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वैशाली पुलिस फायरिंग : जिम्मेवार अधिकारी पर होगी कार्रवाई

अपनी िरपोर्ट में जांच आयोग ने की अनुशंसा पटना : बिहार विधानसभा में शुक्रवार को वैशाली पुलिस फायरिंग की जांच आयोग की रिपोर्ट और उस पर की गयी कार्रवाई रिपोर्ट पेश की गयी. इसमें जिला प्रशासन की भूमिका में चूक मानी गयी है. सरकार की ओर से तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त व पुलिस उप महानिरीक्षक […]

अपनी िरपोर्ट में जांच आयोग ने की अनुशंसा
पटना : बिहार विधानसभा में शुक्रवार को वैशाली पुलिस फायरिंग की जांच आयोग की रिपोर्ट और उस पर की गयी कार्रवाई रिपोर्ट पेश की गयी. इसमें जिला प्रशासन की भूमिका में चूक मानी गयी है.
सरकार की ओर से तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त व पुलिस उप महानिरीक्षक को प्रशासनिक चूक एवं दूरदर्शिता की कमी के लिए जिम्मेवार पदाधिकारियों को चिह्नित कर उन पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है. वैशाली जिले के लालगंज थाने के अगरपुर में 17 नवंबर, 2015 को वाहन दुर्घटना में हुई मौत के बाद विधि-व्यवस्था की समस्या पैदा हो गयी थी. अनियंत्रित भीड़ ने बेलसर ओपी के प्रभारी अजीत कुमार को पीट कर घायल कर दिया था जिनकी मौत हो गयी थी. इधर गोली लगने से एक किशोर राकेश कुमार सिंह की मृत्यु हो गयी थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 17 नवंबर, 2015 को करीब दो बजे दिन में लालगंज के अगरपुर गांव में अपने घर के दरवाजे पर बैठे राजेंद्र चौधरी और उसकी छह माह की पोती माया कुमारी की मौत वैन से कुचलकर हो गयी. मृतक के परिजनों ने वैन चालक मो रिजवान पर हत्या करने का आरोप लगाया. दिनांक 18 नवंबर, 2015 को सुबह साढ़े सात बजे दादा-पोती की मौत और रिजवान की गिरफ्तारी नहीं किये जाने की आशंका के बाद स्थानीय लोग भड़क उठे और वैन चालक समेत चार लोगों के घरों में आग लगा दी.
इसमें नन्हे खान, चांद खान, मुन्ना मियां और आरोपित वैन चालक का घर शामिल था. साथ ही बेलसर ओपी प्रभारी 58 वर्षीय अजीत कुमार को भी उपद्रवी भीड़ ने पीटकर जख्मी कर दिया. उनकी मौत अस्पताल में हो गयी. उपद्रव के दौरान किशोर राकेश कुमार सिंह की गोली लगने से मौत हो गयी. इसको लेकर सरकार ने दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था. इस आयोग ने संपूर्ण घटना के कारणों की जांच की और भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आवश्यक उपायों पर सुझाव दिया है.
घटना के कारण
आयोग की रिपोर्ट और कार्रवाई में बताया गया है कि यह घटना सामान्य ग्रामीण सड़क पर तेज और अनियंत्रित गति से वाहन चलाये जाने के कारण हुई. वाहन दुर्घटना और उसके बाद आरोपित वाहन चालक की गिरफ्तारी की जानकारी जन सामान्य में नहीं जा सकी.
यह पुलिस प्रशासन के प्रति उत्पन्न परिस्थितिजन्य आक्रोश का प्रतिकार था. यह घटना सामान्य सूचना ग्रहण में प्रशासनिक चूक एवं दूरदर्शिता की कमी थी. जिला प्रशासन द्वारा सूचनाओं के संग्रह, बलों की तैनाती, दंडाधिकारी की तैनाती, घटना के पूर्वाकलन में अदूरदर्शिता बरती गयी और चूक भी हुई है. इसके कारण एक सामान्य घटना को असामाजिक तत्वों द्वारा सांप्रदायिक तनाव एवं हिंसा का रूप देने का प्रयास किया गया. इस घटना में पर्याप्त बल प्रतिनियुक्त नहीं रहने के कारण सुनियोजित हिंसक घटना को अंजाम दिये जाने के प्रयास को रोकने के क्रम में अन्य कोई विकल्प स्थानीय थाना और पुलिस बल के पास नहीं था. असामाजिक तत्वों द्वारा प्रशासनिक चूक के कारण उसे सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया.
आयोग की अनुशंसा
इसके लिए सूचना संग्रह तंत्र को प्रभावी बनाने और प्रयोग में लाये जाने की आवश्यकता है. जिन लोगों ने प्रशासन को सहयोगी के रूप में किया है उन पर की गयी प्राथमिकी का गहन अनुसंधान वरीय पदाधिकारी के सुपरविजन में की जाये. यह काम वैशाली के पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है.
सरकार ने विधि- व्यवस्था के लिए एसओपी तैयार करेगी. भविष्य में विधि विरुद्ध मजमे के नियंत्रण के लिए सबी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को बिहार पुलिस अधिनियम एवं बिहार पुलिस हस्तक के प्रावधानों का देखते हुए मानक कार्य संचालन पद्धति जारी की जायेगी. अफवाह नियंत्रण के लिए सभी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जनसंपर्क पदाधिकारी नामित करेंगे. यह अधिकृत व्यक्ति अधिकृत सूचनाएं मीडिया के माध्यम से आम जनता को उपलब्ध करायेगा. सांप्रदायिक तनाव की स्थिति में इसकी आवृत्ति बढ़ायी जायेगी. किसी भी अफवाह की सूचना मिलने पर उसका अविलंब सत्यापन कर जनसंपर्क पदाधिकारी टीवी , न्यूज चैनल, समाचार पत्र एवं सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित की जायेगी. राज्य में केबल टीवी नेटवर्क (रेगूलेशन) एक्ट एवं नियमावली के तहत जिला स्तर पर जिलापदाधिकारी की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति तथा मुख्यालय में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति गठित है. यह टीवी, न्यूज चैनलों में भ्रामक सूचनाओं के नियंत्रण एवं उन पर विधिसम्मत कार्रवाई के लिए अधिकृत है. इसके लिए एसओपी तैयार करने की आवश्यकता है.
पटना. राज्य सरकार ने बगहा पुलिस गोलीकांड की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की अनुशंसा को स्वीकार कर लिया है. शुक्रवार को विधान मंडल सत्र में दोनों सदनों में अायोग की रिपोर्ट को रखा गया. रिपोर्ट में पश्चिम चंपारण के तत्कालीन डीएम और एसपी को क्लीनचिट दी गयी है.
राज्य सरकार ने पुलिस फायरिंग को उचित मानते हुए इसके लिए किसी के खिलाफ उत्तरदायित्व निर्धारण की जरूरत नहीं माना है. सेवानिवृत जज राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में गठित आयोग ने कहा है कि शुरुआत में वाल्मीकि नगर थाना द्वारा चंदेश्वर काजी की गायब होने को गंभीरता से नहीं लिया. इसके कारण लोगों को पुलिस प्रशासन पर विश्वास नहीं रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की अविलंब कार्रवाई नहीं होने के ही गोली कांड हुआ. आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने मजबूरी में अपनी जान बचाने के लिए फायरिंग की. उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं बच गया था.
पुलिस की गोली से छह की हुई थी मौत
रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 जून, 2013 को हुई पुलिस फायरिंग की इस घटना में छह लाेग मारे गये थे. इस फायरिंग में कई घायल हो गये थे. आयोग ने पश्चिम चंपारण के तत्कालीन डीएम और बगहा के तत्कालीन एसपी को क्लीनचिट दी है. रिपोर्ट के अनुसार भीड़ द्वारा पुलिस का पीछा करने और घेरने के बाद पुलिस ने टकराव के बजाये वहां से निकलने का प्रयास किया. पुलिस फायरिंग से पहले के हालात के लिए आयोग ने नौरंगिया के तत्कालीन थाना प्रभारी विनय कुमार सिंह की कर्तव्यहीनता मानते हुए उन्हें पहले ही निलंबित कर दिया गया है. सिंह के खिलाफ राज्य सरकार विभागीय कार्यवाही चला रही है.
मृतकों और घायलों के परिजनों को अतिरिक्त अनुदान देने की अनुशंसा जांच आयोग के मारे गये और घायलों के परिजनों को अतिरक्ति अनुदान देने की अनुशंसा की है.
इसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है. मृतक के परिजनों को अतिरिक्त 4.4 लाख और गंभीर व मामूली रूप से घायलों को कुल 51 लाख रुपये का अतिरिक्त अनुदान की भुगतान के लिए पश्चिम चंपारण के डीएम को राशि उपलब्ध करा दी है. आयोग की अनुशंसा पर मृतकों के आश्रितों और स्थायी रूप से अपंग गणेश महतो के परिवार के एक सदस्य को रोजगार के लिए एससी-एसटी कल्याण विभाग को निर्देश दिया है.

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