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डॉक्टर पर 6.75 लाख का जुर्माना

यूटरस निकालने से महिला की हो गयी थी मौत जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला हाजीपुर : राष्ट्रीय उपभोक्ता न्यायालय के आदेश पर एक मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने एक डॉक्टर को पौने सात लाख रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है. डॉक्टर पर आरोप है कि उसने बगैर क्लििनकल […]

यूटरस निकालने से महिला की हो गयी थी मौत
जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला
हाजीपुर : राष्ट्रीय उपभोक्ता न्यायालय के आदेश पर एक मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने एक डॉक्टर को पौने सात लाख रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है. डॉक्टर पर आरोप है कि उसने बगैर क्लििनकल जांच के मरीज का ऑपरेशन कर उसका युटरस निकाल दिया जिससे उसकी मौत हो गयी.
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष डीके शर्मा ने मुआवजे के रूप में 5.50 लाख रुपये, वाद व्यय के लिये 25 हजार रुपये और मानसिक क्षति के लिये एक लाख रुपये सहित कुल 6.75 लाख रुपये मृतका के पति को 45 दिनों के अंदर भुगतान करने का आदेश दिया है. 45 दिनों के अंदर भुगतान नहीं करने की स्थिति में 15 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि का भुगतान करना होगा.
क्या थी घटना : गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र के तेरसिया गांव निवासी चंद्रदीप दास की पत्नी गणेशी देवी को वर्ष 2004 में पेट में दर्द की शिकायत रहती थी. 29 नवंबर 2004 को वह शांति मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉ आलोक रंजन से इलाज कराने पहुंची. डॉक्टर ने उसे क्लिनीकल जांच के साथ ही अल्ट्रासाउंड कराने का निर्देश दिया. साथ ही बगैर रिपोर्ट आये पहले दिन ही उसके पुरजे पर ऑपरेशन की सलाह भी दर्ज कर दी.
जांच घर और अल्ट्रासाउंड वाले ने 1 दिसंबर 2004 को सब नार्मल होने की रिपोर्ट दी. जब वह डॉक्टर के पास रिपोर्ट लेकर पहुंची तब उसने रिपोर्ट की अनदेखी कर 9 दिसंबर 2004 को ऑपरेशन कर यूटरस निकाल दी. ऑपरेशन के बाद हालत खराब होने पर पटना में डॉ आर ठाकुर के यहां उसे इलाज के लिए लाया गया तो जांच के बाद उन्होंने कहा कि गलत ऑपरेशन के कारण यह स्थिति हुई है. उन्होंने एक और ऑपरेशन कर उसकी जान बचाने की कोशिश की लेकिन 30 जनवरी 2005 को उसकी मृत्यु हो गयी.
पहले जिला फोरम में दर्ज कराया मामला
पत्नी की मौत के बाद पति चंद्रदीप दास ने डॉक्टर की लापरवाही और आर्थिक शोषण के लिये अनावश्यक ऑपरेशन कर दिये जाने का आरोप लगाते हुए जिला उपभोक्ता फोरम में मामला दायर कर 5.50 लाख रुपये मुआवजे की मांग की.
जिला उपभोक्ता फोरम ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि वाद पत्र में अपेक्षित दस्तावेज संलग्न नहीं है. इसके बाद राज्य फोरम में अपील की तो वहां भी मामला खारिज हो गया. फिर उन्होंने राष्ट्रीय फोरम के सामने अपील दायर की. राष्ट्रीय फोरम ने जिला फोरम को आदेश दिया कि आवेदक के पास जो दस्तावेज हैं उन्हीं के आधार पर सुनवाई करे.
क्या हुआ आदेश
जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनवाई के दौरान हॉस्पिटल के इस तर्क को आधारहीन माना कि हॉस्पिटल ने ऑपरेशन की सलाह नहीं दी थी और यह केवल उस चिकित्सक की गलती है जिसने ऑपरेशन किया है. साक्ष्यों के आधार पर फोरम ने माना कि केवल आर्थिक शोषण के उद्देश्य से क्लिनीकल रिपोर्ट की अनदेखी कर ऑपरेशन किया गया जिससे मृत्यु हुई.

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