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न दे रहे किराया, न कर रहे खाली

दुस्साहस. जिला पर्षद के भवन व जमीन पर कर रखा है अवैध कब्जा केंद्र और राज्य सरकार की दबंगई के आगे लाचार है यह जिला सरकार. मामला जिला पर्षद के भवन के किराये का है. जिला पर्षद का तीनमंजिला भवन, जिसमें नीचे से ऊपर तक विभिन्न सरकारी विभागों ने अनधिकृत रूप से कब्जा जमा रखा […]

दुस्साहस. जिला पर्षद के भवन व जमीन पर कर रखा है अवैध कब्जा

केंद्र और राज्य सरकार की दबंगई के आगे लाचार है यह जिला सरकार. मामला जिला पर्षद के भवन के किराये का है. जिला पर्षद का तीनमंजिला भवन, जिसमें नीचे से ऊपर तक विभिन्न सरकारी विभागों ने अनधिकृत रूप से कब्जा जमा रखा है. जिला पर्षद को इससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है, लेकिन वह इस सरकारी मनमानी के आगे लाचार है.
हाजीपुर : आय का स्रोत बढ़ाने की जुगत में लगा जिला पर्षद सरकारी विभागों के सामने विवश दिख रहा है. जिला पर्षद यानी जिले की स्थानीय सरकार. केंद्र और राज्य सरकारों की दबंगई के आगे लाचार है यह जिला सरकार. मामला जिला पार्षद के भवन के किराये का है. जिला पर्षद का तिमंजिला भवन, जिसमें नीचे से ऊपर तक विभिन्न सरकारी विभागों ने अनधिकृत रूप से कब्जा जमा रखा है. जिला पर्षद को इससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है,
लेकिन वह इस सरकारी मनमानी के आगे लाचार बना है.
जमे हैं 8-10 सालों से, लेकिन किराया एक पैसा नहीं : जिला पर्षद के भवन को अनधिकृत कब्जे से मुक्त कराने एवं बाजार दर से किराये का भुगतान बकाया समेत कराने का विभागीय आदेश भी धूल फांक रहा है. जिला पर्षद के भवन में पर्षद की अनुमति या स्वीकृति के बगैर ही लगभग आधा दर्जन सरकारी विभागों के दफ्तर खोल दिये गये. कोरीडोर के पैसेज को भी खाली छोड़ा गया. कई विभागों के अफसर तो आठ-10 सालों से जमे हैं, लेकिन ये विभाग किराये के रूप में जिला पर्षद को एक पैसा देना भी मुनासिब नहीं समझते. इससे जिला पर्षद को अभी तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है.
केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों का है कब्जा : भवन के प्रथम तल पर पुलिस विभाग का मालखाना है, जो अपना पांव पसारते जा रहा है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी कार्यालय, जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यालय और जिला शहरी विकास अभिकरण कार्यालय के अलावा केंद्र सरकार का प्रतिष्ठान बीएसएनएल ने भी भवन पर अपना कब्जा जमा रखा है. पंचायती राज विभाग भवन पर अपना कब्जा जमा रखा है. पंचायती राज विभाग भवन के ऊपरी तल्ले पर काबिज है. कल्याण विभाग और आपूर्ति विभाग के पदाधिकारी का कार्यालय इसमें 8 से 10 वर्षों से चल रहा है.
नहीं हुआ प्रधान सचिव के आदेश पर अमल : पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव की ओर से 2013 में ही जिलाधिकारी एवं डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने जिला पर्षद को पत्र भेज कर इस मामले में आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया था.
विगत 16 जुलाई ,2013 को जारी पत्र में कहा गया था कि सरकारी पदाधिकारियों एवं विभागों द्वारा जिला पर्षद की अनुमति के बगैर उनकी परिसंपत्ति पर कब्जा किये जाने से सरकार की छवि धूमिल होगी. इसके साथ ही जिला पर्षद को भी निरंतर वित्तीय नुकसान होता रहेगा. जिला पर्षद की परिसंपत्तियों पर अनधिकृत कब्जे को लेकर स्थानीय लेखा अंकेक्षण रिपोर्ट में भी ऑडिटर द्वारा चिंता प्रकट की गयी थी.
किराये के भुगतान का विभागीय आदेश फांक रहा धूल
सिर्फ डुडा ही करता है किराये का भुगतान
जिला पर्षद भवन के ग्राउंड फ्लोर पर जिला शहरी विकास अभिकरण का कार्यालय है. जिप ने अधिकृत रूप से एक कमरा डुडा कार्यालय के लिए दे रखा है, जिसका किराया प्रति माह पांच हजार रुपये निर्धारित है. डुडा किराये का भुगतान भी करता है. हालांकि इसने भी भवन की दूसरी मंजिल पर एक कमरा अनधिकृत रूप से अपने कब्जे में ले रखा है. बीएसएनएल ने भवन के ग्राउंड फ्लोर पर जेनेरेटर, छत पर टावर और बीच के कमरे में कंट्रोल रूम बना रखा है, लेकिन आज तक किराया कभी नहीं दिया.
विभाग ने दिया था किराया वसूली का निर्देश
विभाग के प्रधान सचिव ने यह आदेश दिया था बगैर उचित किराया भुगतान किये जिला पर्षद के जिस भवन या जमीन का उपयोग किया जा रहा है, उनके उपयोग की तिथि से अभी तक के किराये का बाजार दर से मूल्यांकन कराया जाये. इस आदेश पर भी अमल नहीं हो सका. इधर जिला पर्षद की ओर से भी संबंधित विभागों को तीन बार नोटिस जारी की गयी. अंतिम नोटिस भी दी गयी, लेकिन कब्जा जमाये पदाधिकारियों और विभागों ने इसका कोई जवाब भी नहीं दिया.

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