सुपौल : सड़क दुर्घटना जिले के लिये सबसे भयावह समस्या बनती जा रही है. परिवहन विभाग द्वारा लाख कोशिश के बाद भी सड़क दुर्घटना में मौत का आंकड़ा घटने का नाम नहीं ले रहा. पिछले 10 दिनों के आंकड़ों पर गौर करें तो सड़क दुर्घटना में करीब दो दर्जन लोग घायल हो चुके हैं. जबकि मरने वालों की संख्या नौ है. जाहिर है सड़क दुर्घटना को रोकने के लिये विभाग के सारे दावे यहां फेल नजर आ रहे हैं. चकाचक सड़कों पर फर्राटे भरती गाड़ियां हर दिन जिले में एक व्यक्ति को मौत की नींद सुला रही है.
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10 दिनों में नौ मरे, दो दर्जन से अधिक घायल
सुपौल : सड़क दुर्घटना जिले के लिये सबसे भयावह समस्या बनती जा रही है. परिवहन विभाग द्वारा लाख कोशिश के बाद भी सड़क दुर्घटना में मौत का आंकड़ा घटने का नाम नहीं ले रहा. पिछले 10 दिनों के आंकड़ों पर गौर करें तो सड़क दुर्घटना में करीब दो दर्जन लोग घायल हो चुके हैं. जबकि […]
सड़क सुरक्षा सप्ताह के बावजूद कम नहीं हुई सड़क दुर्घटनाएं. 23 से 30 अप्रैल के बीच सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह भी बड़े तामझाम से मनाया गया. ताकि लोगों को वाहन परिचालन के नियमों और ट्रैफिक नियमों का जानकारी हो सके. यहां तक की जिले के तमाम अधिकारी सड़क सुरक्षा सप्ताह में जगह-जगह लोगों को जागरूक करते नजर आये. लेकिन अधिकारियों का यह मिशन जिले में विफल साबित नजर आ रहा है. नहीं तो प्रतिदिन यहां सड़क हादसों में एक व्यक्ति की मौत नहीं होती.
कागजी खानापूरी में जुटे रहते हैं परिवहन विभाग. जिले के एक साल के आंकड़ों पर गौर करें तो इन दस दिनों में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हुई. दुर्घटना की वजह लोग परिवहन विभाग की उदासीनता को बता रहे हैं. सिर्फ हेलमेट की जांच कर लेने से सड़क दुर्घटना को नहीं रोका जा सकता. इसके लिये रफ्तार पर अंकुश एवं ट्रैफिक नियमों का अनुपालन निहायत जरूरी है.
करीब 50 घंटे तक रहा सड़क जाम. पिछली दुर्घटनाओं पर गौर किया जाये तो लगभग डेढ़ दर्जन सड़क दुर्घटनाओं में एनएच या एसएच करीब 50 घंटे तक जाम रहा. इससे सरकारी राजस्व को चूना तो लगा ही, आम लोगों को भी भारी कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ा.
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