सीतामढ़ी : सरकार विकास के नाम पर लाख दावे कर लें, लेकिन सच तो यह है कि पंचायतों में पंचायत चुनाव होकर करीब नौ माह बीत चुके हैं, लेकिन एकमात्र मनरेगा योजना को छोड़ दें तो अन्य सभी जन कल्याणकारी योजनाएं पूरी तरह से ठप हैं. वह भी महीने दो महीने से नहीं, बल्कि दो साल से भी अधिक समय से. कभी लोक सभा चुनाव, कभी विधान सभा चुनाव तो कभी पंचायत चुनाव के बहाने पंचायतों के कामकाज लगातार प्रभावित होते रहे हैं. इसको लेकर पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर ग्रामीणों में भी निराशा देखी जा रही है. बथनाहा पश्चिमी पंचायत के मुखिया पंकज कुमार सिंह, रुपौली रुपहारा पंचायत के मुखिया टेकनारायण यादव,
महुआवा मुखिया लालबाबू भगत व बखरी मुखिया चंद्रिका पासवान की मानें तो मनरेगा को छोड़ विकास से संबंधित अन्य सभी प्रकार की योजनाएं करीब दो सालों से पूरी तरह से ठप हैं. हाल में विभिन्न पंचायतों में मनरेगा के तहत मिट्टी से संबंधित काम शुरू तो किया गया है, लेकिन उक्त योजना पर भी काम करा पाना काफी पेंचीदा है. केवल मजदूरों को भुगतान दिये जाने का प्रावधान है, जबकि केवल मजदूरों के भरोसे योजना को पूरा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि निजी जमीन से मिट्टी मिलना मुश्किल है और सरकारी जमीन दबंगों के कब्जे में है. अन्य योजनाओं क्रमश: कबीर अंत्येष्ठी, कन्या विवाह योजना, चुतुर्थ वित्त, 12 वीं वित्त व पंचत वित्त समेत अन्य योजनाएं करीब दो सालों से भी अधिक समय से पूरी तरह से ठप है, क्योंकि उक्त योजनाओं में राशि ही नहीं है. बीडीओ विनय कुमार सिंह ने भी माना कि राशि के अभाव में कई जनकल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हैं.