सीवान : दुबई में ड्यूटी के दौरान मौत के शिकार बने प्रभु महतो का शव मंगलवार की रात उनके गांव धनौती पहुंचा. उसके इंतजार में परिजनों की आंखें रो-रो कर पथरा गयी थीं. नये वर्ष के पहले ही दिन प्रभु की मौत हो गयी थी. मौत के 10वें दिन उनका शव धनौती ओपी के धनौती गांव पहुंचा. शव पहुंचते ही परिजनों में चीत्कार मच गया. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. दरवाजे पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. परिजनों को रोता देख हर किसी की आंखें नम हो गयीं.
दरवाजे पर पहुंचे लोगों का रो-रो कर बुरा हाल था.परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल प्रभु महतो के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. उसकी पत्नी रोते-रोते बेहोश हो रही थी. वहीं उसकी बूढ़ी मां अपने कलेजे के टुकड़े को खोने के गम में बेसुध होकर बिस्तर पर पड़ी थी. उसके चार बच्चे भी पिता के शव से लिपट कर रो रहे थे. पिता रामाशीष महतो रोये जा रहे थे. परिजन व ग्रामीण उनका ढाढ़स बंधा रहे थे. वे रोते हुए कह रहे थे कि अब परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा. भगवान ने मेरा इकलौता चिराग छीन लिया. प्रभु महतो को दो बेटे ओर दो बेटियां है.
बड़े पुत्र ने दी मुखाग्नि: प्रभु महतो का अंतिम संस्कार गांव के ही श्मशान घाट पर किया गया. मृतक के 10 वर्षीय पुत्र ने पिता के चिता को मुखाग्नि दी. अंतिम यात्रा के लिए बुधवार की सुबह शव उठते ही परिजन एक बार फिर चीत्कार कर रोने लगे.
यहां मौजूद लोगों की आंखें नम थीं और सभी इसे काल का क्रूर
मजाक बता रहे थे.