पिछले वर्ष महात्मा गांधी की जयंती पर अभियान की हुई थी शुरुआत
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स्वच्छता अिभयान की निकली हवा
पिछले वर्ष महात्मा गांधी की जयंती पर अभियान की हुई थी शुरुआत जनप्रतिनिधियों ने आगे बढ़ कर किया था आह्वान इस बार नहीं दिखा अभियान का असर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर एक वर्ष पूर्व स्वच्छता का संकल्प लेते हुए अभियान को राष्ट्रव्यापी आंदोलन देने की कोशिश धरातल पर वर्ष भर के अंदर ही […]
जनप्रतिनिधियों ने आगे बढ़ कर किया था आह्वान
इस बार नहीं दिखा अभियान का असर
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर एक वर्ष पूर्व स्वच्छता का संकल्प लेते हुए अभियान को राष्ट्रव्यापी आंदोलन देने की कोशिश धरातल पर वर्ष भर के अंदर ही भुला दिया गया.
सरकारी दफ्तरों से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक सफाई अभियान की जहां गूंज सुनायी पड़ रही थी, वहीं शुक्रवार को महात्मा गांधी जयंती पर मात्र रस्मी कार्रवाई तक ही नजर आयी.
सीवान : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष महात्मा गांधी की जयंती पर स्वच्छता अभियान का बीड़ा उठाया था.उनके संदेश का असर स्थानीय स्तर पर भी खूब दिखा.
जिले के सांसद व विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में भी अभियान का असर दिखा, जिससे लोगों में भी अभियान के प्रति उत्सुकता नजर आयी. लेकिन एक वर्ष बाद महात्मा गांधी की जयंती पर हर आयोजन के प्रति खामोशी साफ नजर आयी.
निर्मल गांवों में लाखों खर्च के बाद भी नहीं बदली सूरत
भारत सरकार ने हर जिले में निर्मल गांव का चयन कर स्वच्छता के मामले में मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने की पहल की थी, जिसके तहत हुसैनगंज प्रखंड के चांप गांव व जीरादेई प्रखंड के हसुंआ का चयन किया गया.योजना के तहत हर घर में शौचालय व सड़कों की सफाई समेत स्वच्छता संबंधित अन्य कोशिश को अमल लाया गया,
जिसका असर सबसे अधिक चांप गांव में दिखा. इसके लिए राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया. उधर, हसुंआ गांव में बजट को लेकर बंदरबांट की शिकायत से अभियान ठप पड़ गया.
अब हकीकत यह है कि मॉडल रूप में याद किये जा रहे चांप गांव की भी स्थिति नारकीय हो गयी है. खुले में शौच करने के चलते लोगों का राह चलना मुश्किल है .ग्रामीणों की शिकायत है कि गुणवत्ता के अभाव के चलते निर्मित शौचालय एक वर्ष बाद ही ध्वस्त हो गये.
यह तसवीर बयां कर रही अभियान की हकीकत
केस-1- गोपालगंज मोड़
शहर का सबसे व्यस्त रहने वाले इलाकों में गोपालगंज मोड़ है. यहां तिराहे से लोग गोपालगंज,मैरवा व शहर के मुख्य बाजार की ओर निकलते हैं. यहां हर समय कूड़ा पड़े रहने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.अब हकीकत है कि नगर पर्षद प्रशासन से लेकर अन्य अभियान से जुड़े लोगों को इसकी याद नहीं आती है.
केस-2-राजेंद्र पथ
शहर का राजेंद्र पथ गत वर्ष गांधी जयंती के दिन सफाई के चलते यहां का नजारा चकाचक था. इस बार गांधी जयंती पर कोई सुध लेनेवाला नहीं था. राजेंद्र पथ पर दरबार सिनेमा के सामने दिनभर कूड़े का अंबार लगा रहा. आसपास के व्यवसायियों की शिकायत है कि यहां हर दिन ऐसी तसवीर रहती है.सफाई अभियान अब मात्र सरकारी नारा बन कर रह गया है.
केस-3-सदर अस्पताल परिसर
सदर अस्पताल परिसर गंदगी व बदइंतजामी के लिए हमेशा जाना जाता है. यहां भी पिछले साल गांधी जयंती पर चले अभियान का नतीजा रहा कि हर तरफ सफाई लोगों को आकर्षित कर रही थी.अब यहां हर दिन गंदगी का परिदृश्य बना रह रहा है. मरीजों से लेकर उनके तीमारदारों तक को नाक पर रूमाल रख कर गुजरना पड़ता है. इसके बाद भी स्वास्थ्य प्रशासन सुध लेते नजर नहीं आता.
केस-4- वीएम हाइ स्कूल
शहर के प्रमुख विद्यालयों में वीएम हाइ स्कूल शुमार है. यहां छात्रों की बड़ी संख्या है. पिछले वर्ष महात्मा गांधी जयंती पर यहां की रौनक देखने वाली थी. शिक्षकाें के साथ छात्रों ने आगे बढ़ कर सफाई अभियान में अपनी सहभागिता जतायी थी. अब यहां मुख्य गेट पर ही कूड़े का अंबार लगा रह रहा है, जिससे छात्र व शिक्षक सभी परेशान होते हैं. इसके बाद भी प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को इसकी याद नहीं आती है.
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