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बिहार : इराक में मारे गये भारतीय, चार वर्षों से था परिजनों को इंतजार अपनों के अवशेष देख छलके आंसू

सीवान में दाह-संस्कार : ताबूत में शव के अवशेष देख गांव में शोक की लहर सीवान : असांव थाने के सहसरांव गांव निवासी संतोष सिंह व विद्याभूषण तिवारी के शव का अवशेष पुलिस लाइन से सहसरांव के लिए रवाना हुआ. पटना से ताबूत में पहुंचा शव अलग-अलग वाहन से रवाना हुआ. मंगलवार को गांव में […]

सीवान में दाह-संस्कार : ताबूत में शव के अवशेष देख गांव में शोक की लहर
सीवान : असांव थाने के सहसरांव गांव निवासी संतोष सिंह व विद्याभूषण तिवारी के शव का अवशेष पुलिस लाइन से सहसरांव के लिए रवाना हुआ. पटना से ताबूत में पहुंचा शव अलग-अलग वाहन से रवाना हुआ. मंगलवार को गांव में शव के अवशेष को कुछ देर रखने के बाद रकौली घाट पर दाह-संस्कार के लिए परिजन रवाना हो गये.
घाट पर एएसपी कार्तिकेय शर्मा, एसडीओ अमन समीर, आंदर प्रभाग के इंस्पेक्टर अरविंद कुमार, आंदर थानाध्यक्ष चन्द्रिका प्रसाद, असांव थानाध्यक्ष, हुसैनगंज थानाध्यक्ष, आंदर बीडीओ व सीओ के अलावा पुलिस के जवान भी मौजूद रहे. इराक के मोसुल में आतंकवादियों के हाथों मारे गये सहसरांव निवासी स्व. मधुसूदन तिवारी के पुत्र विद्याभूषण तिवारी के छह वर्षीय बेटे तनिष ने मुखाग्नि दी. मुखाग्नि देते समय उपस्थित लोगों की भी आंखें नम हो गयीं. वहीं संतोष सिंह के पिता चंद्रमोहन राय अपने बड़े बेटे को मुखाग्नि देने के बाद फूट-फूट कर रोने लगे.
दोनों ही अपने-अपने घरों के थे इकलौते कमाऊ सदस्य
कहते है ऊपर वाला देता है छापर फाड़ के जब लेता है वैसे ही. आतंकियों के हाथों जान गंवाने वाले संतोष व विद्याभूषण दोनों ही अपने परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे. जो अब दोनों परिवार का सहारा छीन सा गया है.
संतोष जो अपने माता-पिता के तीन संतानों में से एक बहन से छोटा व एक भाई से बड़ा था. अभी अविवाहित संतोष बहन की शादी का कर्ज उतार मकान अच्छा बनवा कर शादी करने की सोच रहा था.
इधर खेती गृहस्ती से घर का खर्च चलने वाले संतोष के पिता चंद्रमोहन राय को भी उम्मीद थी कि एक बेटा कमाने लगा तो दुःख के दिन अब समाप्त हो जायेंगे. पर वो क्या जाने जिस बेटे को अपने हाथों से गोद में खिलाया उसे मुखाग्नि भी देनी पड़ेगी.
वहीं दूसरी ओर विद्याभूषण तिवारी के घर में विधवा मां, पत्नी व दो बच्चे है. जिनके सर से सहारा छीन गया. अपने घर की माली हालात संवारने का मन सपना संजोएं वतन से दूर गये व फिर वापस नहीं आये. आया तो उनका शव जिसे देख बूढी व पत्नी के होश ही उड़ गये.
छह साल के बेटे को तो पता ही नहीं चल रहा है ये हो क्या रहा है. जबकि उनके पट्टीदारों द्वारा हर संभव सहयोग किया जाता रहा. चूंकि सभी गरीब परिवार से हैं इसलिए जिसे जितना संभव हुआ मदद किया. अब आगे की जिंदगी कैसे कटेगी ऊपर वाले के हाथों में है.
गांव में पसरा मातमी सन्नाटा, मातम में भी मदद की गुहार: सोमवार को शाम को जैसे ये खबर लगी कि सहसरांव के दोनों मजदूरों संतोष व विद्याभूषण के शव आ रहे है.
मंगलवार को अहले सुबह से ही पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया. वहीं परिजनों ने मातम के माहौल में भी मृतक के परिजन सरकार से मदद की अपील कर रहे थे. उनका कहना था कि जिस प्रकार पंजाब सरकार ने प्रति मृतक पांच लाख रुपये व एक नौकरी की घोषणा की है.
राजू का नहीं पहुंचा शव परिजनों की पथरायीं आंखें
महाराजगंज : मोसुल में मारे गये जिले के छह युवकों में एक युवक फलपुरा गांव निवासी राजू यादव का भी है. शव के इंतजार में परिजनों की आंखें पथरा गयी हैं. सीओ रविराज का कहना था कि राजू के परिजनों का ब्लड डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया था, परंतु 70 फीसदी डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट ही मिल सकी है. जांच अभी जारी है. राजू मूल रूप से जीरादेई थाने के पिपरा गांव का निवासी था.
शव के अवशेष देख दुख से चीख उठी संतोष की मां
सीवान : मोसुल में मारे गये सहसरांव गांव निवासी संतोष सिंह के शव का अवशेष देख मां का कलेजा फटा जा रहा था. चीत्कार सुन जहां सभी की आंखें नम हो जा रही थीं, वहीं लोग अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पा रहे थे. पुलिस लाइन से संतोष का शव गांव पहुंचते ही मां गुड़िया देवी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. उसने सांसद को खरी खोटी सुनायी.

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