आस्था. “वाह जिंदगी वाह” कार्यक्रम के दूसरे दिन कई अधिकारियों ने लिया भाग
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गलती सुधारना ही सफलता का पहला कदम
आस्था. “वाह जिंदगी वाह” कार्यक्रम के दूसरे दिन कई अधिकारियों ने लिया भाग सुपौल : प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में स्थानीय गांधी मैदान में आयोजित “वाह जिंदगी वाह” कार्यक्रम के दूसरे दिन जीवन का सुखद अनुभूति किस तरीके से उठाया जाय. इस मसले पर विविधता के साथ प्रकाश डाला गया. विश्व प्रसिद्ध मार्गदर्शक […]
सुपौल : प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में स्थानीय गांधी मैदान में आयोजित “वाह जिंदगी वाह” कार्यक्रम के दूसरे दिन जीवन का सुखद अनुभूति किस तरीके से उठाया जाय. इस मसले पर विविधता के साथ प्रकाश डाला गया. विश्व प्रसिद्ध मार्गदर्शक प्रो ई व्हि स्वामीनाथन ने कहा कि सत्य एक डेबिट कार्ड है. पहले कीमत चुकाना पड़ता है फिर आनंद की प्राप्ति होती है. उन्होंने झूठ का तात्पर्य क्रेडिट कार्ड से जोड़कर समझाया.
उन्होंने क्रेडिट कार्ड को विश्लेषित करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया के तहत लोग पहले आनंद लेते हैं, इसके बाद इसकी कीमत चुकाते हैं. कहा कि किसी का खराब काम देखकर क्रोध करने के बजाय उनके लिए दुआ मांगना श्रेष्ठ इंसान का लक्षण है. कहा कि ज्यादा बोझ लेकर चलने वाला जहाज डूब जाते हैं. कहा कि बोझ वस्तुओं का हो या फिर अभिमान का, बोझ तो बोझ ही होता है.
मुख्य वक्ता ने कहा कि छोटा सा जीवन है हंस के जियो, भुला के गम सारे दिल से जियो! इंसान किसी की खुशियां लिखने वाली पेंसिल नहीं हो सकते तो दुख मिटाने वाले एक अच्छा सा इरेजर जरूर बनना चाहिए. हजारों संबंध रखना कोई चमत्कार नहीं है. एक ऐसा संबंध हो हजारों लोग आपके खिलाफ हो तब भी वे खड़े रहते हैं. गलती को एहसास कर सुधारना सफलता का पहला कदम है. मैं का ईगो पालना सबसे ज्यादा दुखदायक है. कभी भी घमंड या अहंकार में अपना सर ऊंचा ना उठाएं. चुकी बड़ा से बड़ा विजेता भी अपना सम्मान सर झुका के ही पाता है. जीवन जन्म और मृत्यु के बीच का एक छोटा सा अंतराल है.
इसलिए इस अंतराल में खुश रहिये और दूसरों को खुश करिये. जीवन के हर एक क्षण का आनंद उठाइए. वक्ताओं ने कहा कि खुशी एक एहसास है. जिसकी हर किसी को तलाश है. गम एक ऐसा अनुभव है जो सबके पास है. लेकिन बेहतर तरीके से अपनी जिंदगी वही जीता है जिसको खुद पर विश्वास है. स्वयं को खुश रखना अपने दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है. मौके पर जिला सत्र एवं न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह, डीएम बैद्यनाथ यादव, सीजेएम राज कुमार रविदास, एडीजे रंजन कुमार, लोहिया यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार, बीके सुनीति बहन, बीके जयमाला बहन, बीके लक्ष्मी बहन, प्राचार्य संजीव कुमार, भगवान चौधरी, डीपीओ अमरभूषण, केशव अग्रवाल, नीलकांत भाई, सुजीत भाई, बीके निशा बहन, बीके सविता बहन, सुधीर मिश्र आदि उपस्थित थे.
त्रिवेणीगंज. मुख्यालय स्थित गांधी पार्क में बुधवार को प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के तत्वावधान में वाह जिंदगी वाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डीएसपी चंद्रशेखर विद्यार्थी, व्यापार संघ अध्यक्ष भुवनेश्वरी साह, अरूण अग्रवाल, उमाशंकर गुप्ता आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया. मौके पर मुख्य वक्ता प्रो बीके स्वामीनाथन ने कहा कि खुशी से लोगों को व्यायाम करना चाहिये. बताया कि धन के लिये आदमी सारा जीवन लगा देते हैं.
