सीतामढ़ीः संविधान सभा चुनाव में रौतहट निर्वाचन क्षेत्र संख्या-एक व काठमांडू निर्वाचन क्षेत्र संख्या-दो से धमाकेदार जीत दर्ज करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल एक बार फिर देश की बागडोर संभालने के कदम पर आगे बढ़ रहे हैं. उनकी पार्टी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभर रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता झालनाथ खनाल भी चुनाव में जीत दर्ज किया है. ताजा परिणामों के मुताबिक श्री नेपाल की नेकपा(एमाले) देश के अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में अब तक 45 से अधिक सीटें जीत चुकी है.
नेपाली कांग्रेस दूसरे दल के रूप में उभर रही है. भारतीय मूल के माधव कुमार नेपाल अगर पार्टी का नेता चुन लिए जाते हैं तो दूसरा अवसर होगा जब वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं. श्री नेपाल का पूर्वज सीतामढ़ी जिले के बैरगनिया प्रखंड अंतर्गत मड़पा कोठी में रहता था. बाद में उक्त लोग रौतहट जिले के गौर में चले गये और फिर वहीं बस गये. श्री नेपाल के पिता मंगल कुमार उपाध्याय गौर स्थित श्री युद्ध माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक थे. पार्टी के कद्दावर नेता श्री नेपाल देश में लोकतंत्र लाने तथा राजशाही खत्म करने के आंदोलनों में अग्रिम पंक्ति में रह कर संघर्ष किया. देश में संविधान निर्माण की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी मिलने पर उन्हें देश का प्रधानमंत्री भी चुना गया, लेकिन संविधान निर्माण में बढ़ते राजनीतिक गतिरोध के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. देश में संविधान निर्माण तथा राजनीतिक स्थिरता के लिए संविधान सभा चुनाव की मुखालफत किया व दलों को साथ मिल कर संविधान पर मुहर लगा देश में मजबूत लोकतंत्र स्थापना पर बल दिया था.
श्री नेपाल ने चुनाव मतदान बहिष्कार कर रहे नेकपाए(माओवादी) नेताओं को जनमत का सम्मान कर देश में संविधान निर्माण में सहयोग करने की अपील कर एक प्रकार से यह संदेश दे दिया है कि संविधान निर्माण में सभी दलों की सहभागिता जरूरी है. श्री नेपाल ने चुनाव बहिष्कार कर चुके माओवादी नेता मोहन किरण वैद्य समेत 33 दलों से देश में शांति और स्थिरता की अपील कर राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा है. मालूम हो कि यह दूसरा अवसर भी है कि श्री नेपाल दो निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुए हैं. इसके पूर्व वर्ष 1999 के चुनाव में वह रौतहट के दो क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे. वहीं पिछले चुनाव में दोनों सीट वह खो दिये थे.
राजनीतिक टीकाकार मानते हैं कि माधव नेपाल की यह जीत देश में लोकतंत्र और राजनीतिक स्थिरता के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है. साथ हीं संविधान निर्माण तथा स्थायित्व की बड़ी जिम्मेवारी उनके कंधों पर होगी.