सीतामढ़ी/रीगा : केंद्र सरकार द्वारा गन्ना किसानों के लिए 4.50 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान की घोषणा की गयी है. इस घोषित अनुदान को किसान नेताओं ने किसानों के साथ एक मजाक बताया है. बता दें कि कभी रीगा चीनी मिल क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान गन्ना की खेती करते थे. हर वर्ष इस संख्या में कमी आती जा रही है.
गन्ना की खेती पर अधिक लागत आने, उसके अनुपात में भुगतान न मिलने और भुगतान भी काफी विलंब से होने के चलते गन्ना की खेती के प्रति किसानों का रूझान धीरे-धीरे कम होते जा रहा है.
खेती के प्रति दिलचस्पी नहीं
भुगतान व अन्य कारणों से किसान गन्ना की खेती में दिलचस्पी लेना कम कर दिये हैं. सूत्रों ने बताया कि गत वर्ष चीनी मिल में 52 लाख क्विंटल गन्ना की पेराई की गयी थी. इस बार 30 लाख क्विंटल तक ही पेराई संभव है. कारण कि गत सीजन का भुगतान नहीं मिलने से बहुत से किसान गन्ना की खेती करना ही छोड़ दिये तो कुछ किसान खेती का रकवा काफी कम कर दिये हैं. जानकारों की माने तो अगले सीजन में मिल को 30 लाख क्विंटल से भी कम गन्ना मिल पायेगा.
सरकार से नहीं मिला भुगतान
संयुक्त किसान संघर्ष मोरचा के संस्थापक डाॅ आनंद किशोर कहते हैं कि गत सीजन में राज्य सरकार ने पांच रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना किसानों को क्षति-पूर्ति के रूप में भुगतान करने की घोषणा की थी. यह भुगतान अब तक नहीं किया जा सका है. इससे किसानों में मायूसी है और सरकार के प्रति नाराजगी भी.
गन्ने की खेती घाटे का सौदा
डाॅ किशोर की माने तो अब गन्ना की खेती करना घाटे का सौदा हो गया है. प्रति क्विंटल उत्पादन पर लागत 580 रुपये आ रहा है, जबकि किसानों को तीन दर 245, 255 व 265 रुपये की दर से गन्ना का भुगतान मिलता है. कहा है कि डीएपी, यूरिया व कीटनाशक दवाओं के दाम बढ़ चुके हैं. कृषि उपकरणों के मूल्य में भी बेतहाशा वृद्धि हो गयी है. दैनिक मजदूरी में भी बढ़ोतरी हो गयी है. इस तरह किसानों को गन्ना की खेती करने में प्रति क्विंटल उत्पादन पर 300 रुपये से अधिक की क्षति उठानी पड़ रही है.
किसानों को नहीं मिलती है ऋण की सुविधा
किसान नेता डाॅ किशोर ने कहा है कि बिहार सरकार पांच रुपये प्रति क्विंटल व भारत सरकार 4.50 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान की घोषणा किसान विरोधी है. कहा है कि केंद्र सरकार देश के मिल मालिकों को बिना ब्याज का 23 हजार करोड़ रुपये ऋण दी है, जिसमें से बिहार के चीनी मिलों को 203 करोड़ मिला है. वहीं, ब्याज पर किसानों को ऋण नहीं मिल रहा है.