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पद खाली, इलाज बाधित

िचंताजनक कर्मियों की कमी से टीबी मरीजों के इलाज में होती है परेशानी सीवान : जिले में टीबी के मरीजों की संख्या के बढ़ने के अनुपात में कर्मचारियों व संसाधनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण खुद यक्ष्मा विभाग परेशान है. जिले में टीबी मरीजों के इलाज के लिए यक्ष्मा विभाग द्वारा करीब 19 ट्रीटमेंट […]

िचंताजनक कर्मियों की कमी से टीबी मरीजों के इलाज में होती है परेशानी

सीवान : जिले में टीबी के मरीजों की संख्या के बढ़ने के अनुपात में कर्मचारियों व संसाधनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण खुद यक्ष्मा विभाग परेशान है. जिले में टीबी मरीजों के इलाज के लिए यक्ष्मा विभाग द्वारा करीब 19 ट्रीटमेंट यूनिट व 36 स्प्यूटम जांच के लिए माइक्रोस्कोपिक जांच केंद्र बनाया है. लेकिन, इन ट्रीटमेंट यूनिट व माइक्रोस्कोपिक जांच केंद्रों में एलटी, एसटीएस व एएसटीएलएस के करीब आधे पद रिक्त हैं. कर्मचारियों के पद रिक्त होने से टीबी मरीजों के इलाज में परेशानी होती है.
जिले में 19 ट्रीटमेंट यूनिट, 13 पद सृजित व 10 खाली
जिले में 19 ट्रीटमेंट यूनिट बनाये गये हैं. लेकिन, वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक के मात्र 13 पद ही सृजित हैं. इसमें से 10 पद खाली हैं. इसी तरह लैब टेक्निशियन के 18 में से 05 पद तथा वरीय यक्ष्मा लैब पर्यवेक्षक के 06 में से एक पद खाली है. ये बात सही है कि इसमें से आधे पद नियमित व आधे पद अनुबंध के कर्मचारियों को विभाग ने सृजित किया है.
एलटी, एसटीएस व एसटीएलएस के आधे से अधिक पद हैं रिक्त
बढ़ रही है सामान्य, एमडीआर व एक्सडीआर मरीजों की संख्या
क्या कहते हैं जिम्मेवार
टीबी विभाग में कर्मचारियों की कमी से कार्य बाधित होता है. जब से मुझे विभाग की जिम्मेवारी मिली है, तब से बहाली की प्रक्रिया में लगा हूं. बहाली के लिए फाइल बनाकर जिलाधिकारी के पास भेजा गया है. फाइल वहां से लौटने के बाद समाचार पत्रों में बहाली का विज्ञापन निकाला जायेगा.
डॉ अनिल कुमार सिंह, सहायक एसीएमओ, सदर अस्पताल,सीवान
अभी जिले में हैं करीब 80 एमडीआर टीबी व चार एक्सडीआर टीबी मरीज
जिले में बढ़ते एमडीआर टीबी मरीजों की संख्या को देखते हुए विभाग ने 2013 में पहले एमडीआर टीबी की दवा और उसके बाद एमडीआर टीबी के संदेहास्पद मरीजों की जांच के लिए सीवीनेट मशीन लगायी. लेकिन, संसाधनों की कमी के कारण सब कुछ बेकार-सा नजर आ रहा है. अभी करीब 80 एमडीआर व चार एक्सडीआर टीबी के मरीज हैं. टीबी मरीजों के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण मरीजों का फॉलोअप करना होता है. लेकिन, जिस स्तर का मरीजों का फॉलोअप होना चाहिए, नहीं हो पाता है.
अभी तक जिले में पांच एक्सडीआर टीबी के मरीजों की पहचान हुई है. इनमें से एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गयी. चार मरीजों में एक ने दवा खाने से मना कर दिया. शेष तीन का इलाज विभाग द्वारा किया जा रहा है. एमडीआर के जो तीन मरीज दवा खा रहें हैं. उनमें दो मरीज एक ही परिवार के 20 से लेकर 25 तक दो सगे भाई हैं. अगर इन मरीजों के परिजनों को इस बीमारी के संबंध में सही ढंग से जागरूक नहीं किया गया, तो कई लोग एक्सडीआर टीबी के मरीजों से संक्रमित हो जायेंगे.

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