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चंद लोगों ने संस्कृति व परंपरा को किया धूमिल

सीवान : देश में हर दिन कहीं न कहीं दुष्कर्म, हत्या और तेजाब डालकर जाल देने का मामले सामने आ रहा है. कहीं किसी लड़की के साथ दुष्कर्म कर जिंदा जला दिया जाता है तो कहीं गोली मारकर हत्या कर दी जाती है. सबसे ज्यादा कोचिंग और स्कूल-कॉलेज से घर लौटने के दौरान अक्सर इस […]

सीवान : देश में हर दिन कहीं न कहीं दुष्कर्म, हत्या और तेजाब डालकर जाल देने का मामले सामने आ रहा है. कहीं किसी लड़की के साथ दुष्कर्म कर जिंदा जला दिया जाता है तो कहीं गोली मारकर हत्या कर दी जाती है. सबसे ज्यादा कोचिंग और स्कूल-कॉलेज से घर लौटने के दौरान अक्सर इस तरह की घटना सामने आती है.

कई छात्राओं को तो मनचलों ने इस तरह परेशान किया कि उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया. परिजन भी बदनामी के डर से कुछ नहीं बोलते हैं. मनचलों की हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि खुलेआम धमकी दे रहे. साथ ही सामाजिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने के बावजूद उनके खिलाफ होने वाले हादसों की संख्या भी बढ़ रही है. तमाम सरकारी दावों के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ नाम की ही है.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कड़े कानून बने. बावजूद इसके महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार की कमी नहीं आयी है, बल्कि और ही अपराधों में इजाफा होता गया. पुलिस-प्रशासन चाहे जितनी चौकसी बरतने की बात कह ले, पर हकीकत में तकरीबन हर रोज वहां छोटी बच्चियों, लड़कियों और महिलाओं के साथ हादसे हो रहे हैं.
क्या कहती हैं महिलाएं
हमारा अतीत प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करने वाली नारियों की गरिमा से मंडित रहा है. किंतु मातृ सत्ता से लुप्त होकर पृत्य सत्ता के आगमन के साथ ही नारी पराभव की स्थिति की ओर उन्मुख हुई. महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं आगे आनी होगी.
रंजू शर्मा, शिक्षिका, सीवान
दुष्कर्म के बढ़ते मामलों के लिए लड़कियों के पहनावे को जिम्मेदार ठहराने वाले लोगों को यह क्यों नहीं दिखता है कि छह साल की बच्ची कौन से ऐसे कपड़े पहन लेती है. जिसका दुष्कर्म होना अपरिहार्य हो जाता है. यदि पहनावे के कारण दुष्कर्म होते तो पश्चिमी देशों में महिलाओं के प्रति अपराध अधिक होते.
इंद्राणी गुप्ता, सीवान
लोगों की सोच और मानसिक चिंता धारा में बदलाव अति आवश्यक है. लोगों के नजरिये में बदलाव जरूरी है. महिलाओं को पर्याप्त शिक्षा देना और उनके स्वास्थ्य का विकास करना होगा. देश प्रगति की राह पर चल रहा है वहां महिलाओं की हालत बद से बत्तर हो रही है. उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं है.
मालमी यादव, शिक्षिका
महिलाओं को अपने पर हो रहे इन अत्याचारों से निजात मिलना चाहिए. इसके लिए सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि बुद्धिजीवियों के साथ-साथ समाज के वरिष्ठ नागरिकों को भी आगे आना होगा. सबसे पहले उन्हें अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी.
रिया कुमार, छात्रा
कुत्सित मानसिकता वाले लोगों द्वारा स्त्री आज भी महज देह ही मानी जाती है, इंसान नहीं क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो जितनी भी गालियां हैं वे सिर्फ मां-बहन की गालियां नहीं होती बल्कि उनकी तौहीन की जाती है. नैतिक शिक्षा द्वारा ही इस सामाजिक विकृति को रोका जा सकता है.
महिला सुरक्षा के लिए खुद महिला को सक्षम होना होगा. जिस दिन से माताएं अपने बेटे और बेटियों की परवरिश में अंतर करना छोड़ देंगी उस दिन से सामाजिक स्तर पर सोच में बदलाव का बीज पड़ जायेगा. कुत्सित मानसिकता, पुरुषवादी अहम, बदले की भावना, कानून की लचरता, गुंडों को राजनैतिक बैंकिंग आदि के कारण बलात्कारी पैदा करते हैं. प्रमिला

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