अनदेखी. दो पहिया वाहनों का निकलना भी हो जाता है मुश्किल
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20 फीट संकरी हो जाती हैं सड़कें
अनदेखी. दो पहिया वाहनों का निकलना भी हो जाता है मुश्किल सुपौल : सदर बाजार के अधिकांश सड़कें दिन निकलने के साथ ही सिकुड़ने लगती है. स्थिति यह होता है कि जो सड़कें सुबह में 20 फीट चौड़ी दिखती है, वही सड़क शाम होते-होते महज पांच फीट तक की हो जाती है. यह स्थिति सदर […]
सुपौल : सदर बाजार के अधिकांश सड़कें दिन निकलने के साथ ही सिकुड़ने लगती है. स्थिति यह होता है कि जो सड़कें सुबह में 20 फीट चौड़ी दिखती है, वही सड़क शाम होते-होते महज पांच फीट तक की हो जाती है. यह स्थिति सदर बाजार के हटखोला रोड, स्टेशन रोड, महावीर चौक, गुदरी बाजार रोड, ठाकुरबाड़ी रोड आदि सड़कों की है. सड़क पर अतिक्रमण के कारण यह आलम रहता है. शाम के वक्त इस पथ से चार पहिया वाहन तो दूर दो पहिया वाहन निकलना भी मुश्किल हो जाता है.
वैसे भी पहले से अतिक्रमित इन सड़कों पर दुकान के आगे दुकान, फिर दुकान लगा दिये जाने से सड़क सिकुड़ जाती है. बावजूद इसके इस दिशा में ना तो नगर परिषद और ना ही प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल किया जाता रहा है. जिसके चलते आम लोगों को भारी कठिनाई होती है. बाजार में अस्थायी रूप से दुकान लगाये जाने वाले दुकानदारों की भरमार है. जो या तो ठेले के सहारे सड़क किनारे दुकान लगाते हैं, या फिर नीचे जमीन पर. दुकानदारों की अव्यवस्थित दुकानदारी से सड़कें लबालब हो जाती है.
दिलचस्प बात यह है कि इन दुकानदारों को व्यवस्थित करने के लिये विभाग कभी झांकती भी नहीं है. सबसे खराब स्थिति दिन के तीन बजे के बाद रात के आठ बजे तक का रहता है. जब अस्थायी रूप से लगाये जाने वाले सारे दुकानदार सड़क पर आ जाते हैं. बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं रहने के कारण वाहन चालकों को सामान खरीदना टेढ़ी खीर नजर आती है. कई बार तो वाहन चालकों की दुकानदारों से तू-तू मैं-मैं से शुरू होकर हाथापाई तक की नौबत आ चुकी है. अब सवाल उठता है कि इस समस्या का हल आखिर कब होगा और इसके जिम्मेदार कब इस मामले में संजीदगी दिखाएंगे.
अस्थायी दुकानों से लगता है जाम
यह नजारा है दक्षिणी हटखोला रोड का जहां सुबह में भले ही 20 फीट की सड़कों के अलावे बड़ी फ्लैंक नजर आती है. लेकिन दिन शुरू होते ही करीब 12 बजे के बाद शाम के सात बजे तक इस सड़क की चौड़ाई महज चार से पांच फीट रह जाती है. जबकि इस पथ में कई होटल के साथ पटेल स्मारक भी है. लेकिन संकीर्ण होती सड़क एक तरफ जहां बाजार की सुंदरता को भंग कर देती है. वहीं इस पथ से आवाजाही करने वालों को अतिक्रमण के कारण सौ बार सोचना पड़ता है. लोग यही मनाते हैं कि शाम के वक्त उसे इस पथ में ना आना पड़े. सड़क एवं सड़क के किनारे बने फ्लैंक पर सजी अस्थायी दुकानों के कारण भारी भीड़ के साथ सड़क जाम की स्थिति पैदा हो जाती है. जिसे काफी मशक्कत के बाद हटाया जाता है.
बाजार में नहीं है पार्किंग की व्यवस्था
चकाचक शहर, सुव्यवस्थित दुकानों के बावजूद शहर में आज तक पार्किंग की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. जिसका खामियाजा आमलोगों को भुगतना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि लोग बाजार तो आते हैं. लेकिन अपने वाहनों को कहां खड़ा करें यह परेशानी का कारण बन जाता है. किसी दुकान के आगे गाड़ी खड़ी करने पर बात बिगड़ सकती है.
लिहाजा लोग परिस्थिति से समझौता कर किसी तरह अपने वाहनों को जगह लगा देते हैं. लेकिन यह जरूर कह देते हैं कि शहर में पार्किंग की व्यवस्था रहती तो शायद वह बेफिक्र होकर बाजार में खरीदारी या अन्य काम कर सकते. अतिक्रमण के कारण भले ही सड़क दिनों-दिन सिकुड़ रही हो. लेकिन इसका दूसरा पक्ष सराहने के लायक है कि बाजार की सड़कों के किनारे फ्लैंक को सीमेंट से बने ईंटों से सजाया गया है. भले ही उस पर अतिक्रमणकारियों का अवैध रूप से कब्जा क्यों न हो गया हो.
स्टेशन रोड पर खड़ा नहीं कर सकते वाहन
यह नजारा है शहर के हृदय माने जाने वाले स्टेशन रोड का जहां तीन से चार परत में सड़क और फुटपाथ पर अस्थायी दुकानें हर रोज सजती है. बाइक या चार पहिया वाहन से आना यहां खतरे से खाली नहीं है. क्योंकि जब भी लोग वाहनों से आएंगे तो किसी न किसी को ठोकर लगना तय है. वैसे भी दो पहिया या चार पहिया वाहन इस पथ में खड़ा नहीं कर सकते. क्योंकि यहां इसके लिये जगह नहीं के बराबर रहती है. जबकि
रिहायसी इलाका होने के कारण कई बड़े दुकान भी इस पथ में है. लिहाजा ग्राहकों की काफी भीड़ लगी रहती है. लेकिन सड़क पर लगे अस्थायी दुकानों की वजह से यहां लोग आने से कतराते रहते हैं. जब भी लोगों द्वारा इस बात की शिकायत प्रशासन से की जाती है तो पहल के तौर पर एक दिन अतिक्रमण हटाने के लिये पुलिस दिखाई देते हैं. फिर हालात जस की तस हो जाती है.
फुटपाथ पर दुकानों का संचालन जायज है. वैसे शहर की सुंदरता को बरकरार रखने व सुव्यवस्थित करने के लिए नगर प्रशासन द्वारा पहल किया जा रहा है. जल्द ही समस्याओं का समाधान कर लिया जायेगा.
सुशील कुमार मिश्र, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, सुपौल
यह है ठाकुरबाड़ी रोड. जहां आस्था से जुड़े मंदिरों के अलावा बड़े व्यापारिक भवन भी है. जहां लोग बड़े-बड़े सार्वजनिक आयोजन करते हैं. हालांकि सड़क सुबह के वक्त 30 फीट से ऊपर दिखती है. लेकिन दिन की शुरुआत होते ही सड़क की चौड़ाई घट कर चार से पांच फीट रह जाती है. ऐसे में वाहन का गुजरना तो दूर पैदल लोगों को चलना भी दूभर है.
जबकि व्यापार संघ भवन होने के कारण यहां पर बड़े-बड़े आयोजन होते आ रहे हैं. ऐसे में दूर-दराज से आने वाले लोगों को वाहन खड़ी करने की परेशानी से तत्काल रू-ब-रू होना पड़ता है. चूंकि सब्जी मंडी का इलाका है. लिहाजा सड़क पर सब्जी बेचना दुकानदारों की आम नियति बन गयी है. लेकिन व्यवस्था दुकान नहीं होने के कारण लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.
महावीर चौक से थाना जाने वाली सड़क जो सहरसा को जोड़ती है. यहां पर महावीर चौक के समीप सड़क पर दुकानदार भले ही दुकान न सजाते हो, लेकिन यहां ऑटो और रिक्शा वालों की चलती है. ऑटो और रिक्शा वाले सड़क पर लगा कर सवारी चढ़ाना और उतारना अपना मौलिक अधिकार समझते हैं. जबकि सदर अस्पताल के सामने हर पल पुलिस की तैनाती रहती है
. ऐसे में इन ऑटो चालकों की मनमानी के कारण सड़क की चौड़ाई हर पल घटी रहती है. कई बार तो यहां इसके चलते जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और पुलिस वालों को काफी मशक्कत के बाद जाम हटाने में तत्काल कामयाबी मिल पाती है. यह स्थिति महावीर चौक से लेकर थाना तक की रहती है. इस पथ से गुजरने वालों को हर रोज यहां जाम से रू-ब-रू होना पड़ता है.
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