Advertisement
दो साल बाद भी चार्जशीट नहीं
सीवान : नकली स्टांप निर्माण के खेल में पुलिस की भूमिका पर ही सवाल उठते रहे हैं. हाल ही में अनुमंडल न्यायालय के सामने एक दुकान में नकली स्टांप बिक्री की सूचना पर की गयी छापेमारी के बाद अभी सत्यता की जांच के लिए चल रही है. लेकिन, इसके साथ ही एक बार फिर नकली […]
सीवान : नकली स्टांप निर्माण के खेल में पुलिस की भूमिका पर ही सवाल उठते रहे हैं. हाल ही में अनुमंडल न्यायालय के सामने एक दुकान में नकली स्टांप बिक्री की सूचना पर की गयी छापेमारी के बाद अभी सत्यता की जांच के लिए चल रही है.
लेकिन, इसके साथ ही एक बार फिर नकली स्टांप के पूर्व में उजागर हुए मामले तथा पुलिस की कार्रवाई पर चर्चा शुरू हो गयी है. इसमें सबसे बहुचर्चित दो वर्ष पूर्व नकली स्टांप निर्माण की फैक्टरी का मामला रहा, जहां 71.75 लाख रुपये के फर्जी स्टांप तथा निर्माण सामग्री बरामद की गयी थी. इस मामले में अब तक पुलिस की कार्रवाई औपचारिकता तक सिमटी हुई है. इस मामले में घटना के तह तक जाने पर पुलिस की कार्रवाई में उदासीनता परत-दर-परत उजागर होती है.
पिछले 11 अप्रैल को सदर अनुमंडल न्यायालय के सामने एक दुकानदार द्वारा नकली स्टांप बेचने की शिकायत पर पुलिस ने छापेमारी की थी. इस दौरान दुकानदार मौके से पुलिस के आने के पहले ही फरार हो गया. इस पर सदर एसडीओ भूपेंद्र यादव के निर्देश पर नगर थाने की पुलिस ने दुकान को सील कर दिया. इसके बाद अभी मामलाें की जांच की जा रही है.
एक बार फिर पुलिस की छापेमारी के बाद पूर्व के ऐसे मामलों में आरोपितों पर नकेल कसने में नाकाम रहने की चर्चा ताजा हो गयी है. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में सात मार्च को महादेवा ओपी की पुलिस ने नगर के चकिया मुहल्ले में छापा मार कर नकली स्टांप निर्माण की फैक्टरी का खुलासा किया था. इसमें चकिया के मो. रजा, कमरूल रजा, गोविंदा उर्फ साहबजादे व अन्य तीन-चार अज्ञात को पुलिस ने आरोपित किया था. छापेमारी के समय 71 लाख 75 हजार 690 रुपये के नकली स्टांप व टिकट के साथ ही निर्माण सामग्री बरामद की गयी थी. इस दौरान मौके से मात्र मो. रजा की गिरफ्तारी हुई. उसकी उम्र तकरीबन 16 वर्ष थी. इसका मामला किशोर न्यायालय बोर्ड में चल रहा है. वहीं अन्य आरोपित पुलिस की पकड़ से दूर हैं.
धारा 82 व 83 तथा कुर्की की नहीं हुई कार्रवाई : पुलिस की कार्रवाई पर गौर करें तो अन्य कोई भीअभियुक्त पुलिस के हाथ नहीं आया. ऐसे में पुलिस ने मात्र मो. रजा के मामले में किशोर न्यायालय के समक्ष चार्जशीट दाखिल किया तथा अन्य में चार्जशीट नहीं दाखिल हो सकी. इस स्थिति में पुलिस को धारा 82 व 83 की कार्रवाई करनी चाहिए. लेकिन, पुलिस ने इस दिशा में दो वर्ष बाद भी नहीं कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस को अब तक कुर्की जब्ती की कार्रवारी पूरी कर लेनी चाहिए थी.
पुलिस की यह है दलील : फर्जी स्टांप निर्माण मामले में महादेवा ओपी प्रभारी शंभुनाथ सिंह से पूछे जाने पर कहते हैं कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. जब इस पर एक बार फिर न्यायालय के रेकाॅर्ड का हवाला देते हुए जार्चशीट नहीं देने की बात कही गयी, तो उन्होंने कहा कि संज्ञान में लिया जायेगा. इसका आइओ दुर्गा किस्कु को बनाया गया है. उनसे वार्ता के बाद ही बता पाऊंगा.
जिला अभियोजन पदाधिकारी ने कहा : इस मामले में पूछे जाने पर जिला अभियोजन पदाधिकारी एके सुमन कहते हैं कि अभी चार्जशीट कोर्ट को प्राप्त नहीं हुई. कोर्ट में चार्जशीट आने के बाद ही न्यायालय की कार्रवाई होती है. इस मामले में एसपी के निर्देश पर ही जांच की कार्रवाई चलती है. अनुसंधानकर्ता के मांगने पर मेरे द्वारा कानूनी सलाह दी जाती है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement