डुमरा : जिला मुख्यालय, डुमरा में कई ऐसे मुहल्ले हैं जहां अब भी बांस बल्ले के सहारे बिजली सुविधा पहुंचायी गयी है. बार-बार के शिकायत पर अधिकारी व कर्मियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगता है. मजबूरी चाहे जो हो, पर जिस गली से चंदा की वसूली कर अधिकारी व कर्मियों तक पहुंचा दिया जाता है, वहां पहले काम जरूर हो जाता है. इसका जीता-जागता उदाहरण नगर पंचायत डुमरा का कैलाशपुरी मुहल्ला है. इस मुहल्ले में लखनदेई पुल से चंडीधाम तक करीब 300 उपभोक्ता हैं,
पर पोल व तार के अभाव में लोग बांस-बल्ले के सहारे बिजली चला रहे है. करीब डेढ़ वर्ष से संबंधित अधिकारी आश्वासन तो दे रहे हैं, पर नतीजा सामने नहीं आया है. वहीं, संजय चौक के समीप लगे ट्रांसफॉर्मर का अक्सर रात में जंफर उड़ जाने से लोग परेशान रहते हैं, पर स्थायी निदान नहीं किया जा रहा है. इधर, प्रखंड के कोन्हा गांव में बांस के सहारे बिजली के 11 हजार वोल्ट का तार ले जा कर आपूर्ति कराया जा रहा है जो बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण देने के लिए काफी है. रीगा : विगत तीन सप्ताह से रीगा व मेजरगंज के ग्रामीण क्षेत्र में बिजली संकट है.
जानकारी के अनुसार, विद्युत उपकेंद्र, बगही से चार भागों में बिजली की आपूर्ति की जाती है. ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ता नीरज कुमार सिंह राम कैलाश सिंह सुरेश गुप्ता दिनेश प्रसाद सिंह प्रदीप झा का कहना है कि कुसमारी व मेजरगंज के साथ विभाग द्वारा सौतेलापन व्यवहार किया जाता है. 24 घंटे के बदले दो घंटे भी बिजली सही तरीके से नहीं रहता है. कनीय अभियंता अवनीश कुमार व लाईन मैन शिवराज प्रसाद कहते हैं कि बगही उपकेंद्र पर 10 मेगावाट का ट्रांसफार्मर लग चुका है. कुछ काम कार्य शेष है. जल्द हीं शिकायत दूर हो जायेगी. बोखड़ा : बोखड़ा प्रखंड में अधिकारी व कर्मियों की लापरवाही के चलते 11 में से दो पंचायत को छोड़ कोई ऐसा पंचायत नहीं है, जहां के सभी गांव व वार्ड में बिजली की सुविधा उपलब्ध हो. कहीं तार तो कहीं पोल का अभाव है. कुरहर पंचायत के 12 और 13 वार्ड में पोल तार नहीं है, पर अक्सर बिल भेज दिया जाता है. गत वर्ष कुछ भाग में पोल लगाया गया, पर अब तक सुविधा नहीं मिल पायी है.