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अनुमंडल स्तरीय कृषि मेले की तैयारी में जुटा विभाग

सीवान : जिले में लगने वाले अनुमंडल स्तरीय कृषि यांत्रिक मेले की तैयारी के लिए कृषि विभाग के साथ उद्यान, मापतौल, आत्मा, पशुपालन, मत्स्य, गन्ना विकास, सहकारिता एवं उद्योग विभाग भी प्रयासरत है. इस मेले में उपरोक्त विभागों के अलावा कई अन्य विभागों को भी अपना स्टॉल लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है. इससे […]

सीवान : जिले में लगने वाले अनुमंडल स्तरीय कृषि यांत्रिक मेले की तैयारी के लिए कृषि विभाग के साथ उद्यान, मापतौल, आत्मा, पशुपालन, मत्स्य, गन्ना विकास, सहकारिता एवं उद्योग विभाग भी प्रयासरत है. इस मेले में उपरोक्त विभागों के अलावा कई अन्य विभागों को भी अपना स्टॉल लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है.

इससे कई विभागों का समन्वित कार्यक्रम किसानों तक पहुंच सके. स्टॉल लगाने के लिए संबंधित विभाग को ओएफएमएएस परमिट निर्गत करने का कार्य किया जाने लगा है. सीवान अनुमंडल में 26 दिसंबर को उसके बाद सात व 27 जनवरी तथा 18 फरवरी को कृषि यांत्रिक मेला लगेगा. महाराजगंज अनुमंडल में 20 जनवरी, 11 फरवरी और इसके बाद 2 मार्च को मेला लगना निश्चित किया गया है.
अनुमंडलवार कृषि यांत्रिकरण मेला 2019-20 के आयोजन एवं इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जिला स्तरीय उद्यान, भूमि संरक्षण, पौधा संरक्षण, माप तौल, मिट्टी जांच प्रयोगशाला, आत्मा, बीज, पशुपालन व मत्स्य संसाधन, गन्ना विकास विभाग, सहकारिता विभाग, उद्योग विभाग एवं अन्य विभाग भी जुटे हैं. इससे संबंधित स्टॉल भी लगेंगे.
जिला कृषि पदाधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है कि वह सुनिश्चित करेंगे कि कृषि यंत्रों का बाजार मूल्य व मेला के मूल्य में अंतर नहीं हो. कृषि यंत्रों के मूल्य पर नियंत्रण रखने के साथ ही इस बात का भी प्रचार-प्रसार कराया जायेगा कि किसान यांत्रिकरण मेला या मेला के बाहर खुले बाजार से विभाग द्वारा सूचीबद्ध यंत्रों का क्रय कर अनुदान का लाभ ले सकते हैं.
जिले को आवंटित राशि का कम से कम 15 प्रतिशत राशि फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्रों यथा हैप्पी सीडर, स्ट्रा टिलर, रोटरी मल्चर, रीपर कम बाइंडर पर अनुदान के रूप में व्यय करना सुनिश्चित किया जायेगा. यांत्रिकरण मेले में फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित सभी यंत्रों को पर्याप्त संख्या में प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य होगा.
मेला में जिलों के जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को भी कहा गया है. मेला का आयोजन दो दिनों के लिए होगा. परियोजना निदेशक आत्मा और जिला कृषि पदाधिकारी उक्त मेला को संयुक्त रूप से लगायेंगे और उनके देखरेख में यह चलेगा. मेले को सफल बनाने के लिए कृषि समन्वयक, प्रखंड कृषि पदाधिकारी व अन्य संबंधित पदाधिकारियों कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
बिहार राज्य के यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित कृषि यंत्रों पर 10 फीसदी अधिक अनुदान दिये जाने की व्यवस्था के कारण परमिट निर्गत करने के स्टेज में इस अतिरिक्त राशि की गणना सॉफ्टवेयर द्वारा संभव नहीं है इसलिए सभी जिला कृषि पदाधिकारी अपने स्तर से परमिट निर्गत करते समय यह सुनिश्चित करेंगे कि निर्गत परमिट जिले को निर्धारित वित्तीय लक्ष्य के अंतर्गत ही हो ज्यादा नहीं होना चाहिए. जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी के समन्वय से मेले को सफल बनाने का फरमान दिया गया है.

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