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सब्जी व बीज उत्पादन से हो रही दोहरी कमाई

बड़हरिया (सीवान) : प्रखंड के पश्चिमी इलाके के किसान पारंपरिक खेती छोड़ कर सब्जी की खेती कर अपनी आर्थिक हालत सुधारने में लगे हैं. इसके सुखद नतीजे आने से इस क्षेत्र में किसानों के हौसले काफी बुलंद हैं. सालों भर सब्जी की खेती कर अपने बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर बना रहे इस क्षेत्र के किसान अपनी […]

बड़हरिया (सीवान) : प्रखंड के पश्चिमी इलाके के किसान पारंपरिक खेती छोड़ कर सब्जी की खेती कर अपनी आर्थिक हालत सुधारने में लगे हैं. इसके सुखद नतीजे आने से इस क्षेत्र में किसानों के हौसले काफी बुलंद हैं.
सालों भर सब्जी की खेती कर अपने बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर बना रहे इस क्षेत्र के किसान अपनी धुन में हैं. इन्हें न तो सरकार से काेई अपेक्षा है व न व्यवस्था से कोई शिकायत. यहां के किसानों के मन में एक ही चाह है कि सब्जी की खेती कर विकास की नयी इबारत लिखना. इस परिक्षेत्र के शिवधर हाता, रोहडा, मालिक टोला, नवीहाता, गिरिधरपुर, हलीम टोला, जोगापुर, सुज्हरी, शेखपुर, सावना सहित दर्जन भर ऐसे गांव हैं, जहां के किसानों ने नकद फसल के रूप में सब्जी की खेती को अपना लिया. इस इलाके के सब्जी उत्पादकों की एक बड़ी खासियत यह है कि सब्जी की खेती जातीय परिधि से बाहर निकल गयी है. यूं कहें कि सभी जाति के किसानों ने सब्जी की खेती को अपना लिया है व इसके चलते इनकी आर्थिक काफी सुदृढ़ हो चुकी है. मजे की बात तो यह है कि इन सब्जी उत्पादकों को दोहरी कमाई होने लगी है. ये किसान सब्जियों का उत्पादन कर कमाई करते ही हैं, साथ ही बीज उत्पादन कर यहां के किसान दोहरी कमाई करते हैं.
इस परिक्षेत्र से गोभी, मिर्चा, टमाटर आदि के बीज पूर्वी चंपारण, प. चंपारण, देवरिया, कुशीनगर, तम्कुही सहित बिहार के अन्य इलाकों में आपूर्ति किये जाते हैं. इससे यहां के किसानों को अच्छी-खासी आमदनी होती है. यहां के सब्जी उत्पादक भिंडी, कदुआ, टमाटर, मिर्चा, लहसून, मटर, धनिया पती आदि की भरपूर खेती करते हैं.
किसानों ने बहुफसली खेती शुरू कर दी है. यानी एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलों की खेती करने लगे हैं. खेत की एक एक इंच जमीन की खेती कर ये किसान अपने जज्बे का परिचय दे रहे हैं . शिवधर हाता के सब्जी उत्पादक अमरजीत प्रसाद कहते हैं कि बहुफसली खेती से फायदा यह होता है कि एक फसल कटती है, तो दूसरी फसल तैयार हो जाती है. श्री प्रसाद का कहना है कि यदि सब्जी मंडी नजदीक होती, तो कार्य दिवस बच जाता है.
उनका मानना है कि सब्जी मंडी सीवान शहर के बीचोबीच है, जहां सब्जियां पहुंचाने में काफी परेशानी होती है. यह सब्जी मंडी शहर से बाहर होती, तो सब्जी उत्पादक सहजता से अपना उत्पादन पहुंचा सकते हैं. विदित हो कि शिवधर हाते के अमजीर प्रसाद, गणेश प्रसाद, दीनानाथ प्रसाद, विपिन मिश्र, अनिल आदि, रोहडा के मदन प्रसाद, रमेश प्रसाद, सागर प्रसाद, वीरेंद्र प्रसाद, हरेंद्र प्रसाद, अंबिका राम, सुगर राय, आदि योगापुर के मृत्युंजय प्रसाद, शिवकुमार सिंह, लालजी कुशवाहा, हलीमा टोले के यमुना शर्मा, प्रमोद शर्मा, बलिराम प्रसाद, मालिक टोले के आसदेव सिंह, सुदर्शन सिंह, सत्यनारायण सिंह आदि ने सब्जी की खेती कर विकास की नयी इबारत लिखने में जुटे हैं.

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