बालिका मध्य विद्यालय सुपौल का नाम कहीं भी अंकित नहीं है और न ही जिले में स्थित है. फिर भी उसे भी प्रस्ताव में शामिल कर लिया गया और स्कूल निर्माण का भी आदेश भेज दिया गया.
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बिना जमीन के हो गया उत्क्रमित अजूबा. धरातल पर विद्यालय का अस्तित्व नहीं
बालिका मध्य विद्यालय सुपौल का नाम कहीं भी अंकित नहीं है और न ही जिले में स्थित है. फिर भी उसे भी प्रस्ताव में शामिल कर लिया गया और स्कूल निर्माण का भी आदेश भेज दिया गया. सुपौल : शिक्षा विभाग का विवादों से करीब का रिश्ता हमेशा से रहा है. लेकिन इस बार विभाग […]
सुपौल : शिक्षा विभाग का विवादों से करीब का रिश्ता हमेशा से रहा है. लेकिन इस बार विभाग द्वारा जो कारनामा किया गया है, वह हैरतअंगेज के साथ-साथ अजूबा भी है. इस कारनामे में विभाग के वरीय अधिकारियों की भी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. दरअसल अजूबा यह है कि जो योजना नगर क्षेत्र के लिये बनी ही नहीं है, उस योजना को सरजमीं पर उतारने की कोशिश की जा रही है. मामला उच्च विद्यालय विहीन पंचायतों से जुड़ा हुआ है,
जहां उच्च विद्यालय की स्थापना की जानी है. इसके लिये जिले से 127 विद्यालयों की प्रस्तावित सूची भेजी गयी थी. लेकिन हैरानी की बात यह है कि सूची में जो विद्यालय प्रस्तावित नहीं था, उसे भी प्रस्ताव में शामिल कर लिया गया और स्कूल निर्माण का भी आदेश भेज दिया गया. कमाल तो स्थानीय शिक्षा विभाग ने किया कि बिना मांगे विद्यालय मिलने के बाद ना केवल छात्राओं का नामांकन हुआ, बल्कि शिक्षकों की भी नियुक्ति हो गयी. धरातल पर विद्यालय का अस्तित्व नहीं है. इसलिए विद्यालय के निर्माण पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है.
हाई स्कूल विहीन पंचायतों के लिये बनी थी योजना : केंद्र सरकार के निर्णय के आलोक में राज्य सरकार द्वारा सभी पंचायतों को एक-एक माध्यमिक विद्यालय से आच्छादित करने का निर्णय लिया गया. इस उद्देश्य को अमलीजामा पहनाने के लिये राज्य सरकार द्वारा संकल्प संख्या 1021 दिनांक पांच जुलाई 2013 के दौरान पंचायतों में माध्यमिक विद्यालय खोलने के लिये निति निर्धारण एवं मापदंड तय किया गया. इसके लिये राज्य सरकार द्वारा डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी गठन कर हाई स्कूल विहीन पंचायतों में मध्य विद्यालय को हाई स्कूल में उत्क्रमित करने के लिये प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया. कमेटी ने 127 पंचायत को चिन्हित करते हुए प्रस्तावित सूची को राज्य सरकार को भेजा.
बिना प्रस्ताव मिली विद्यालय की स्वीकृति
जिला पदाधिकारी के हस्ताक्षर युक्त सूची जो राज्य को भेजी गयी, उसमें बालिका मध्य विद्यालय सुपौल का नाम कहीं भी अंकित नहीं है. खास बात यह है कि इस नाम का विद्यालय सुपौल जिला में स्थित भी नहीं है. दूसरी बात यह है कि यह योजना शहरी क्षेत्र के लिये नहीं है. बावजूद निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने अपने ज्ञापांक 281 दिनांक 04 मार्च 2014 द्वारा 131 विद्यालय को उत्क्रमित करने की स्वीकृति प्रदान की, जिसमें सूची के क्रमांक 83 पर बालिका मध्य विद्यालय सुपौल का नाम दर्ज है. जबकि इस विद्यालय के लिये ना तो प्रस्ताव भेजा गया था और ना ही इस विद्यालय का अस्तित्व है.
निकाली गयी निविदा
दरअसल सुपौल में बालिका मध्य विद्यालय नाम का कोई स्कूल ही नहीं है. नगर परिषद क्षेत्र में राजकीय कन्या मध्य विद्यालय नाम का विद्यालय अवस्थित है. इसी विद्यालय को बालिका मध्य विद्यालय मानते हुए उत्क्रमित कर दिया और भवन निर्माण के लिये निविदा भी निकाल दी गयी. कार्य का आवंटन हुआ और जब भवन निर्माण हेतु स्थल पर अभियंता पहुंचे तो उन्होंने ना तो उस नाम का विद्यालय पाया और ना ही सरकार द्वारा निर्धारित शर्त, विद्यालय के पास एक से डेढ़ एकड़ भूमि, आधारभूत संरचना को विकसित करने के लिये न्यूनतम 40 डिसमिल जमीन भी खाली पाया. हैरानी की बात यह है कि विभाग द्वारा पूर्व से निर्मित मकान को ही नये मकान के निर्माण के लिये ध्वस्त कर दिया गया.
इस तरह की विद्यालय की सूचना मुझे अब तक नहीं है. मामले की जांच करा कर वरीय अधिकारियों को सूचित किया जायेगा और दिशा निर्देश किया जायेगा.
मो हारूण रशीद, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सुपौल
विद्यालय को न्यूनतम जमीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए भवन निर्माण कार्य आरंभ नहीं हो सका. इस संबंध में वरीय अधिकारियों को सूचना दे दी गयी है.
अनिल कुमार, कार्यपालक संरचना आधारभूत संरचना, सहरसा
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