महाराजगंज : प्रखंड परिसर में बुधवार को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अधिकरण आत्मा सीवान के द्वारा गेहूं की अधिक उपज पाने के लिए किसानों को शिविर लगा कर प्रशिक्षण दिया गया. परियोजना निदेशक केके चौधरी ने कहा कि दिसंबर के अंत व जनवरी के प्रारंभ में गेहूं की रोपनी कर लेनी चाहिए.
इसके पूर्व खेतों में आधुनिक तरीकों से रबी की रोपनी के लिए जीरो टिलेज मशीन से बोआई के साथ खाद की संतुलित मात्रा खेत में डालनी चाहिए. निदेशक ने कहा कि सिंचित अवस्था में नेत्रजन, पोटाश की आवश्यकता खेत में होती है. असिंचित दशा में नेत्रजन, स्फूर व पोटाश मिला कर संतुलित मात्रा में दी जाती है. नेत्रजन की आधी मात्रा प्रथम सिंचाई के समय फसल में दी जाती है.
गेहूं के कौन-कौन हैं उत्तम प्रभेद : सिंचित भूमि के लिए 1556, 9107, 307 पीबीडब्ल्यू, 347 पीबीडब्ल्यू आदि प्रभेद हैं. वहीं असिंचित के लिए 306, 8027 आरडब्ल्यू, 8962, एचडी 2888 आदि प्रभेद हैं. बीज को खेत में डालने के पूर्व अंकुरण क्षमता की जांच लेनी चाहिए. वहीं अच्छी पैदावार पाने के लिए समय-समय पर गेहूं में तीन-चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है.
फसल का बीमारियों से बचाव : कभी-कभी फसल की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे दिखायी देते हैं.
जिसे भूरा हर्दा कहते हैं. वहीं पत्तियों पर रेखीय सजावट में पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे बनते हैं, जिसे पीला हर्दा कहते है. इससे बचाव के लिए अपने कृषि सलाहकार, एसएमएस व प्रखंड कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर आवश्यक दवा का छिड़काव करना जरूरी हो जाता है. वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से गेहूं की उपज अच्छी पायी जा सकती है.
शिविर में उपस्थित किसानों को पौधा संरक्षण पदाधिकारी एसपी शाही, प्रखंड प्रमुख राजकुमार भारती, प्रखंड कृषि पदाधिकारी हरिशंकर सिंह, तकनीकी प्रबंधक राम प्रताप सिंह आदि ने भी नयी तकनीक पर प्रकाश डाला. शिविर में धर्मेंद्र सिंह, फरींद्र कुमार, रामजी सिंह, अशोक उपाध्याय, नगेंद्र कुमार, अरुण कुमार शर्मा, पुष्पेंद्र कुमार, नंदकिशोर सिंह, आशीष कुमार, अनूप कुमार, राजीव कुमार, अमीत कुमार, प्रमीला कुमारी, आनंद कुमारी, रामएकबाल प्रसाद, राम प्रसाद सिंह, लाल बहादुर प्रसाद, शंभुनाथ सूरोपन, तुषार सिंह उर्फ तूफान आदि उपस्थित थे.
किसानों ने उठाया सब्सिडी नहीं मिलने का सवाल : प्रखंड में आयोजित रबी महोत्सव में उपस्थित किसानों ने फसल क्षतिपूर्ति का मुआवजा, डीजल अनुदान राशि, फसल अनुदान राशि खाते में नहीं जाने का प्रश्न उठाया, जिसमें निदेशक केके सिंह हदप्रभ हो गये. अधीनस्थ अधिकारियों से उन्होंने कहा कि यह सब क्या हो रहा है.
प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किसानों के सभी अनुदान की सूची बैंक को भेज दी गयी है. मगर बैंक की आनाकानी करने के कारण अधिकतर किसानों को अनुदान की राशि अभी नहीं मिल पायी है.