बताया कि लोग अपना कर्म शांति व प्रेम के लिए करते हैं तो हमारे जीवन में दिव्य धन बढ़ता है. खुशी के लिये नि:श्वार्थ्य स्नेह बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि राजयोग अर्थात राज जिसका मतलब रहस्य है स्वयं को जानना कि मैं एक चैतन्य शक्ति आत्मा हूं और आत्मा का स्वधर्म शांति सहित प्रेम और खुशी है. इस मौके पर मुख्य अतिथि डीएसपी श्री विद्यार्थी ने कहा कि जीवन को उत्तम बनाने के लिये मुख्य वक्ता के द्वारा सहज और सरल विधि बतायी गयी है.
कहा कि प्राकृतिक परिस्थितियों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है. लेकिन हम अपनी मन की स्थिति पर नियंत्रण पा सकते हैं. कार्यक्रम को श्री साह सहित अन्य ने संबोधित किया. इस कार्यक्रम में आसपास के इलाकों से लोगों का आना जाना लगा रहा है. लोगों ने कार्यक्रम से आंनद और जानकारी ली. क्षेत्र के लोगों ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होते रहना चाहिए. इस अवसर पर अरूण अग्रवाल व सुमित्रा जी ने अतिथियों को शॉल भेंट कर सम्मानित किया. मौके पर शालिनी बहन, भारती बहन, निशा बहन, शिव प्रकाश, संतोष भाई सहित बड़ी संख्या में महिला व पुरूष उपस्थित थे.
आत्म अनुभूति से ही परमात्म अनुभूति संभव : शालिनी दीदी
प्रवीण गोविंद,सुपौल. जब तक हम स्वयं को आत्मा समझा परमपिता परमात्मा को याद नहीं करेंगे, तब तक हमें परमात्म अनुभूति नहीं हो सकती है. जब हम बिंदु स्वरूप में स्थित होते हैं तब परमात्मा की याद स्वत: ही आने लगती है और आत्मा एक अलौकिक आनंद की अनुभूतिमय हो जाती है. इससे परमात्मा के गुण आत्मा में स्वत: ही समाने लगते हैं.
परमात्म अनुभूति से आत्मा स्वयं को भरपूर अनुभव करने लगती है. इसी अवस्था को ऋषि-मुनियों ने योग की पराकाष्ठा एवं परमात्म मिलन कहा है. कुल मिला कर आत्म अनुभूति से ही परमात्म अनुभूति संभव है. उक्त बातें बुधवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की केंद्र संचालिका बीके शालिनी ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कही. शालिनी दीदी ने कहा कि पुनर्जन्म का अर्थ है पुन: नवीन शरीर को प्राप्त करना. प्रत्येक मनुष्य का मूल स्वरूप आत्मा है ना कि शरीर. हर बार मृत्यु होने पर शरीर का ही अंत होता है.
आत्मा स्थिर, अचल और सनातन
शालिनी दीदी ने आगे कहा कि आत्मा स्थिर, अचल और सनातन है. जैसे परमात्मा पूरे विश्व का संचालन करते हैं, वैसे आत्मा शरीर का संचालन करती है. जब तक आत्मा और शरीर जुड़े हुए है, तब तक शरीर जीवंत रहता है. जब आत्मा और शरीर अलग होते हैं, तब शरीर की मृत्यु होती है. आत्मा अमर है, इसलिए मृत्यु के समय उसका शोक नहीं करना चाहिये. उन्होंने आगे कहा कि आत्मा की तीनों शक्तियों में मन सबसे शक्तिशाली शक्ति है. मन आत्मा की विचार शक्ति का नाम है. मनरूपी शक्ति के द्वारा ही आत्मा कल्पना करती, सोचती और विचार करती है. विचार प्रक्रिया की समस्त इच्छाओं, लालसाओं तथा अनुभूतियों का आधार है.
परमात्मा का इस धरा पर हो चुका है अवतरण
दीदी ने कहा कि शरीर मोटर के समान है व आत्मा इसका ड्राइवर है. अर्थात जैसे ड्राइवर मोटर का नियंत्रण करता है, उसी प्रकार आत्मा शरीर का नियंत्रण करती है. आत्मा के बिना शरीर निष्प्राण है. कहा कि स्वयं को भूलने के कारण आज मनुष्य देह अभिमान के वशीभूत होकर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के आधार पर कर्म करते हैं.
विकारों की अग्नि में जलता हुआ मनुष्य आज सुख की कामना के लिये प्रभु को पुकार रहा है कि हे! भगवान इस धरती पर आओ और हमें इस दुख की दुनियां से मुक्ति दिलाओं. परमात्मा का इस धरा पर अवतरण हो चुका है और वह साधारण मनुष्य तन का आधार लेकर राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं.
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