सच्चेंद्र द्विवेदी
जीरादेई: खगडि़या के धमारा घाट रेलवे स्टेशन की घटना की पुनरावृत्ति कभी जीरादेई के बंगरा ढाले पर हो सकती है. क्योंकि ढाले के दोनों तरफ घनी आबादी रहती है. रोज यहां मौत मंडराती है. लोग लाइन पार कर इधर-से-उधर जाते हैं. दर्जनों गांवों के हजारों लोग जान हथेली पर लेकर ट्रैक पार करते हैं. अगर समय रहते रेलवे प्रशासन नहीं चेता, तो कभी यहां पर एक बड़ा हादसा हो सकता है. इससे पहले भी एक बार इस ढाले पर हादसा हो चुका है.
बता दें कि खगडि़या के पास धमारा घाट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से कट कर हुई कई यात्रियों की मौत ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. रेलवे की व्यवस्था पर लोग सवाल उठाने लगे हैं. इस घटना को देखते हुए हम जिले की बात करें तो कई खामियां मिल जायेंगी. छपरा-भटनी रेलखंड पर दर्जनों मानवरहित फाटक देखने को मिल जायेंगे. जीरादेई-सीवान रेलखंड पर स्थित बंगरा ढाला सबसे खतनरनाक है, क्योंकि ढाले के दोनों तरफ घनी आबादी रहती है. यहां रहने वाले लोग लाइन पार कर कहीं जाते है. सबसे खास बात ट्रैक के दोनों तरफ झाड़-झंखाड भरा हुआ है. मैरवा मुख्य पथ से जीरादेई, जामापुर, आंदर के रहने वाले लोग इसी ढाले से होकर गुजरते है. यूं कहा जाय तो यहां 24 घंटों आवा-गमन जारी रहता है. वर्ष 1995 में इसी ढाले पर लोहित एक्सपे्रस ने एक ट्रैक्टर को टक्कर मार दी थी. इस घटना में कई लोगों ने असमय जान गंवा दी थी. इधर लगातार हो रही घटनाओं के बाद रेलवे प्रशासन को कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है. ट्रैक के अगल-बगल रहने वाले दर्जनों ग्रामीणों का कहना है कि अगर रेलवे समय रहते कोई विशेष इंतजाम नहीं करता है तो कभी बंगरा ढाले पर खगडि़या की घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है. इधर अकोल्ही पंचायत के मुखिया व पूर्व डीआरयूसीसी सदस्य हरेंद्र सिंह ने भी शीघ्र फाटक का निर्माण कराने की मांग की है.