फोटो -9कैप्सन- प्रवचन करते पंडित सुनील शर्मा पीपरा मानव जीवन में किया गया सर्वश्रेष्ठ कर्म ही यज्ञ है. यह बातें गायत्री शक्ति पीठ के संत व टोली नायक पंडित सुनील शर्मा ने बुधवार को महेशपुर में प्रवचन के दौरान कही. 24 कुंडीय महायज्ञ के मौके पर उन्होंने कहा कि यज्ञ शब्द संस्कृत के यज धातु से बना है, जिसका अर्थ है सत्कर्म, परमार्थमय एवं पुरूषार्थ.उन्होंने कहा कि जब-जब मानव अपने धर्म से भटक कर और नैतिक जिम्मेवारियों को भूल कर अनैतिक और अधार्मिक कार्यों में संलग्न होने लगता है, तब-तब धर्म की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए परमात्मा की चेतना धरती पर अवतरित होती है.उदाहरण स्वरूप रावण, कौरव व कंस जैसे अधर्मियों से पृथ्वी को छुटकारा दिलाने हेतु भगवान ने राम और कृष्ण का रूप धारण किया.उन्होंने कहा कि वर्तमान समाज में अब असुर शरीर धारी नहीं रहे बल्कि इंसान के बुद्धि और चिंतन को भ्रष्ट कर उनसे अनैतिक कार्य करवा रहा है.इन्हीं का अंत करने के लिए भगवान प्रज्ञा अवतार बन कर आये हैं.संत ने गायत्री मंत्र को सद्बुद्धि जागृत करने वाला महा मंत्र बताया.कहा कि इसके जाप से दुर्बुद्धि का विनाश होता है.उन्होंने कहा कि युग शक्ति गायत्री ही प्रज्ञा शक्ति है जो युग परिवर्तन की शक्ति प्रदान करेगा.इस मौके पर मायाचंद, यशवंत कुमार, शिव नारायण साह, प्रवीण कुमार पप्पू, श्रवण चौधरी, पवन कुमार, राज कुमार, सुलोचना देवी, सीता देवी, इंद्रकला देवी, सुनील कुमार, महेश जायसवाल समेत बड़ी संख्या में गायत्री परिवार के सदस्य उपस्थित थे.
गायत्री युग परिवर्तन की शक्ति प्रदान करता है : शर्मा
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