बोखड़ा : प्रखंड के विभिन्न सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में अब तक दूसरा व पांचवा वर्ग के छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग की ओर से पुस्तकें मुहैया नहीं करायी गयी है.
इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन बच्चों की पढ़ाई किस प्रकार से होती होगी. करीब 75 ऐसे विद्यालय हैं, जिसमें किसी बच्चे को अब तक किसी विषय का पुस्तक नहीं मिल सहा है. जबकि वर्तमान सत्र का आठ माह बित चुका है. शिक्षा विभाग के इस कार्यप्रणाली से शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ रही है, पर इस ओर न तो किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान आकृष्ट हो रहा है और न हीं किसी वरीय अधिकारियों का. सबसे खास बात यह कि उक्त कक्षा की पुस्तकें बाजार में भी उपलब्ध नहीं है.
जिसके चलते बच्चों की परेशानी और अधिक बढ़ी हुई है. ये बच्चे पुराने पुस्कतों की व्यवस्था कर किसी तरह अपना काम चला रहे हैं. जानकारों का कहना है कि एक ओर विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व कदाचार मुक्त परीक्ष की बात तो करते हैं, पर जब पुस्तक हीं नहीं मिल पायेगा तो बच्चे कैसे पढ़ेंगे. इस पर किसी का ध्यान नहीं है.
इस बावत शिक्षक मीथलेश सहनी, अमित कुमार व विमलेश कुमार समेत अन्य ने बताया कि पुस्तक के अभाव में परेशानी तो होती हीं है, पर पुराने पुस्तकों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है. वहीं, विधायक प्रतिनिधि बदरे आलम कहते हैं कि पुस्तक वितरक के मनमानी के चलते यह समस्या बनी हुई है, जो गम्भीर बात है. उसके विरूद्ध सरकार को लिख जायेगा.
कहते हैं बीइओ
इस बाबत बीइओ रामवृक्ष सिंह ने बताया कि पुस्तक के अभाव में निश्चित रूप से पढ़ाई प्रभवित हो रही है, पर विभाग की ओर से किसी बीआरसी पर दूसरा व आठवां कक्षा की पुस्तकें मुहैया नहीं करायी गयी है. इसकी जानकारी जिला के वरीय अधिकारियों को भेजी जा चुकी है.