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भगवान भरोसे चल रहा बिदुपुर पीएचसी

आठ पदस्थापित चिकित्सक में से प्रत्येक दिन केवल एक आते हैं बिना ड्रेसर और स्वास्थ्य निरीक्षक के चल रहा पीएचसी चिकित्सक आवास है पूरी तरह बदहाल बदहाली देखनी है, तो चले आइए बिदुपुर अस्पताल. आठ बेड वाले इस पीएचसी में रोगी कल्याण समिति द्वारा भले ही 18 बेड लगा दिये गये हैं, लेकिन मरीजों के […]

आठ पदस्थापित चिकित्सक में से प्रत्येक दिन केवल एक आते हैं

बिना ड्रेसर और स्वास्थ्य निरीक्षक के चल रहा पीएचसी
चिकित्सक आवास है पूरी तरह बदहाल
बदहाली देखनी है, तो चले आइए बिदुपुर अस्पताल. आठ बेड वाले इस पीएचसी में रोगी कल्याण समिति द्वारा भले ही 18 बेड लगा दिये गये हैं, लेकिन मरीजों के इलाज के लिए दिन भर मारा-मारी लगी रहती है. अस्पताल में एक भी नेत्र चिकित्सक नहीं होने की वजह से आंख के मरीजों को खाली बैरंग लौटना पड़ता है.
बिदुपुर : अस्पताल में आठ चिकित्सक कार्यरत जरूर हैं, लेकिन ओपीडी में प्रत्येक दिन केवल एक ही चिकित्सक के सहारे लगभग तीन सौ मरीजों का बेड़ा पार लगता है. कई बार प्रखंड प्रमुख, सिविल सर्जन एवं जिलाधिकारी का औचक निरीक्षण के क्रम में फरार पाये जाने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की खानापूर्ति कर मात्र एक दिन का वेतन काटा गया, इससे चिकित्सक निर्भीक होकर दूसरी जगहों या निजी क्लिनिकों में धड़ल्ले से कार्य करते हैं.
जीवनरक्षक दवाओं का है अभाव: पीएचसी में कुछ दवा तो मरीजों को उपलब्ध करायी जाती है, लेकिन कई जीवन रक्षक दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ संजय दास ने बताया कि अस्पताल में कुछ जरूरी दवा को छोड़ जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है.
स्वास्थ्य कर्मियों की है कमी: अस्पताल में ड्रेसर के दो पद, स्वच्छता निरीक्षक के एक पद, हेल्थ मैनेजर के एक पद, महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक, स्वीपर और चालक के एक-एक पद खाली पड़े हैं. अस्पताल सूत्रों की मानें तो रात्रि में इमरजेंसी मरीज अस्पताल में आ जाने पर चिकित्सकों को ड्रेसर के अभाव में विवश होकर बाहरी दवा दुकानदारों का सहारा लेना पड़ता है.
जगह की भी है कमी : 60 एएनएम कार्यरत वाले इस पीएचसी के पास सही से कर्मचारियों के बैठने के लिए भी अपना भवन नहीं है,
लेकिन दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 28 उपकेंद्र जरूर हैं. तीन लाख की आबादी वाले क्षेत्र के इस अस्पताल में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के कोष से वर्षों पूर्व भवन बने थे, लेकिन अब वह भी काफी जर्जर अवस्था में हैं और मरम्मत के अभाव में दीवारें जगह-जगह फट गयी हैं.
इस अस्पताल में चहारदीवारी नहीं है और इस कारण रात्रि में यहां रहने वाले मरीजों में असुरक्षा की भावना बनी रहती है. बहरहाल सुविधाओं के अभाव में फटेहाल बिदुपुर पीएचसी भगवान भरोसे चल रहा है.

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