सीवान : इंतजार के 13 वर्ष बाद अब शौहर से मिलने की बेताबी हीना शहाब के चेहरे पर साफ दिख रही थी. अपने चहेतों के बीच ‘साहब’ के नाम से जाने जानेवाले पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के स्वागत में ऐसा लग रहा था कि पूरा प्रतापपुर गांव जुटा हुआ है. ऐसे में परिजनों की खुशी का अंदाजा सहसा लगाया जा सकता है.
शनिवार की सुबह 07:15 बजे भागलपुर केंद्रीय कारागार से पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बाहर निकलने से लेकर देर शाम अपने पैतृक गांव प्रतापपुर पहुंचने तक गांव वालों की नजर पल-पल की खबरों पर थी. परिवार के सदस्य सहित शुभचिंतक सुबह से ही यह कयास लगाते रहे कि अपने काफिले के साथ ‘साहब’ कब तक प्रतापपुर पहुंचेंगे.
मां मदीना खातून को सबसे अधिक था इंतजार : घर के अंदर परिवार के सदस्यों के अलावा दूर-दराज से आये रिश्तेदारों का सुबह से ही जमघट लगा हुआ था. सबकी व्यस्तता के बीच पूर्व सांसद की मां मदीना खातून एक-एक का ख्याल रख रही थीं. कमरे के अंदर-बाहर से आ रहे लोगों से सिर्फ एक ही सवाल रहता था कि बेटा कहां तक पहुंचा है. बेटे से मिलने को व्याकुल मां उसके खाने के प्रबंध में भी जुटी रही.
पसंद के व्यंजन का किया था इंतजाम
पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के आगमन की गांव में जहां सुबह से तैयारी चल रही थी, वहीं उनकी बेगम हिना शहाब को पूर्व सांसद के घर आने पर उनके पसंद के व्यंजन का विशेष ख्याल था. हिना शहाब ने कहा कि वह आम तौर पर शाकाहारी भोजन ही पसंद करते हैं लेकिन हल्के मसालेदार मटन उनके मीनू का आज हिस्सा है. गेहूं, चना व मक्का के मिश्रित आटे की बनी रोटी वे पसंद करते है. ऐसे में उसका भी इंतजाम किया गया है.
परदेस से मिलने को गांव लौटे दर्जनों युवा
पूर्व सांसद के जेल से बाहर आने के लंबे वक्त में गांव के ऐसे युवाओं की बड़ी संख्या रही, जिन्होंने बचपन में उन्हें देखा था. उनके बारे में सुनते आ रहे तमाम बातों के बीच पूर्व सांसद से मिलने की व्याकुलता इन युवाओं में दिखी. फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग करने वाले गांव के युवाओं की बड़ी संख्या है. ये सब अपने नेता से मिलने के लिए गांव पहुंचे थे. गांव आये तबरेज खान, जलालुद्दीन, असरफ अली, रमीज रजा का कहना था कि हमने कभी पहले शहाबुद्दीन को नहीं देखा था. उन से मिल कर बहुत खुशी है.
13 साल के बाद शौहर का हुआ दीदार
पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के स्वागत के लिए ग्रामीणों ने पांच क्विंटल फूल मंगाया था. माला के अलावा पुष्प वर्षा करने के लिए भी इंतजाम था. किशोर उम्र के आधा दर्जन लड़के इसकी तैयारी में जुटे थे. गांव के मो. युसुफ व मो. असलम ने कहा कि पूर्व सांसद के गांव में प्रवेश करने के साथ ही उन पर पुष्प की वर्षा की जायेगी.
