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गलत तरीके से मिल रही पैथोलॉजी सेवा

राघोपुर : रोगों की पहचान व समुचित उपचार के मामले में पैथोलॉजी को अहम हिस्सा माना जाता है. वहीं प्रखंड क्षेत्र में बिना अहर्ता लिये अधिकांश लैब संचालित है. यू कहें तो अधिकृत पैथाेलॉजिस्ट या डॉक्टर की जगह बिना डिग्रीधारियों की बल्ले-बल्ले है. लोगों के जान की परवाह किये बगैर ऐसे संचालक अपनी गाढ़ी कमाई […]

राघोपुर : रोगों की पहचान व समुचित उपचार के मामले में पैथोलॉजी को अहम हिस्सा माना जाता है. वहीं प्रखंड क्षेत्र में बिना अहर्ता लिये अधिकांश लैब संचालित है. यू कहें तो अधिकृत पैथाेलॉजिस्ट या डॉक्टर की जगह बिना डिग्रीधारियों की बल्ले-बल्ले है. लोगों के जान की परवाह किये बगैर ऐसे संचालक अपनी गाढ़ी कमाई बढ़ाने की आड़ में लाचार व बेवश मरीजों का खून, पेशाब व अन्य जांच की रिपोर्ट भी जारी कर रहे हैं.

इस वजह से कई बार गलत रिपोर्ट के कारण मरीजों को जान से हाथ भी धोना पड़ता है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग निश्चिंत है. ज्ञात हो कि धड़ल्ले से अवैध तरीके से पैथोलॉजी लैब का संचालन किया जा रहा है. एकाध पैथोलॉजी लैब को छोड़ अधिकांश पैथोलॉजी अवैध रूप से संचालित है. इन संचालकों के पास एमडी तो दूर, यहां तक कि टेक्निकल कर्मी ही उपलब्ध नहीं है. यहीं नहीं सूत्रों की मानें तो इनके पास पर्याप्त सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं.

यहां तक कि एचआइवी की भी जांच कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और उनसे मनमर्जी पैसे वसूल रहे है. जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में यह जानकारी रहने के बावजूद उन पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दीपनारायण राम ने अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने कुछ भी बोलने से साफ तौर पर इन्कार कर दिया. सूत्रों की मानें तो नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी इस मामले में एक हैं. सूत्र बताते हैं कि पर्दे के अंदर ‘लक्ष्मी का खेल’ के कारण सभी के सभी चुप्पी साधे रहते हैं.

सांठगांठ से चल रही पैथोलॉजी
पूरे प्रखंड क्षेत्र में लगभग दर्जनभर से ज्यादा पैथोलॉजी लैब संचालित हैं. कुछ पैथोलॉजी को छोड़ अधिकांश संचालकों ने स्वास्थ्य विभाग से निबंधन भी नहीं कराया है, जिसका एक कारण यह भी गिनाया जा रहा है कि लैब में मानक अनुरूप पर्याप्त सुविधाओं का अभाव और एमडी का मौजूद नहीं होना है. सिर्फ प्रखंड मुख्यालय में ही करीब एक दर्जन से अधिक पैथोलॉजी लैब संचालित हैं. जानकारों की माने तो प्रखंडों में अधिकांश पैथोलॉजी विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से संचालित है. खास बात यह है चिकित्सक मरीजों को जांच के लिए उन्हीं पैथोलॉजी लैब में भेजते हैं जहां से उन्हें मोटी कमीशन की राशि पहुंचायी जाती है.
पैथोलॉजी के लिए अनिवार्य
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नियम अनुसार एमडी पैथोलॉजिस्ट या डीसीपी डिग्रीधारक ही पैथोलॉजी खोल सकते हैं. गाढ़ी कमाई की चाहत पाले हुए लोगों ने बीएससी उत्तीर्ण करने के बाद बिना डिग्री -डिप्लोमा लिए विभागीय सांठगांठ कर पैथोलॉजी का संचालन कर रहे हैं. क्षेत्र में संचालित पैथोलॉजी में न तो आधुनिक मशीने हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है. स्थिति ऐसी है कि शूगर, एचआइवी आदि टेस्ट के लिए रक्त निकालने वाली सीरिंज को व्यवस्थित रखने की बजाय उन्हें खुले में फेंक दिया जा रहा है, जो लोगों के लिए घातक है.

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