सुपौल : शिक्षकों की समस्या हो या फिर छात्रों की समस्या को लेकर जिले की शिक्षा व्यवस्था बराबर सुर्खियां बटोरता रहा है. गुरुवार को कुछ ऐसा ही दृश्य बीएसएस महाविद्यालय परिसर में देखने को मिला. उक्त केंद्र पर पांच मार्च से इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिका का जांच कर रहे वीक्षकों का आक्रोश खुलकर सामने आ […]
सुपौल : शिक्षकों की समस्या हो या फिर छात्रों की समस्या को लेकर जिले की शिक्षा व्यवस्था बराबर सुर्खियां बटोरता रहा है. गुरुवार को कुछ ऐसा ही दृश्य बीएसएस महाविद्यालय परिसर में देखने को मिला. उक्त केंद्र पर पांच मार्च से इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिका का जांच कर रहे वीक्षकों का आक्रोश खुलकर सामने आ गया. हालांकि शुक्रवार को वित्त रहित संघर्ष मोर्चा के जिला इकाई की पहल पर मामले को सुलझा लिया गया. लेकिन वीक्षकों व परीक्षा समिति के बीच गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया है.
यह दीगर बात है कि सभी वीक्षक अपने वित्त रहित मोर्चा के आश्वासन पर मूल्यांकन कार्य पर लौट गये. लेकिन यह एक बड़ा सवाल छात्रों के बीच बना हुआ है कि जब परीक्षा समिति द्वारा परीक्षा से पूर्व छात्रों से सभी प्रकार का शुल्क जमा ले लिया जाता है. फिर मूल्यांकन के समय उत्तर पुस्तिका के पारिश्रमिक को लेकर गतिरोध पैदा होना समझ से परे हैं.
वीक्षकों द्वारा मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किये जाने के बाद मूल्यांकन निदेशक डॉ संजीव कुमार व जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवशंकर राय द्वारा वीक्षकों से अनुरोध किया गया कि वे मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार नहीं करें. साथ ही उनकी समस्या से परीक्षा समिति को अवगत करा दिया जायेगा. लेकिन वीक्षकों ने एक न सुनी. इसके उपरांत पदाधिकारियों द्वारा समस्या के निदान को लेकर वित्त रहित संघर्ष मोर्चा के जिला इकाई से पहल किये जाने का आग्रह किया गया. जहां मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रो निखिलेश कुमार सिंह व सचिव नंद किशोर यादव द्वारा वीक्षकों से बातचीत की गयी. साथ ही काफी जद्दोजहद के बाद सभी वीक्षक कार्य करने पर राजी हुए. इसके उपरांत मोर्चा के पदाधिकारी द्वय ने मूल्यांकन निदेशक को लिखित आवेदन देकर आश्वस्त कराया कि छात्र के हित को देखते हुए सभी वीक्षक निष्ठापूर्वक अपने-अपने दायित्व का निर्वहन करेंगे. दिये आवेदन में वीक्षकों द्वारा बताया गया है कि वीक्षकों के पारिश्रमिक में 10 प्रतिशत की कटौती कर भुगतान करने, पारिश्रमिक दर बढ़ाने तथा ठहराव भत्ता भी मात्र सात दिन का ही देने से संबंधित निर्णय पर वीक्षकों द्वारा मूल्यांकन कार्य का विरोध किया था. जिसकी सूचना लिखित रूप से निदेशक को दे दी गयी थी. बताया है कि वार्ता के अनुरूप हमारी मांगों को जिला पदाधिकारी तथा निदेशक बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना को विचारार्थ भेजा गया. इस सकारात्मक पहल के फलस्वरूप सभी वीक्षक सामूहिक रूप से मूल्यांकन कार्य पर लौट रहे हैं.