महाराजगंज : प्रखंड में हुए पंचायत, प्रखंड, नगर पंचायत शिक्षक नियोजन में हुए फर्जीबाड़े में साक्ष्य छिपाने की नीयत से प्रखंड बीआरसी से कई मुख्य दस्तावेज गायब होने की सूचना है. सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच का आदेश है. इससे फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों में हड़कंप है.
बताते हैं कि बिना नियोजन इकाई के आदेश के शिक्षकों ने बीइओ की मिलीभगत से अपनी योग्यता बढ़ा ली. वहीं बिहार सरकार की अधिसूचना संख्या 674 के अनुसार एक जुलाई, 2006 से जितने भी शिक्षकों का नियोजन हुआ था, इनका नाम बदल कर प्राथमिक शिक्षक को पंचायत शिक्षक, मिडिल स्कूल वालों को प्रखंड शिक्षक व नगर पंचायत वालों को नगर शिक्षक बनाया गया.
वहीं प्रथम चरण के 2006 में 10-12 हजार अभ्यर्थियों का आवेदन शिक्षक बहाली के लिए आया. जिसमें से लगभग 80-90 शिक्षकों की बहाली हुई. उस वक्त तत्कालीन बीइओ विक्रमा गुप्ता थे. उसके बाद रवीद्र नाथ, उसके बाद आठ साल तक तत्कालीन बीइओ सूर्य प्रकाश रहे. इन अधिकारियों ने किस प्रक्रिया के तहत बहाली की, इसका कोई अता-पता नहीं होने की बात प्रकाश में आयी है.
बीआरसी में नहीं है प्रमुख दस्तावेज
1. आवेदन पत्र प्राप्त पंजी.
2. औपबंधिक मेधा सूची पंजी.
3. दावा-आपत्ति विवरणी पंजी.
4. अंतिम मेधा सूची प्रकाशित पंजी.
5. काउंसेलिंग पंजी.
6. अंतिम चयन सूची पंजी.
क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी
देखिए, विभिन्न पंजियां प्रखंड बीआरसी में नहीं हैं. शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच में परेशानी हो रही है. कैसे प्रमाणपत्रों की जांच की जाये, यह यक्ष प्रश्न खड़ा है. पूर्व के बीइओ के पास पत्रचार किया गया है. जवाब का इंतजार है.
राम कुमार मांझी, बीइओ महाराजगंज
15 जून तक सभी प्रमाणपत्रों की जांच कर लेनी थी. महाराजगंज बीआरसी से प्रमुख दस्तावेज गायब हैं. इसकी लिखित सूचना बीइओ द्वारा देने पर कार्रवाई की जायेगी. आवश्यकता पड़ी, तो प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. हर हाल में कार्य में पारदर्शिता रखी जायेगी.
महेशचंद्र पटेल, डीइओ सीवान