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पीडि़ता को ससुराल पहुंचाने गयी पुलिस से मारपीट
25 फरवरी को पुलिस पीड़िता को ससुराल पहुंचाने गयी थी, सरकार घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण का अधिकार कानून बना कर उनके संरक्षण का दावा कर रही है, लेकिन हालात यह हैं कि न्यायालय के आदेश के बाद पीड़िता को ससुराल वाले न केवल घर में रखने से इनकार कर रहे हैं बल्कि दूसरी […]
25 फरवरी को पुलिस पीड़िता को ससुराल पहुंचाने गयी थी,
सरकार घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण का अधिकार कानून बना कर उनके संरक्षण का दावा कर रही है, लेकिन हालात यह हैं कि न्यायालय के आदेश के बाद पीड़िता को ससुराल वाले न केवल घर में रखने से इनकार कर रहे हैं बल्कि दूसरी बार पहुंचाने गयी पुलिस के साथ मारपीट भी की. इसके पूर्व 25 फरवरी को जब पुलिस पीड़िता को ससुराल पहुंचाने गयी थी, तब ससुरालवालों ने घर में ताला बंद कर उसे बाहर से ही लौटने पर विवश कर दिया था और पीड़िता एवं पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा था.
हाजीपुर : न्यायालय के आदेश पर ससुराल गयी विवाहिता को ससुराल वालों ने मारपीट कर भगाने का प्रयास किया और जब मौके पर पुलिस पहुंची तो उसके साथ भी मारपीट की. विवाहिता के साथ मारपीट कर रहे देवर और ससुर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. थाने पर लाकर दोनों को समझाने-बुझाने के बाद पीड़िता को प्रताड़ित नहीं करने का निर्देश देकर छोड़ दिया. वहीं न्यायालय के आदेश पर पुलिस बल के साथ ससुराल रहने पहुंची विवाहिता विवश होकर मायके लौट गयी. इस दौरान प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी मूकदर्शक बने रहे और बगैर आदेश का अनुपालन कराये ही वापस हो गये.
क्या है मामला : पटना जिले के लोदीकतरा मुहल्ला निवासी गोरख प्रसाद की पुत्री पम्मी सोनी की शादी शहर के गुदरी बाजार निवासी स्वर्ण व्यवसायी एवं पतालेश्वर ज्वेलर्स एवं सोनी एंड संस के मालिक सुनील कुमार सोनी के पुत्र मनीष कुमार सोनी के साथ वर्ष 2010 में हुई थी.
शादी के बाद ससुराल वालों की दहेज प्रताड़ना से तंग आकर सोनी ने ससुराल वालों के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था और केस के डर से ससुराल वालों ने उस मामले में पम्मी से सुलह कर उसे अपने घर ले गये. लेकिन उस मामले में जमानत मिलते ही ससुराल वालों ने उसे दो साल की बेटी के साथ दहेज की मांग को लेकर मारपीट कर घर से बाहर कर दिया.
क्या और किसका है आदेश : ससुराल से बाहर निकाले जाने के बाद पम्मी सोनी ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनयम 2005 की धारा 12 के अंतर्गत परिवाद पत्र संख्या 3971/13 दाखिल किया. इस मामले में पीड़िता ने न्यायालय से अपनी ससुराल में रहने की इच्छा जताते हुए संरक्षण की मांग की.
मामले की सुनवाई और महिला हेल्प लाइन के प्रतिवेदन के बाद अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय ने 24 जनवरी ,2014 को पीड़िता के पति को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी को अपने घर में रहने के लिए जगह दे और उस मकान की समुचित मरम्मत कराता रहे. इसके साथ ही पीड़िता और उसकी पुत्री के भरण-पोषण के लिए प्रत्येक माह 12 हजार रुपये दे और यह सुनिश्चित करे कि उसकी प्रताड़ना न हो.
क्यों हुआ बवाल : अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी राजेश पांडेय ने आवेदिका और विपक्षी के आवेदन के आलोक में पांच फरवरी को महिला हेल्प लाइन को आदेश दिया कि वह पीड़िता को उसकी ससुराल में सुरक्षित रहने की व्यवस्था करे और न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कराये.
न्यायालय के आदेश के आलोक में हेल्प लाइन ने नगर थाना से आदेश के अनुपालन में सहयोग का निर्देश दिया. गत 25 फरवरी को जब न्यायालय द्वारा पारित आदेश के आलोक में पुलिस पीड़िता को ससुराल पहुंचाने गयी थी तब ससुराल वालों ने घर में ताला बंद कर पीड़िता पम्मी सोनी को घर में घुसने तक नहीं दिया था. इस घटना के बाद पम्मी सोनी ने न्यायालय से न्याय की गुहार लगायी थी. पम्मी के आवेदन के आलोक में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी एक मार्च को पारित अपने आदेश में एसपी वैशाली को आदेश दिया था कि हर हाल में न्यायालय के पूर्व के आदेश का पालन कराया जाये.
पहुंचाने गयी पुलिस के साथ मारपीट : आदेश का अनुपालन कराने जब नगर पुलिस, महिला हेल्प लाइन के पदाधिकारी एवं प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी गुदरी बाजार में स्थित पम्मी की ससुराल पहुंचे, तब ससुराल वाले घर में ताला बंद कर फरार हो गये. दंडाधिकारी की उपस्थिति में पुलिस ने घर का ताला तोड़कर पम्मी सोनी को छोड़ कर वापस आ गयी.
कुछ ही देर बाद यानी पुलिस के जाते ही पम्मी के ससुरालवाले पम्मी के साथ मारपीट करने लगे और गला दबा कर उसकी हत्या का प्रयास करने लगे. तब एक बार फिर नगर पुलिस वहां पहुंची. पुलिस के वहां पहुंचते ही ससुरालवाले पुलिस के साथ मारपीट करने लगे. नगर पुलिस ने धैर्य का परिचय देते हुएमारपीट करनेवालों को हिरासत में ले लिया.
क्या कहती है पीड़िता
घटना की जानकारी अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय को दूंगी और न्यायालय के आदेश का पालन करूंगी. अपने बच्चे और अपने सुरक्षित जीवन के लिए संघर्ष करूंगी.
पम्मी सोनी
क्या कहते हैं अधिवक्ता
न्यायालय द्वारा पारित संरक्षण आदेश के अनुपालन में बाधा उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध न्यायालय गैर जमानतीय वारंट जारी कर सकता है. इसके लिए न्यायालय से आग्रह किया जायेगा.
रंजीत कुमार
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