।। नवीन सिंह परमार ।।
सीवान : वर्तमान खरीफ के मौसम में वर्षा क म होने के कारण धान की फसल प्रभावित होती नजर आ रही है. बारिश नहीं होने के कारण धान के पौधे पीले हो गये हैं और खेतों में दरार पड़ गयी है. जुलाई माह में काफी कम बारिश होने के चलते अकाल की काली छाया दिखने लगी है. इससे किसानों की चिंता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. सिंचाई के तमाम संसाधन बेकार साबित हो रहे हैं.
किसान पंप सेट के सहारे अपनी धान की फसल को बचाने के जुगाड़ में लगे हैं. सिंचाई के लिए नहरों के साथ ही नलकूप विभाग की व्यवस्था भी जिले में न के बराबर है. जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष जहां 98 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.
वहीं कम बारिश होने के चलते लक्ष्य के विपरीत मात्र 60.24 प्रतिशत क्षेत्र अर्थात 59033 हेक्टेयर में धान की खेती हो पायी है. डीएओ कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि जिले में कुल 220327.31 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है, जिसमें लगभग 60752.09 हेक्टेयर भूमि सिंचित भूमि की श्रेणी में आती है.
वर्तमान वर्ष में वर्षा सामान्य 518.09 एमएम के स्थान पर 302.00 एमएम ही जिले में हुई है, जिसके कारण अकाल की पूरी संभावना बन गयी है. हालांकि सरकार के द्वारा किसानों को धान के पटवन के लिए अनुदान देने की घोषणा की गयी है.राशि प्राप्त होते ही अनुदान देने का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा.
* सरकारी संसाधन बने बेकार
जिले में खेती भगवान के भरोसे या फिर निजी पंप सेटों के भरोसे ही है. क्योंकि सरकारी आंकड़े के अनुसार इस वर्ष लगभग 33674 हेक्टेयर क्षेत्र में ही नहर से सिंचाई की संभावना बन पायी है. वहीं जिले में कुल 78 सरकारी नलकूप हैं, जिसमें 41 ही चालू हालत में है. लेकिन उससे सिंचाई नहीं के बराबर हो पा रही है. कुल मिला कर जिले की खेती बारिश या निजी नलकूपों के भरोसे ही है.
* बारिश के अभाव में लक्ष्य के विपरीत 60 प्रतिशत ही हो पायी धान की रोपनी
* जिले में जून माह में हुई 132 एमएम बारिश
* जुलाई में हुई 95.05 एमएम वर्षा
* जिले के सरकारी सिंचाई संसाधनों से नहीं मिल रहा किसानों को लाभ
* डीजल अनुदान के इंतजार में हैं किसानं