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सुपौल में खुलेगी सहकारी बैंक शाखा

कार्यक्रम. कार्यशाला सह संगोष्ठी का व्यवस्था देख मंत्री ने जतायी नाराजगी सहकारिता कार्यशाला सह कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि सुपौल जिला समाजवादियों की धरती रही है. बिहार सरकार द्वारा विकेंद्रिकृत तरीके से फसल अधिप्राप्ति का शुभारंभ किया गया. जो देश भर के राज्यों के बीच मिसाल बना हुआ […]

कार्यक्रम. कार्यशाला सह संगोष्ठी का व्यवस्था देख मंत्री ने जतायी नाराजगी

सहकारिता कार्यशाला सह कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि सुपौल जिला समाजवादियों की धरती रही है. बिहार सरकार द्वारा विकेंद्रिकृत तरीके से फसल अधिप्राप्ति का शुभारंभ किया गया. जो देश भर के राज्यों के बीच मिसाल बना हुआ है.
सुपौल : स्थानीय गांधी मैदान परिसर में रविवार को सहकारिता कार्यशाला सह कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज कुमार झा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता, संयुक्त निबंधक ललन कुमार शर्मा, उप सचिव राजेंद्र राम, जदयू जिलाध्यक्ष राम विलास कामत, कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश मिश्र, राजद प्रदेश महासचिव सियाराम यादव, जितेंद्र झा, मित्तन प्रसाद यादव, जिला उद्यान पदाधिकारी ज्ञान चंद, सहकारी संघ के सत्यनारायण सहनोगिया सहित अन्य उपस्थित थे.
कार्यशाला का शुभारंभ मंत्री श्री मेहता सहित अन्य विशिष्ट जनों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. इसके उपरांत स्वागत भाषण देते डीसीओ श्री झा ने कहा कि जिले में 181 पैक्स है. सभी 11 प्रखंडों में व्यापार मंडल भी निबंधित है. साथ ही 10 मत्स्यजीवी सहयोग समिति भी संचालित है. जबकि चार विशेष सहयोग समिति का भी संचालन किया जा रहा है. जिला सहकारी समिति बैंक शाखा का निबंधन हो चुका है. वहीं कार्यशाला में किसानों की स्थिति ना के बराबर थी.
उपस्थिति काफी कम रहने के कारण खुले मंच से ही मंत्री श्री मेहता व संयुक्त निबंधक श्री शर्मा ने संबंधितों के प्रति नाराजगी जाहिर किया. साथ ही सख्त लहजे में संबंधितों को आदेशानुसार कार्य संपन्न कराये जाने का निर्देश दिया.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री श्री मेहता ने कहा कि सुपौल जिला समाजवादियों की धरती रही है. बिहार सरकार द्वारा विकेंद्रिकृत तरीके से फसल अधिप्राप्ति का शुभारंभ किया गया. जो देश भर के राज्यों के बीच मिसाल बना हुआ है. कहा कि सूबे में आठ हजार 463 पैक्स संचालित है. जहां सात हजार पैक्स द्वारा धान की अधिप्राप्ति हो रही है. बताया कि इस वर्ष विभिन्न पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा अब तक 13:50 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हुई है.
जबकि बीते वर्ष किसानों से 11 लाख मीट्रिक टन धान का क्रय किया गया था. कहा कि इस विकास के दौर में साल-दर-साल एक से दो लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की बढ़ोतरी हो रही है. कहा कि किसानों को फसल की कीमत ससमय उपलब्ध हो, इसे लेकर सरकार द्वारा जिले के किसानों के निमित्त सहकारी बैंक शाखा संचालित कराये जाने हेतु विशेष पहल किया जा रहा है. कहा कि सूबे के 22 जिले में सहकारी बैंक शाखा संचालित है. जहां सरकार द्वारा तीन अन्य जिले का चयन भी किया गया है, जिसमें सुपौल जिला भी शामिल है.
अंकेक्षण कार्य में शिथिलता : कार्यशाला को जानकारी दी गयी कि सहकारी बैंक शाखा संचालित करने के लिए पैक्स का अंकेक्षण कार्य कराया जाना जरूरी है. लेकिन अब तक 140 पैक्स के अंकेक्षण का कार्य कराया गया है. जिसमें से मात्र 72 पैक्स का ही अंकेक्षण प्रतिवेदन कार्यालय को प्राप्त हुआ है. जहां संयुक्त निदेशक ललन कुमार शर्मा ने कहा कि सभी पैक्स अध्यक्ष ससमय अंकेक्षण का कार्य पूर्ण करावें. अन्यथा नये नियम के तहत संबंधितों पर प्राथमिकी दर्ज कराये जाने की कार्रवाई करायी जायेगी. जहां उक्त मामले में नियम के मुताबिक एक वर्ष के कारावास का भी प्रावधान है.