गांव के ओमप्रकाश शर्मा, नजरे आलम, मिट्ठु, मो. जमालुद्दीन, पूर्व मुखिया शेखा हातीम समेत अन्य लोग व्यवस्था में सुबह से ही लगे थे. वहीं दसूरी ओर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की रिहाई की खबर जैसे ही शनिवार को सुबह मिली जगह-जगह पटाखे छोड़े जाने लगे़ रघुनाथपुर में प्रखंड अध्यक्ष राजकिशोर यादव के नेतृत्व में पटाखे छोड़े गये़व मिठाइयां बांटी गयीं. खुजवा में राजद नेता मोतिउर्रहमान ने भी अपने साथियों के साथ जम कर आतिशबाजी कर मिठाइयां बांटी़ इस मौके पर छन्ने अंसारी, मुन्ना अंसारी, फिरोज अंसारी, श्याम बीन, यादोलाल साह, सुरेंद्र सिंह, सतेंद्र सिंह, समीम रजा, मस्तान खान, तैयब हवारी सहित अन्य राजद समर्थक मौजूद रहे़
पिता हसीबुल्लाह हर पल लेते रहे बेटे का हाल
अपने घर के बंगले पर चौकी पर बैठे पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के पिता एसएम हसीबुल्लाह के पास हर कोई आकर दुआ सलाम करता व हाल-चाल पूछ कर बैठ जाता. अपने रिश्तेदारों व शुभचिंतकों से बातचीत में लगे हसीबुल्ला कहते हैं कि 13 वर्ष में कभी जेल में भी मुलाकात नहीं हुई.
उनसे मिल कर आने वालों से खैरियत जान लेता था. लंबे समय बाद मिलने के इस पल को बयां करते हुए वह कहते हैं कि इंसा अल्लाह उन्हें खुश रखें. बुढ़ापे में बाप को बेटे का सहारा मिले, इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है. गांव में स्वागत को लेकर बाहर से आ रहे लोगों के जलपान व खाने-पीने के इंतजाम का जायजा लेते हुए हसीबुल्लाह व्यवस्था में लगे लोगों से कहते रहे कि कोई भी बिना खाये नहीं जायेगा. पूर्व सांसद के बड़े भाई ग्यासुद्दीन व शमसुद्दीन भी व्यवस्था में लगे रहे.
सियासत बदली, पर वही हैं सियासतदार
सीवान : 13 वर्ष बाद शनिवार को अपनी धरती पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन ने पैर रखा. एक दशक पूर्व जेल की सलाखों के पीछे जब पूर्व सांसद भेजे गये, उस समय की सियासत अब बदल चुकी है. खास बात यह है कि बदली सियासत की राजनीतिक फिजाओं में सियासतदार वे ही हैं. राजनीति के अंक गणित के माहिर शहाबुद्दीन के सामने अब विरोधी दलों से कम महागंठबंधन दलों की तरफ से भी चुनौतियां कम नहीं होंगी. मो. शहाबुद्दीन तेरह वर्ष पूर्व जब जेल भेजे गये, उस समय राबड़ी देवी की अगुआई में राजद की सरकार थी. इसके झंडे के नीचे पूर्व सांसद ने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. समय के साथ बदले राजनीतिक समीकरण में जदयू नेता नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ
मिल कर राज्य में नये सरकार का गठन किया. इसके बाद एक बार फिर राज्य में भाजपा जदयू की सरकार बनी. पिछले वर्ष संपन्न हुए चुनाव में राजनीति के दो ध्रुव माने जानेवाले राजद व जदयू ने मिल कर चुनाव लड़ा तथा आज उनकी सरकार है. ऐसे में तेरह वर्ष पूर्व की सियासत भले ही बदल गयी है, लेकिन सरकार में राजद की हिस्सेदारी के चलते सियासतदार एक बार फिर वही हैं.
13 वर्षों के राजनीतिक बदलाव का पहली बार जेल से बाहर आकर अनुभव करनेवाले मो शहाबुद्दीन के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी. जेल से बाहर निकलने के साथ ही सूबे के नेता नीतीश कुमार को परिस्थिति का मुख्यमंत्री कह कर विरोधी दलों को जहां मौका दे दिया है, वहीं महागंठबंधन में खलबली साफ नजर आ रही है. जिले के जदयू विधायकों ने जमानत के मामले में कोर्ट के निर्णय का सम्मान करने की बात करते हुए सधे हुए बयान जारी किये हैं.
