सीवान : आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के तहत इलाज कराने के लिए मरीज सरकारी अस्पतालों में भटक रहे हैं. जिले के सभी सरकारी अस्पतालों तथा दो निजी अस्पतालों को विभाग द्वारा अधिकृत किया गया है. एक निजी अस्पताल में सिर्फ आंख तो दूसरे में सिर्फ आॅर्थोपेडिक्स के इलाज की व्यवस्था है.
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डॉक्टरों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत ऑपरेशन से किया इन्कार
सीवान : आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के तहत इलाज कराने के लिए मरीज सरकारी अस्पतालों में भटक रहे हैं. जिले के सभी सरकारी अस्पतालों तथा दो निजी अस्पतालों को विभाग द्वारा अधिकृत किया गया है. एक निजी अस्पताल में सिर्फ आंख तो दूसरे में सिर्फ आॅर्थोपेडिक्स के इलाज की व्यवस्था है. छोटे-मोटे ऑपरेशन के […]
छोटे-मोटे ऑपरेशन के लिए मरीज स्वास्थ्य कार्ड होते हुए भी इलाज नहीं करा पाते हैं. गत वर्ष सितंबर महीने पर जिले में जब आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों के गोल्डेन कार्ड बनाये गये तथा इलाज शुरु हुए तो लोगों को लगा कि उनके स्वास्थ्य की चिंता कम हुई लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
मरीज आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डेन कार्ड लेकर सदर अस्पताल उपचार कराने आ रहे हैं. लेकिन मरीजों को तरह-तरह का बहाना बनाकर वापस कर दिया जा रहा है. इधर तो सदर अस्पताल के सर्जन डॉक्टरों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत किसी प्रकार का ऑपरेशन करने के संबंध में हाथ उठा दिया है. अस्पताल प्रबंधक ने इसकी लिखित सूचना सिविल सर्जन को दी है.
सरकारी अस्पतालों में नहीं है पर्याप्त संसाधन : सरकारी अस्पतालों को विभाग ने तो आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने के लिए अधिकृत तो कर दिया है लेकिन मानक के अनुसार सरकारी अस्पतालों में संसाधन नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है. सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजिकल जांच, एक्स-रे, अल्ट्रा साउंड तथा दवा की समुचित व्यवस्था नहीं है.
एक छोटा- सा बंघ्याकरण करने के लिए मरीजों के परिजनों को बाहर से जांच व दवा खरीदनी पड़ती है. सदर अस्पताल में तो आम मरीजों के लिए इंट्रा कैथ, सीरींज, बीटी सेट जैसे छोटे-छोटे सामान उपलब्ध नहीं है. मानक के अनुसार मरीजों को बेहोश करने के लिए एनेसथेस्टिक होना अनिवार्य है. जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ एनेस्थेटिक डॉक्टर नहीं है. नवजात बच्चों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में बना एसएनसीयू कितना उपयोगी है. विभाग के अधिकारियों को पता है.
सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने आने वाले मरीजों को आयुष्मान भारत योजना के तहत मिले प्रधानमंत्री की चिठ्ठी या गोल्डेन कार्ड साथ में लाना अनिवार्य कर दिया गया है. सामान्य प्रसव, सिजेरियन, फीवर, डॉग बाइट जैसे छोटे-छोटे इलाज को सरकारी अस्पतालों में गोल्डेन कार्ड द्वारा ही किया जा रहा है. गत एक वर्ष में करीब साढ़े छह सौ मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हुआ है. इसमें प्रसव, सिजेरियन, डॉग बाइट, डायरिया तथा फीवर बीमारी अधिक है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को उपचार किया जा रहा है. सदर अस्पताल के सर्जन डॉक्टरों से बात हुई है. वे ऑपरेशन करेंगे. मरीजों को सभी प्रकार की सेवाएं नि:शुल्क दी जायेगी.
डॉ अशेष कुमार, सिविल सर्जन, सीवान.
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