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उर्दू के शिक्षक ने अंगरेजी व संस्कृत की कॉंपियां जांचीं
घोटाले का सुपौल कनेक्शन. वैकल्पिक नियुक्ति में न तो रिक्ति का ख्याल रखा गया और न ही विषय का ध्यान सुपौल में मूल्यांकन केंद्रों पर जूनियर और नियोजित शिक्षक को परीक्षक बनाया सुपौल : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने काॅपी जांच के लिए सुपौल जिले के माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों को प्रधान परीक्षक […]
घोटाले का सुपौल कनेक्शन. वैकल्पिक नियुक्ति में न तो रिक्ति का ख्याल रखा गया और न ही विषय का ध्यान
सुपौल में मूल्यांकन केंद्रों पर जूनियर और नियोजित शिक्षक को परीक्षक बनाया
सुपौल : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने काॅपी जांच के लिए सुपौल जिले के माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों को प्रधान परीक्षक व परीक्षक नियुक्त किया था, लेकिन बोर्ड द्वारा नियुक्त परीक्षकों में बड़े पैमाने पर बोर्ड के दिशा निर्देश का उल्लंघन किया गया. सुपौल जिले के कई वरीय शिक्षक को परीक्षक नहीं बना कर कनीय व नियोजित शिक्षक को परीक्षक बनाया गया. इतना ही नहीं परीक्षक नियुक्त करने में विषय को भी नजर अंदाज किया गया.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि मूल्यांकन केंद्र निदेशक द्वारा परीक्षकों की रिक्ति के विरुद्ध वैकल्पिक व्यवस्था के तहत परीक्षक नियुक्त करने में मनमानी रवैया अपनाया गया. बोर्ड का स्पष्ट निर्देश था कि मूल्यांकन केंद्र निदेशक संबंधित डीइओ की सहमति से आकस्मिता की स्थिति में योग्य परीक्षक की वैकल्पिक नियुक्ति करेंगे, लेकिन केंद्र निदेशक द्वारा न तो रिक्ति का खयाल रखा गया और न ही शिक्षक के नियुक्ति के विषय को ध्यान में रखा गया.
कई परीक्षकों पर गिर सकती है गाज: बिहार बोर्ड द्वारा नियुक्त किये गये कई प्रधान परीक्षक व परीक्षकों ने बिहार बोर्ड के आदेश का उल्लंघन कर मूल्यांकन केंद्र पर योगदान नहीं किया.
इसके कारण कई विषयों में परीक्षकों की कमी हो गयी. जिले के दोनों मूल्यांकन केंद्र पर लगभग छह सौ परीक्षकों ने मूल्यांकन का कार्य किया. मूल्यांकन केंद्र निदेशक द्वारा स्थानीय स्तर पर परीक्षकों के नियुक्ति में भी नियम एवं दिशा निर्देश का उल्लंघन किया गया. परीक्षकों की नियुक्ति में केंद्र निदेशक द्वारा न तो शिक्षकों के वरीयता का ख्याल रखा गया और न ही शिक्षकों नियुक्ति के विषय को ही आधार बनाया गया. एक ही परीक्षक से दो-दो विषयों के काॅपी की जांच करवायी गयी. उर्दू के शिक्षक द्वारा अंग्रेजी व संस्कृत के काॅपी की जांच की गयी, जबकि हिंदी के शिक्षक ने समाजिक विज्ञान की काॅपियों का मूल्यांकन किया.
शिक्षकों ने भी मूल्यांकन केंद्र निदेशक को अपने दिये गये आवेदन में भी अपने विषय को छिपा कर दूसरे विषयों की काॅपी जांच करने के लिए नियुक्ति पत्र प्राप्त कर लिया. स्क्रूटनी के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. काॅपी के अंदर के अंक व ऊपरी भाग में किये गये कुल अंक में अंतर पाया गया है.
एसडीओ द्वारा पकड़ी गयी थी गड़बड़ी : स्वच्छ व गुणवत्तापूर्ण उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए बिहार बोर्ड ने डीएम की देखरेख में मूल्यांकन का कार्य संपन्न कराने का निर्देश दिया था. मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन अवधि में सीसीटीवी कैमरा केंद्र के बाहर एवं मूल्यांकन कक्ष में लगाने का निर्देश दिया गया था. सीसीटीवी कैमरा का प्रसारण डीएम के जिला नियंत्रण कक्ष अथवा उनके द्वारा प्रतिनियुक्त पदाधिकारी के समक्ष करने का निर्देश दिया गया था.
मूल्यांकन केंद्र पर मूल्यांकन अवधि के लिए दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल की भी व्यवस्था की गयी थी. जिला मुख्यालय स्थित विलियम्स उच्च विद्यालय मूल्यांकन केंद्र पर सदर एसडीओ ने निरीक्षण के दौरान कई परीक्षकों को बिना काॅपी जांच किये ही सीधे मूल पृष्ठ पर अंक देते पकड़ा था, लेकिन मूल्यांकन में शामिल सभी परीक्षकों ने एकजुट होकर मूल्यांकन कार्य को बहिष्कार करते हुए डीएम से मिल कर एसडीओ को मूल्यांकन केंद्र पर जाने पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था. जिसके बाद एसडीओ ने भी मूल्यांकन केंद्र पर जाने से परहेज किया और परीक्षकों के द्वारा मनमाने तरीके से काॅपियों की जांच पूरी की गयी.
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