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आश्वासनों से ग्रामीणों में आक्रोश

सड़क व बिजलीविहीन है गोरेयाकोठी का लाका टोलागोरेयाकोठी : आधुनिक दौर में जहां देश के साथ-साथ प्रदेश का भी तेजी से विकास हो रहा है. वहीं जिले का एक गांव ऐसा है, जहां न तो सड़क है और न ही बिजली. सबसे खास बात प्रखंड से महज डेढ़ किमी दूर स्थित इस गांव में सरकार […]

सड़क व बिजलीविहीन है गोरेयाकोठी का लाका टोला
गोरेयाकोठी : आधुनिक दौर में जहां देश के साथ-साथ प्रदेश का भी तेजी से विकास हो रहा है. वहीं जिले का एक गांव ऐसा है, जहां न तो सड़क है और न ही बिजली. सबसे खास बात प्रखंड से महज डेढ़ किमी दूर स्थित इस गांव में सरकार द्वारा चलायी जा रही मूलभूत योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है.

हर बार चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा दिये जा रहे कोरे आश्वासन से ग्रामीण तंग आ चुके हैं. ग्रामीणों ने अब पूरी तरह से सबको नकारने का मन बना लिया है. उनमें प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है, जो कभी भी फूट कर आंदोलन का रूप ले सकता है. वहीं सरकार द्वारा चलायी जा रही महत्वाकांक्षी योजनाओं का भी लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.

गांव के भगवती पांडेय, जगनारायण शर्मा, राजू नंदन पांडेय, सुग्रीव यादव, अवध किशोर पांडेय, विद्या पांडेय, सुखलाल पांडेय, दिनेश शर्मा आदि का कहना है कि आज भी गांव में किसी तरह की सरकारी सुविधा गांववालों को नहीं मिली है. सड़क कि स्थिति यह है कि आज तक ईंटीकरण नहीं हुआ है.

आसपास के गांवों में बिजली आती है, मगर इस टोले में बिजली का खंभा भी नहीं है. बिजली, सड़क व सरकारी योजनाओं से मरहूम ग्रामीणों से जब प्रभात खबर के संवाददाता ने राय जाननी चाही, तो सभी ने एक स्वर में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाया.

क्या कहते हैं लोग

पूरे बिहार में चहुंओर विकास हो रहा है, लेकिन मेरे गांव में विकास की कौन बात करे, एक भी काम नहीं हुआ है. नेता व उनके समर्थक हमेशा आश्वासन देते हैं, लेकिन काम कुछ नहीं होता है.

उषा कुंवर

जब-जब चुनाव आता है, तो बड़ी संख्या में नेता व उनके समर्थक आते हैं. इस बार भी यही हुआ, लेकिन अभी तक ग्रामीणों की सुधि लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा है. यूं कहा जाय तो एक बार फिर अरमानों को ठेस पहुंचाने का काम किया गया है.

वृज किशोर पांडेय

उम्र ढलान पर पहुंच गयी है. बिजली के लिए टकटकी लगाये बैठे हैं. बगल के गांव की रोशनी देखता हूं, तो बड़ा अफसोस होता है. हमारे गांव में आज तक एक बिजली का खंभा भी नहीं लगाया गया है. कई नेताओं को आश्वासन देते देख चुका है, लेकिन आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

कपिलदेव पांडेय

बिजली और सरकारी योजनाओं की कौन कहे, चलने के लिए सड़क तक नहीं है. सबसे अधिक दिक्कत बरसात के दिनों में होती है. पानी से होकर ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है. सामुदायिक भवन व आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण नहीं हुआ है. स्थानीय मुखिया ने भी कभी ग्रामीणों की समस्या को दूर कराने का प्रयास नहीं किया.

संजीत पांडेय

गांव में विद्यालय नहीं होने के चलते बच्चों को सुदूर गांवों में जाकर पढ़ना पड़ता है. वहीं बिजली नहीं होने के चलते गांव में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. गांव के लोग कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन समस्या जस-की-तस बनी हुई है.
राजेंद्र शर्मा
– वीरेंद्र सिंह –

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