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नेपाली नागरिकता में तीन मुखिया गंवा चुके कुर्सी

जिले में जब-जब पंचायत चुनाव शुरू होता है, तो कुछ दिनों के लिए नेपाली नागरिकता का मुद्दा छाया रहता है. खासकर बॉर्डर से सटे प्रखंडों में ऐसे मुद्दे उठते रहे हैं.

सीतामढ़ी. जिले में जब-जब पंचायत चुनाव शुरू होता है, तो कुछ दिनों के लिए नेपाली नागरिकता का मुद्दा छाया रहता है. खासकर बॉर्डर से सटे प्रखंडों में ऐसे मुद्दे उठते रहे हैं. चुनाव के दौरान कुछ प्रत्याशियों के नामांकन पर यह कहते हुए सवाल खड़ा किया जाता है कि वे नेपाल के नागरिक हैं. भारत की नागरिकता हासिल नहीं कर सके हैं. नामांकन-पत्रों की संवीक्षा के दौरान ऐसी शिकायतों को कोई खास तरजीह नहीं दी जाती है. नामांकन स्वीकृत कर लिया जाता है. हालांकि बाद में राज्य निर्वाचन आयोग के यहां लंबी चली सुनवाई के बाद शिकायत सच साबित होती है. नेपाली नागरिकता होने के चलते जिले के अबतक तीन मुखिया अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं. इनके हाथ से चली गयी थी मुखियागिरी.वर्षों पूर्व नेपाली नागरिकता के चलते परिहार प्रखंड की सिरसिया की मुखिया रही नीलम यादव की कुर्सी चली गई थी. तब यह मामला काफी चर्चित हुआ था. कारण कि जिले में नेपाली नागरिकता के चलते किसी मुखिया की कुर्सी छीन जाने का यह पहला मामला था. बाद के वर्षों में वह नागरिकता हासिल कर ली थी. इसके लिए उन्हें काफी दौड़ लगानी पड़ी थी. वर्षों तक गृह मंत्रालय का चक्कर लगाने के बाद भारतीय नागरिकता मिल सकी थी. इधर,2019 में रुन्नीसैदपुर प्रखंड की मानिकचौक उतरी पंचायत की मुखिया किरण देवी को भी नेपाली नागरिकता के चलते मुखिया की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था. तीसरे सोनबरसा प्रखंड के मुखिया बिल्टु को कुर्सी गंवानी पड़ी है. राज्य निर्वाचन आयोग ने सवाल खड़ा किया था मुखिया की कुर्सी से पदच्युत की गयी किरण गुप्ता के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने नेपाली नागरिक के नाम भारतीय मतदाता सूची में जोड़ने पर सवाल खड़ा किया था. फैसले में आयोग ने यह टिप्पणी की थी कि 24 फरवरी 2016 को किरण गुप्ता के द्वारा नेपाली नागरिकता का परित्याग किया गया था, तो उससे पूर्व वर्ष 2008 के वोटर लिस्ट सूची में उनका नाम कैसे प्रविष्ट कर दिया गया ? इसकी जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया गया था, लेकिन मामला फ़ाइल में ही दब गया था, जो आजतक दबा ही है. विदेशी का बन जा रहा आधार कार्ड. नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का संबंध होने के कारण बॉर्डर इलाके के लोगों का शादी-ब्याह होते रहता है. नेपाल से ब्याह कर आई महिला का कुछ समय बाद भारतीय मतदाता सूची में नाम शामिल हो जाता है. बाद में महिला चुनाव भी लड़ जाती है, जबकि भारतीय नागरिकता ग्रहण किये बिना नाम मतदाता सूची में शामिल ही नहीं करना है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, 20 वर्षों के अंदर सिरसिया की पूर्व मुखिया नीलम देवी के अलावा किसी अन्य को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकी है. बांग्लादेशी नागरिक का बना था आधार/पैन . सितंबर 23 में शिवहर पुलिस ने बांग्लादेश के नागरिक को गिरफ्तार किया था. उसके पास से आपत्तिजनक सामान मिले थे. वह गैरकानूनी रूप से बांग्लादेश से भारतीय क्षेत्र में आकर रह रहा था. अव्वल तो यह कि वह अवैध रूप से आधार/पैन कार्ड भी बनवा लिया था. पुलिस की पूछताछ में पता चला था, बांग्लादेशी नागरिक आकाश विश्वास, अनादि विश्वास का पुत्र है. वह जिले के रीगा थाना क्षेत्र के पंछोर गांव में शादी कर लिया था. इतना ही नहीं, वह यहां बंगाली चांदसी क्लिनिक भी खोल लिया था. पुलिस ने उसके पास से एक आधार कार्ड बरामद किया था. उस पर पता ग्राम-पंछोर था. इसी नंबर का दूसरा आधार कार्ड मिला था. उस पर पता घाट पतीला, नॉर्थ 24 परगना, वेस्ट बंगाल- 743251 अंकित था. उसके पास से वोटर आई कार्ड भी मिला था. नेपाल के लोगों का मिला था आधार कार्ड. गत वर्ष सोनबरसा प्रखंड के इंदरवा डाकघर के बगल में पोखर से एक बोरा में सैकड़ों आधार कार्ड, भविष्य निधि का पत्र, सेना से निर्गत सैनिक पत्र समेत अन्य विभागीय पत्र बरामद हुआ था. बरामद आधार कार्ड इंदरवा, दलकवा, सहोरबा, इंदरवा नरकटिया गांव के लोगों के नाम का था. ग्रामीण रामस्वरूप राय, सुशील कुमार, बिल्टी देवी, भिखारी पासवान व ऊधो मुखिया समेत अन्य लोगों ने बताया था कि अधिकांश सरकारी कागजात डाकघर के माध्यम से आता है. डाककर्मी ने आधार कार्ड एवं अन्य कागजात संबंधित व्यक्ति को नहीं देकर पानी से भरे गड्ढे में बोरे में रख कर फेंक दिया था. ग्रामीणों ने बताया था कि दलकावा डाकघर की डाककर्मी गुड़िया कुमारी है, लेकिन उसके बदले ससुर हरिशंकर राय उर्फ रामईश्वर राय काम करते हैं. उस दौरान डाककर्मी के ससुर राय ने बताया था कि बोरा में आधार कार्ड रखे थे, यह सच है, लेकिन गड्ढे में किसने फेंक दिया था, पता नही है. राय ने खुलासा किया था कि सैकड़ों आधार कार्ड में से बहुत सारे कार्ड नेपाल के लोगों के नाम का बना हुआ है. डुमरा में मिले थे लावारिस सैकड़ों आधार कार्ड. अभी मार्च 2024 में डुमरा प्रखंड की भासर मछहा दक्षिणी पंचायत के वार्ड नंबर दो स्थित एक तालाब के किनारे सैकड़ों आधार कार्ड लावारिस अवस्था में फेंके मिले थे. इसकी सूचना मिलने के बाद जांच-पड़ताल शुरू हो गयी थी.

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