उदासीनता. व्यवस्था की खराबी का फायदा उठा रहे निजी एंबुलेंस संचालक
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छह में से चार एंबुलेंस बेकार, मरीज परेशान
उदासीनता. व्यवस्था की खराबी का फायदा उठा रहे निजी एंबुलेंस संचालक सीतामढ़ी : जिले के 40 लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उपलब्ध कराने वाले सदर अस्पताल की एंबुलेंस सेवा बदहाली के दौर में है. सदर अस्पताल में जहां महीनों से चार एंबुलेंस खराब पड़े है, वहीं शेष बचे दो एंबुलेंस पर हीं […]
सीतामढ़ी : जिले के 40 लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उपलब्ध कराने वाले सदर अस्पताल की एंबुलेंस सेवा बदहाली के दौर में है. सदर अस्पताल में जहां महीनों से चार एंबुलेंस खराब पड़े है, वहीं शेष बचे दो एंबुलेंस पर हीं मरीजों को अन्यत्र पहुंचाने की जिम्मेदारी है.
हैरत की बात यह की एंबुलेंस खराब पड़ा है, लेकिन चालक को हर माह हजारों रुपये का भुगतान किया जा रहा है. इतना हीं नहीं सरकारी व्यवस्था की लाचारगी का फायदा निजी एंबुलेंस संचालक उठा रहे है.
बताते चले की सदर अस्पताल को छह एंबुलेंस मिले थे. इनमें दो एंबुलेंस पूर्व सांसद अर्जुन राय ने उपलब्ध कराया था. वहीं पूर्व मंत्री शाहीद अली खान द्वारा भी एक एंबुलेंस सदर अस्पताल को दिया गया था. जबकि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष द्वारा एंबुलेंस 102, 108 व 1099 समेत तीन एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया था. लेकिन वर्तमान समय में मात्र 102 व 1099 नंबर की एंबुलेंस हीं सेवा दे रही है.
वहीं, अन्य चारों एंबुलेंस सदर अस्पताल सदर अस्पताल परिसर में खराब होकर व्यवस्था की मुंह चिढ़ा रहे है. लोगों की माने तो स्वास्थ्यकर्मियों व निजी एंबुलेंस संचालकों द्वारा मिलीभगत कर सदर अस्पताल में आये मरीजों के परिजन से इमरजेंसी के दौरान एंबुलेंस सेवा के नाम पर मोटी रकम वसूलते है.
झांसा देकर ले जाते है निजी एंबुलेंस संचालक: इमरजेंसी में जब सदर अस्पताल से जब मरीज को अन्यत्र रेफर किया जाता है तो परिजनों के समक्ष एंबुलेंस की परेशानी होती है. वजह सदर अस्पताल के दोनों एंबुलेंस लगातार अप-डाउन की स्थिति में रहते है. ऐसे ने अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस संचालक टूट पड़ते है. जबरन मरीज को फांसने को लेकर कभी-कभी एंबुलेंस संचालकों की स्वास्थ्य कर्मियों से मारपीट तक हो जाती है.
हालांकि अधिकांश निजी एंबुलेंस स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से हीं चल रहे है. हालांकि निजी एंबुलेंस संचालकों द्वारा इमरजेंसी में मोटी रकम वसूली जाती है.
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