मारा. ग्रुप के मालिक सुशील गुप्ता के अशोक बिहार स्थित मकान की भी तलाशी ली गयी. यहां छापेमारी के दौरान अशोक नगर में भी उनका एक मकान होने की जानकारी मिली. इसके आधार पर अशोक नगर स्थित मकान पर भी छापामारी हुई. अशोक नगर का मकान बंद था. इसे खुलवाने के बाद छापामारी के दौरान मकान से कई दस्तावेज जब्त किये गये. इन दस्तावेजों में 10 करोड़ रुपये के निवेश से संबंधित ब्योरे दर्ज हैं. अब तक हुई जांच- पड़ताल के दौरान लालपुर के आसपास जमीन में भारी रकम निवेश करने के साक्ष्य मिले हैं. इधर, कोलकाता में श्री अलंकार ज्वेलर्स ग्रुप की मुंशी बाजार स्थित दुकान और सुशील गुप्ता के भाई के मकान पर भी आयकर विभाग की टीम ने छापा मारा.

वास्तविक आमदनी छिपायी : छापेमारी में आयकर विभाग की टीम ने ग्रुप के ठिकानों से जेवरात के कच्चे कारोबार से संबंधित दस्तावेज जब्त किये. उनके व्यापारिक गतिविधियों के हिसाब- किताब से जुड़ा एक पेन ड्राइव भी जब्त किया गया. जानकारी के मुताबिक, तलाशी में मिले कुछ दस्तावेज की जांच से इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि ग्रुप के लोगों द्वारा अपनी आमदनी कम दिखाने के उद्देश्य से फरजी खर्च दिखाया जाता है. एकवित्तीय वर्ष में इस ग्रुप ने 40 लाख रुपये का फरजी खर्च दिखा कर अपनी वास्तविक आमदनी छिपायी है. ग्रुप द्वारा सालाना 15-20 लाख रुपये की आमदनी से संबंधित ब्योरा ही आयकर विभाग को दिया जाता था. आयकर अधिकारियों का दल जब्त दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर रहा है. जांच के बाद जेवर व्यापारी द्वारा किये गये कच्चे कारोबार के पूरे ब्योरे के खुलासा होने का अनुमान है.

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