Advertisement
भगवान विष्णु के अनंत रूप की होती है पूजा, 14 गांठों का बांधा जाता है अनंत सूत्र
सुपौल : मिथिलांचल का प्रसिद्ध पर्व अनंत चतुर्दशी गुरुवार को जिले में पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जायेगा. इस मौके पर मंदिरों व घरों में भगवान विष्णु के अनंत रूप की विशेष पूजा अर्चना की जायेगी. जिसके बाद भक्तों द्वारा अनंत सूत्र धारण किया जायेगा. अनंत चतुर्दशी को लेकर तैयारियां शुरू कर दी […]
सुपौल : मिथिलांचल का प्रसिद्ध पर्व अनंत चतुर्दशी गुरुवार को जिले में पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जायेगा. इस मौके पर मंदिरों व घरों में भगवान विष्णु के अनंत रूप की विशेष पूजा अर्चना की जायेगी. जिसके बाद भक्तों द्वारा अनंत सूत्र धारण किया जायेगा. अनंत चतुर्दशी को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गयी है.
बाजार में दुकानें सज चुकी है. जहां कई प्रकार के रंग-बिरंगे अनंत सूत्रों की बिक्री की जा रही है. बड़े पैमाने पर भक्तों द्वारा उसकी खरीद की जा रही है. ताकि गुरुवार को पूजा-अर्चना के बाद विधिवत उसका धारण किया जा सके. मालूम हो कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक भादो माह में शुक्ल पक्ष की चौदस यानी चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा अनंत चतुर्दशी के रूप में की जाती है.
पूजा के बाद पुरुष दाएं और स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत धारण करती है. मान्यता है कि अनंत सूत्र धारण करने से लोगों के सारे दुख और परेशानियां दूर हो जाती है और उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है. विद्वान पंडितों के मुताबिक इस वर्ष अनंत चतुर्दशी की तिथि 12 सितंबर के सुबह 5:06 बजे से 13 सितंबर के सुबह 07:35 बजे तक पड़ता है.
14 गांठों से बनती है अनंत सूत्र
अनंत सूत्र में आमतौर पर 14 गांठे होती है. मान्यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए. जिसमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भूव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं. कहा जाता है कि अपने बनाए इन 14 लोकों की रक्षा करने के लिये भगवान विष्णु ने 14 अलग-अलग अवतार लिये. यही वजह है कि अनंत सूत्र में 14 गाठें दी जाती है.
पौराणिक कथाओं में है वर्णन
अनंत चतुर्दशी को लेकर पौराणिक कथाओं के मुताबिक सुमंत नाम का एक विद्वान ब्राह्मण था. जिसकी पत्नी दीक्षा धार्मिक विचारों वाली महिला थी. उनकी एक बेटी सुशीला थी. वह जब बड़ी हुई तो मां दीक्षा का निधन हो गया. सुशीला की परवरिश हेतु सुमंत ने कर्कशा नामक एक महिला से विवाह कर लिया. बाद में सुशीला की शादी कौणिडन्य नामक ऋषि से हुई. दोनों माता-पिता के साथ रहने लगे. लेकिन सुशीला की दूसरी मां कर्कशा का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था. जिसके कारण इन दोनों ने घर छोड़ दिया और जंगल में भटकने लगे.
उनका जीवन काफी कष्ट भरा हो गया. इसी बीच सुशीला भटकते हुए नदी के तट पर गयी जहां सजी-धजी स्त्रियां एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बांध रही थी. उसके बारे में जानकारी हासिल करने के बाद सुशीला ने भी व्रत रख कर अनंत सूत्र धारण किया. जिसके बाद उसका जीवन धीरे-धीरे खुशहाल हो गया. लेकिन एक दिन ऋषि कौणिडन्य की नजर सुशीला के अनंत सूत्र पर पड़ी और उसने अपने विद्वता के मद में उस सूत्र को तोड़ कर फेंक दिया.
जिसके बाद दोनों की स्थिति धीरे-धीरे काफी चिंताजनक हो गयी. काफी दिनों बाद एक ऋषि ने उन्हें ज्ञान दिया और बताया कि अनंत सूत्र तोड़ कर उन्होंने भगवान का अपमान किया. जिसका परिणाम उन्हें झेलना पड़ रहा है. दोनों की आंखें खुल गयी और उन दोनों ने फिर से व्रत रख कर 14 वर्षों तक भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना की. उसके बाद भगवान प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर उनके घर खुशियां लौट आयी.
पौराणिक कथाओं में है वर्णन
अनंत चतुर्दशी को लेकर पौराणिक कथाओं के मुताबिक सुमंत नाम का एक विद्वान ब्राह्मण था. जिसकी पत्नी दीक्षा धार्मिक विचारों वाली महिला थी. उनकी एक बेटी सुशीला थी. वह जब बड़ी हुई तो मां दीक्षा का निधन हो गया. सुशीला की परवरिश हेतु सुमंत ने कर्कशा नामक एक महिला से विवाह कर लिया. बाद में सुशीला की शादी कौणिडन्य नामक ऋषि से हुई. दोनों माता-पिता के साथ रहने लगे.
लेकिन सुशीला की दूसरी मां कर्कशा का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था. जिसके कारण इन दोनों ने घर छोड़ दिया और जंगल में भटकने लगे. उनका जीवन काफी कष्ट भरा हो गया. इसी बीच सुशीला भटकते हुए नदी के तट पर गयी जहां सजी-धजी स्त्रियां एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बांध रही थी.
उसके बारे में जानकारी हासिल करने के बाद सुशीला ने भी व्रत रख कर अनंत सूत्र धारण किया. जिसके बाद उसका जीवन धीरे-धीरे खुशहाल हो गया. लेकिन एक दिन ऋषि कौणिडन्य की नजर सुशीला के अनंत सूत्र पर पड़ी और उसने अपने विद्वता के मद में उस सूत्र को तोड़ कर फेंक दिया. जिसके बाद दोनों की स्थिति धीरे-धीरे काफी चिंताजनक हो गयी.
काफी दिनों बाद एक ऋषि ने उन्हें ज्ञान दिया और बताया कि अनंत सूत्र तोड़ कर उन्होंने भगवान का अपमान किया. जिसका परिणाम उन्हें झेलना पड़ रहा है. दोनों की आंखें खुल गयी और उन दोनों ने फिर से व्रत रख कर 14 वर्षों तक भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना की. उसके बाद भगवान प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर उनके घर खुशियां लौट आयी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement