जिले में बढ़ रही है एनिमिया से पीड़ितों की संख्या
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एनिमिया से महिलाओं की जान पर आफत
जिले में बढ़ रही है एनिमिया से पीड़ितों की संख्या हाजीपुर : वैशाली जिले में काफी संख्या में महिलाएं एनिमिया से ग्रसित हो रही हैं. महिलाओं में खून की कमी की शिकायत यहां आम तौर पर पायी जा रही है. खान-पान में कमी, अनियमित आहार, आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण में गड़बड़ी और जागरूकता का […]
हाजीपुर : वैशाली जिले में काफी संख्या में महिलाएं एनिमिया से ग्रसित हो रही हैं. महिलाओं में खून की कमी की शिकायत यहां आम तौर पर पायी जा रही है. खान-पान में कमी, अनियमित आहार, आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण में गड़बड़ी और जागरूकता का अभाव होने के कारण जिले की लाखों महिलाएं एनिमिया से पीड़ित हैं.
खास कर ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाएं इसकी शिकार हो रही हैं. मालूम हो कि जिले में बीपीएल परिवारों की संख्या पांच लाख से ज्यादा है. इन परिवारों में गर्भवती महिलाओं के अंदर खून की कमी की शिकायत आम हो चली है. प्रसव पूर्व होनेवाली तीन प्रकार की जांच नहीं कराने और जांच के बाद भी चिकित्सीय परामर्श की अनदेखी के कारण भी यह समस्या बढ़ रही है. जानकारों का कहना है कि जिले में जननी सुरक्षा कार्यक्रम को प्रभावी ढ़ंग से लागू करने और गांव स्तर पर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है, ताकि लाखों महिलाओं का जीवन बचाया जा सके.
एनिमिया से कई महिलाओं की जा चुकी है जान :गर्भवती महिलाओं की जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं रक्त अल्पता की शिकार हैं. एनिमिया के कारण जिले में कई महिलाएं मौत के मुंह में समा चुकी हैं. चिकित्सक बताते हैं कि आयरन, प्रोटीन और विटामिन से ही शरीर में रक्त कणों का निर्माण होता है. इन तत्वों की कमी ही रक्त अल्पता का कारण बनती है. अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, इमली, हल्दी आदि के इस्तमेल के कारण भी शरीर में खून की कमी होने लगती है. रक्त अल्पता के कारण कई तरह की बीमारियां उत्पन्न होती हैं. पेट में कृमि की वजह से भी शरीर का खून धीरे-धीरे घटते जाता है.
सदर अस्पताल में नहीं हैं आयरन की गोलियां :एनीमिया से बचाव के लिए महिलाओं को फोलिक एसिड की गोलियां नियमित रूप से खानी है. गर्भ धारण के बाद सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड की 100 गोलियां नियमित रूप से खाने के लिए दी जाती हैं.
यह चिंताजनक बात है कि सदर अस्पताल के दवा वितरण केंद्र में बीते कई महीनों से आयरन की यह गोली उपलब्ध नहीं है. जबकि चिकित्सक कहते हैं कि रक्त अल्पता से बचाव के लिए आयरन की दवा, फोलिक एसिड आदि का सेवन लगातार करते रहना जरूरी है. इधर, अस्पताल में भीड़ इतनी अधिक होती है कि गर्भवती महिलाओं की जांच भी सही ढंग से नहीं हो पाती. हालांकि सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी तक जांच के लिए अलग से व्यवस्था की गयी है.
10 साल से चल रही है जननी, बाल सुरक्षा योजना :राज्य में जननी एवं बाल सुरक्ष योजना के शुरू हुए 10 साल हो गये. जुलाई 2006 से बिहार में यह योजना शुरू की गयी थी. माता एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव को प्रोत्साहित करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है. योजना के तहत प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं और आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.
ग्रामीण महिलाओं को 14 सौ रुपये और शहरी महिलाओं को 12 सौ रुपये का भुगतान किया जाता है. घरेलू प्रसव के लिए ग्रामीण या शहरी, दोनों क्षेत्र की महिलाओं को 500 रुपये की राशि दी जाती है. एक प्रसव के लिए आशा को ग्रामीण क्षेत्र में 600 रुपये तथा शहरी क्षेत्र में 200 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
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