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आइसीडीएस ने ससमय रिक्तियों को वेबसाइट पर नहीं किया अपलोड, अधर में लटका चयन

सुपौल : आइसीडीएस निदेशालय पटना द्वारा अंतिम विज्ञापन प्रकाशित किये जाने के बावजूद डीपीओ द्वारा विभागीय साइट पर रिक्ति अपलोड नहीं किये जाने के कारण जिले के 200 आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका का चयन अधर में लटक गया. वहीं बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिये सरकार द्वारा चलायी जा रही महत्वाकांक्षी योजना पर भी ग्रहण लगता […]

सुपौल : आइसीडीएस निदेशालय पटना द्वारा अंतिम विज्ञापन प्रकाशित किये जाने के बावजूद डीपीओ द्वारा विभागीय साइट पर रिक्ति अपलोड नहीं किये जाने के कारण जिले के 200 आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका का चयन अधर में लटक गया. वहीं बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिये सरकार द्वारा चलायी जा रही महत्वाकांक्षी योजना पर भी ग्रहण लगता दिख रहा है.

इस बाबत दायर परिवाद की सुनवाई के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने जिले के डीपीओ सहित सभी 11 सीडीपीओ के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा डीएम एवं समाज कल्याण विभाग पटना के अवसर मुख्य सचिव से की है.
विभाग ने दिया था निर्देश : आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के सभी रिक्त पदों पर चयन कार्य पूर्ण करने के लिये निदेशक आइसीडीएस ने जिले के सभी डीपीओ एवं सीडीपीओ को पत्र लिख कर दिशा-निर्देश दिया था. जिसमें कहा गया था कि विज्ञापन प्रकाशन हेतु यह अंतिम अवसर है. अत: सभी डीपीओ एवं सीडीपीओ सभी रिक्तियों को साइट पर अपलोड कर देंगे.
डीपीओ के कार्यालय स्तर पर भी रिक्तियों की अपलोडिंग की जायेगी. इसमें केंद्रों की रिक्ती, मेधा सूची का प्रकाशन, आमसभा की तिथि, बाहुल्य वर्ग, स्थल, आमसभा की पूर्व सूचना से संबंधित सूचना सीडीपीओ कार्यालय तथा प्रखंड कार्यालय के सूचना पट्ट पर प्रकाशित करना अनिवार्य है.
वेबसाइट पर नहीं किया गया रिक्ति अपलोड : विज्ञापन के अनुसार पहले आवेदन की तिथि 23 दिसंबर से 06 जनवरी तक निर्धारित की गयी थी. जिसे निदेशालय द्वारा पुन: 20 जनवरी 2020 तक बढ़ा दिया गया.
निदेशक ने डीपीओ एवं सीडीपीओ को समय सीमा के अनुसार आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका का चयन सुनिश्चित करने का आदेश दिया. कहा कि इसमें किसी तरह की लापरवाही को गंभीरता से ली जायेगी. बावजूद डीपीओ व सीडीपीओ द्वारा वेबसाइट पर रिक्ति अपलोड नहीं किया गया. जिसके कारण अभ्यर्थी उक्त पद पर आवेदन नहीं कर पाए. जबकि इसी अवधि में सूबे के अन्य जिलों में रिक्ति अपलोड कर दी गयी.
आरटीआइ कार्यकर्ता ने दायर किया था परिवाद : मामले को लेकर भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान के आरटीआइ कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने गत 28 दिसंबर को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष एक परिवाद दायर किया एवं ससमय सेविका-सहायिका के चयन की गुहार लगायी.
में बताया गया कि जिले में लगभग 200 पद रिक्त हैं. श्री सिंह का आरोप था कि लोक प्राधिकार ने जान बूझ कर सरकार के निर्देश का उल्लंघन का चयन प्रक्रिया पूरी नहीं की. इस वजह से महिला बेरोजगारों को रोजगार से वंचित होना पड़ा.
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने डीपीओ एवं सभी सीडीपीओ को बताया दोषी, की कार्रवाई की अनुशंसा
आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा दायर परिवाद की सुनवाई के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने दिया आदेश
डीपीओ एवं सीडीपीओ को बताया दोषी
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अशोक कुमार झा ने परिवाद की सुनवाई के बाद अंतिम आदेश पारित किया. जिसमें उन्होंने कहा कि आइसीडीएस के डीपीओ एवं सभी सीडीपीओ ने विभागीय निर्देश का उल्लंघन किया है. जबकि तीव्र तकनीकी के समय में परियोजनाओं से रिक्ति संग्रहण करके अपलोड संभव था. लेकिन डीपीओ एवं उनके अधिनस्त सभी सीडीपीओ ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण सेविका-सहायिका चयन की कार्रवाई प्रारंभ नहीं हो सकी.
इसमें डीपीओ की कर्तव्यहीनता स्पष्टतया परिलक्षित होती है. उन्होंने डीपीओ एवं जिले के सभी 11 सीडीपीओ के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई एवं विभाग से सेविका-सहायिका की रिक्ति अपलोडिंग की तिथि की तिथि बढ़ाने की अनुशंसा की है. आदेश की प्रति समाल कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया है.

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