उन्होंने ससमय अंकेक्षण कार्य पूर्ण नहीं कराने वाले के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के उपरांत संबंधित पैक्स का बैंक के अभिलेख के आधार पर अंकेक्षण कराया जायेगा. श्री शर्मा ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि जिले में 181 पैक्स है. जहां सभी पैक्स संचालक के माध्यम से 10-10 किसानों को भी कार्यशाला में शामिल किया जाता तो इस संगोष्ठी में सैकड़ों किसानों की मौजूदगी होती. वहीं विभागीय पदाधिकारियों से कहा कि वे इस आयोजन से पूर्व स्थितिगत जायजा लेते हुए संबंधितों को निर्देश दिया था. बावजूद इसके काफी कम उपस्थिति होना कार्यशाला सह संगोष्ठी के नाम पर क्रूर मजाक किया गया है.
देने पहुंचे थे आईसीडीपी योजना की जानकारी
मंत्री श्री मेहता ने बताया कि वे इस कार्यशाला के माध्यम से पैक्स अध्यक्ष व किसानों को आईसीडीपी योजनाओं की जानकारी देने पहुंचे थे. लेकिन स्थानीय पदाधिकारी व जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण कार्यशाला में किसानों की भागीदारी अपेक्षित नहीं है. जो काफी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि आईसीडीपी के बारे में यहां के लोग सिर्फ गोदाम का निर्माण व मिल की स्थापना तक ही जान रहे हैं. लेकिन उक्त योजना को आकर्षक मॉडल के रूप में विस्तार किया गया है.
इस योजना में सरकार द्वारा मछली पालन, डेयरी प्रोजेक्ट, चावल मिल, दाल मिल, घानी तेल उद्योग को शामिल किया गया है. साथ ही इसकी स्थापना करने में संबंधितों को कुल लागत का 50 प्रतिशत ऋण व 25 प्रतिशत अनुदान दिये जाने का भी प्रस्ताव है. कहा कि उक्त कार्य को हरेक पंचायतों में स्थापित कर सकते हैं. जहां व्यापक पैमाने पर रोजगार भी उपलब्ध होगा. उन्होंने कहा कि उक्त कार्य में जीविका दीदीयों की भी सहभागिता होगी. ताकि महिला उद्योग को भी व्यापक तरीके से बढ़ावा मिल सके. मौके पर उन्होंने सरकार द्वारा तैयार किये गये कृषि रोड मेप का भी जिक्र किया.
फसल बीमा कार्य पर प्रतिकूल असर
संगोष्ठी में इस मसले पर भी चर्चा हुई कि जिले में सहकारी बैंक शाखा नहीं रहने के कारण किसानों के फसल पर मिलने वाली कीमतों का भुगतान राज्य सहकारी बैंक बीहट द्वारा कराया जा रहा है. जिस कारण संबंधित किसानों को राशि भुगतान में काफी विलंब का सामना करना पड़ रहा है. वहीं फसल बीमा पर भी इसका प्रतिकूल असर दिख रहा है. संगोष्ठी को यह भी बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष में खरीफ फसल में महज 11 किसानों ने अपने फसलों का बीमा कराया. वहीं रबी फसल में एक भी किसानों ने फसलों का बीमा नहीं कराया है. जिसका मुख्य कारण सहकारी बैंक शाखा का ना होना बताया.
35 फीसदी को मिल रहा अपना चावल
मंत्री ने कहा कि कई वर्ष पूर्व तक सूबे में संचालित जन वितरण प्रणाली के दुकान से गरीब- गुरवे को पंजाब प्रांत से तैयार चावल उपलब्ध कराया जाता था. बताया कि 90 फीसदी चावल पंजाब प्रांत का होता था. महज दस फीसदी चावल ही अपने प्रदेश का होता था. यहां तक कि किसानों को फसल में लगाये गये लागत व मेहनत अनुरूप कीमत नहीं मिल रहा था. कहा कि सूबे के मुखिया ने विशेष पहल करते हुए स्थानीय स्तर पर संचालित सभी पैक्स को सशक्त बनाया.
जहां अब किसानों को फसल पर अधिक से अधिक लाभ उपलब्ध कराया जा रहा है. बताया कि पैक्स व व्यापार मंडल की सक्रियता से अपने यहां की फसल को स्थानीय स्तर पर तैयार करवाया जा रहा है. जहां उक्त तैयार चावल से सूबे के 35 फीसदी परिवारों को जन वितरण प्रणाली के माध्यम से इसका लाभ मिल रहा है.

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