ऐसे में यह चर्चा शुरू हो गयी है कि पूर्व सांसद को विरोधी दलों से निबटने के साथ ही अपने गंठबंधन दलों के राजनीतिज्ञों से भी जूझना पड़ सकता है. हालांकि अपनी संसदीय राजनीति में युवा काल से ही लंबा सफर तय करनेवाले पूर्व सांसद को ऐसे राजनीतिक अंकगणित को सुलझाने का लंबा अनुभव रहा है.
इस बार खास होगी बकरीद
सीवान. पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन शनिवार को 13 वर्ष बाद घर लौटे. तकरीबन एक दशक से अधिक तक जेल में गुजरी ईद व बकरीद के बाद इस बार ऐसे अवसर पर वे घर होंगे. ऐसे में घरवालों द्वारा बकरीद की विशेष तैयारी की गयी है. पूर्व सांसद की पत्नी हीना शहाब कहती हैं कि बकरीद के अवसर को लेकर ही पहले से बाहर से हमने दो बकरे मंगा रखे हैं.
इनका नाम शहंशाह व बादशाह रखा है. बकरीद के अवसर पर बकरे की कुरबानी देने की पुरानी परंपरा है. परिवार के सदस्यों ने कुरबानी के लिए अभी और बकरे मंगाने के निर्णय लिया है. अपने राजद कार्यकर्ताओं व समर्थकों को बकरीद की शुभकामना देते हुए हीना शहाब ने कहा कि कुरबानी के बाद उसके गोश्त में हर किसी का हिस्सा होता है.
ऐसे में इस
अवसर पर गरीबों को भी इसमें हिस्सेदार बनाते हुए दान दिया जाता है. गांव वालों का मानना है कि पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की मौजूदगी में कुरबानी का त्योहार बकरीद का मनाना सबसे महत्वपूर्ण है. इसको लेकर घर-घर में तैयारी चल रही है. बकरीद के दिन से लेकर तीन दिनों तक लगातार कुरबानी की परंपरा है.
जमानत पर नेताओं के बोल
शहाबुद्दीन को अपने आचरण व व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा. यहां की जनता ईंट व पत्थर से उनके एके 47 का जवाब देगी. सीवान की जनता जग चुकी है. यहां अपराध व अपराधियों की कोई जगह नहीं है.
ओमप्रकाश यादव, भाजपा सांसद, सीवान
लंबे समय बाद उन्हें कोर्ट से जमानत दी गयी है. इसके बाद वे रिहा हुए. उसके लिए मैं उनके और उनके परिवार के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं.
सत्यदेव प्रसाद सिंह, राजद विधायक, गोरेकोठी
कोर्ट का फैसला है. वे जमानत पर आये हैं. कोर्ट के निर्णय का सम्मान हो. उनके जेल से बाहर आने से महागंठबंधन मजबूत होगा़
हेमनारायण साह, जदयू विधायक,
शहाबुद्दीन के कोर्ट से जमानत मिलने से हम सब खुश हैं. महागंठबंधन के जनाधार को उनके जेल से बाहर आने के बाद अब विस्तार मिलेगा.
रमेश सिंह कुशवाहा, जदयू विधायक, जीरादेई
पूर्व सांसद की रिहाई से जिलावासियों में खुशी की लहर दौड़ गयी है. हमारे नेता की अगुवायी में जिले के विकास कार्यों में तेजी आयेगी. इसमें महागठबंधन के सभी नेताओं का सहयोग मिलेगा.
परमात्मा राम, जिलाध्यक्ष, राजद सीवान
पूर्व सांसद के जमानत मिलने पर कांग्रेस परिवार की तरफ से शुभकामना है. पक्ष व विपक्ष को कोर्ट के निर्णय का सम्मान करना चाहिए. हमें विश्वास है कि जिले के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
डा. विधु शेखर पांडे, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस